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Manufacturing PMI: नए ऑर्डर की कमी से थमी तेजी, जुलाई में सुस्त पड़ी मैन्युफैक्चरिंग की रफ्तार, लेकिन जॉब के मामले में ग्रोथ बरकरार

देश की अर्थव्यवस्था तेज रफ्तार से भाग रही है, लेकिन देश के विनिर्माण क्षेत्र में जुलाई का महीना थोड़ा सुस्त रहा है.  जुलाई महीने में कारखानों के सामने नए ऑर्डर की वृद्धि की गति कम होने से  विनिर्माण क्षेत्र में सुस्ती आई है.

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Bavita Jha |Updated: Aug 01, 2024, 03:26 PM IST
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Manufacturing PMI: देश की अर्थव्यवस्था तेज रफ्तार से भाग रही है, लेकिन देश के विनिर्माण क्षेत्र में जुलाई का महीना थोड़ा सुस्त रहा है. 

जुलाई महीने में कारखानों के सामने नए ऑर्डर की वृद्धि की गति कम होने से  विनिर्माण क्षेत्र में सुस्ती आई है. जुलाई महीने में विनिर्माण क्षेत्र की तरक्की की रफ्तार कम हो रही है.  विनिर्माण क्षेत्र की सुस्ती के बावजूद रोजगार के सृजन के मौके पर शानदार प्रदर्शन को बरकरार रखा है.  

क्या कहते हैं आंकड़ें , धीमी रफ्तार के पीछे क्या है वजह ? 

भारत के विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर जुलाई माह में मामूली रूप से धीमी रही.  नए ठेकों और उत्पादन की धीमी रफ्तार इसकी मुख्य वजह रही. दूसरी ओर लागत दबाव तथा मांग में मजबूती के कारण अक्टूबर 2013 के बाद से बिक्री कीमतों में सबसे अधिक वृद्धि हुई. बृहस्पतिवार को जारी एक मासिक सर्वेक्षण में यह जानकारी दी गई. मौसमी रूप से समायोजित 'एचएसबीसी इंडिया विनिर्माण क्रय प्रबंधक सूचकांक' (पीएमआई) जुलाई में घटकर 58.1 हो गया जो जून में 58.3 था.

पीएमआई के तहत 50 से ऊपर सूचकांक का क्या मतलब 

पीएमआई के तहत 50 से ऊपर सूचकांक होने का मतलब उत्पादन गतिविधियों में विस्तार है जबकि 50 से नीचे का आंकड़ा गिरावट को दर्शाता है. एचएसबीसी के मुख्य भारत अर्थशास्त्री प्रांजुल भंडारी ने कहा कि भारत के मुख्य विनिर्माण पीएमआई में जुलाई में विस्तार की गति मामूली धीमी रही लेकिन अधिकतर घटकों के मजबूत स्तर पर बने रहने के कारण यह छोटी गिरावट चिंता का कारण नहीं है.

भारतीय विनिर्माताओं ने जून से मंदी के बावजूद नए ठेकों में पर्याप्त वृद्धि की सूचना दी. एशिया, यूरोप, उत्तरी अमेरिका और पश्विम एशिया में स्थित ग्राहकों की ओर से मांग में मजबूती की भी खबर है.भारतीय विनिर्माताओं ने जुलाई में अंतरराष्ट्रीय बिक्री में मजबूत वृद्धि का अनुभव किया। सर्वेक्षण के अनुसार, विस्तार की समग्र दर उल्लेखनीय रही और 13 वर्षों में दूसरी सबसे मजबूत थी. 

कीमतों के मोर्चे पर, मांग में उछाल ने भी कीमतों पर दबाव डाला. कच्चे माल की लागत में करीब दो वर्षों में सबसे तेज वृद्धि हुई, जिसने अक्टूबर 2013 के बाद से बिक्री कीमतों में सबसे तेज वृद्धि में योगदान दिया. एचएसबीसी इंडिया विनिर्माण पीएमआई को एसएंडपी ग्लोबल ने करीब 400 कंपनियों के एक समूह में क्रय प्रबंधकों को भेजे गए सवालों के जवाबों के आधार पर तैयार किया है.  

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