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बर्गर बेचे, गार्ड की नौकरी की...अब बन गए साल के पहले बिलेनियर, मिलिए निकेश अरोड़ा से, गाजियाबाद से खास रिश्ता

Who is Nikesh Arora: भारतीय मूल के सीईओ निकेश अरोड़ा साल 2024 के पहले अरबपति बने हैं. गूगल से लेकर सॉफ्टबैंक तक सफलता का कीर्तिमान बनाने  वाले अरोड़ा सबसे नए और साल 2024 के सबसे पहले बिलेनियर बन गए हैं.   

 Who is Nikesh Arora
Who is Nikesh Arora
Bavita Jha |Updated: Jan 04, 2024, 11:46 AM IST
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Who is Nikesh Arora: भारतीय मूल के सीईओ का डंका दुनियाभर की कंपनियों में बज रहा है. गूगल से लेकर माइक्रोसॉफ्ट जैसी बड़ी कंपनियों की कमान भारतीय मूल के सीईओ संभालते हैं. इस लिस्ट में एक नया नाम जुड़ गया है. भारतीय मूल के टेक सीईओ निकेश अरोड़ा के नाम नई सफलता जुड़ गई है. कभी गूगल में सबसे ज्यादा सैलरी पाने वाले निकेश अरोड़ा अब दुनिया के सबसे नए और साल 2024 के सबसे पहले अरबपति बन गए हैं.  ब्लूमबर्ग बिलेनियर्स इंडेक्स के मुताबिक निकेश अरोड़ा साल 2024 के पहले अरबपति बने हैं. साल के पहले बिलेनियर के साथ-साथ वो उन चुनिंदा टॉप टेक बिलेनियर्स में से एक हैं, जो नॉन-फाउंडर हैं.

 कौन हैं निकेश अरोड़ा 

साइबर सिक्योरिटी कंपनी पाओ अल्टो नेटवर्क्स के मुख्य कार्यकारी अधिकारी निकेश अरोड़ा का नेटवर्थ 1.5 बिलियन डॉलर पर पहुंच गई है.भारतीय करेंसी में देखें तो उनका नेटवर्थ करीब 1,24,97,19,00,000 रुपये पर पहुंच गया है. साल 2018 से पाओ अल्टो नेटवर्क्स की कमान संभाल रहे निकेश के पास कंपनी के शेयर्स हैं. पाओ अल्टो नेटवर्क्स के शेयरों के भाव में हुई बढ़ोतरी के बाद निकेश अरोड़ा के हिस्से की वैल्यू बढ़कर 830 मिलियन डॉलर तक पहुंच गई है. 

गूगल में सबसे ज्यादा सैलरी पाने वाले कर्मचारी  

निकेश साल 2012 में उस वक्त चर्चा में आए, जब वो गूगल के सबसे महंगे कर्मचारी बने थे. उस वक्त गूगल ने उन्हें 51 मिलियन डॉलर का पैकेज दिया था. गूगल के अलावा उन्होंने सॉफ्टबैंक में भी रिकॉर्ड बनाया. साल 2014 में उन्हें सॉफ्टबैंक ने 135 मिलियन डॉलर का पैकेज दिया था. अपने सैलरी पैकेज को लेकर निकेश अक्सर चर्चाओं में रहे हैं. आज वो साल के सबसे पहले अरबपति बन चुके हैं. 

बर्गर बेचा, सिक्योरिटी गार्ड की नौकरी की

निकेश अरोड़ा उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद के रहने वाले हैं. 9 फरवरी 1968 को जन्मे निकेश के पिता एयरफोर्स अधिकारी थे. उनकी शुरुआती पढ़ाई एयरफोर्ट के स्कूल में हुई थी. आगे की पढ़ाई उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय IIT से की. इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बीटेक करने के बाद उन्होंने पहली नौकरी विप्रो में की. बाद में नौकरी छोड़कर वो आगे की पढ़ाई के लिए अमेरिका चले गए. पिता ने उन्हें 75000 रुपये दिए. बोस्टन की नॉर्थईस्टर्न यूनिवर्सिटी से MBA करने के दौरान पढ़ाई के खर्च के लिए पैसे कम पड़ रहे थे. उन्होंने बर्गर शॉप में नौकरी कर ली. दिन में जॉब करते और रात में पढ़ाई करते थे.

पढ़ाई के साथ की नौकरी 

उन्होंने  पढ़ाई और नौकरी को साथ-साथ जारी रखा, ताकि पढ़ाई और रहने-खाने का खर्च मैनेज हो सके. इसी तरह से उन्होंने चार्टर्ड फाइनेंशियल एनालिस्ट की पढ़ाई पूरी की. निकेश ने एक इंटरव्यू में बताया था अमेरिका में पढ़ाई के दौरान उन्हें अपने पढ़ाई का खर्च निकालने के लिए बर्गर शॉप में सेल्समेन की नौकरी करनी पड़ी. उन्होंने सिक्युरिटी गार्ड की नौकरी भी की. उन्होंने पढ़ाई के साथ-साथ नौकरी को जारी रखा और आज इस मुकाम पर पहुंच गए हैं. 

 

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