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उधार के 25000 से खड़ा क‍िया 300 करोड़ का कारोबार, बुलंदशहर के इन दो भाइयों ने क‍िया कमाल

Success Story: बचपन में पिता को संघर्ष करते देखकर भाइयों ने कुछ बड़ा करने का सपना देखा. अपने सपने को पूरा करने के ल‍िए वे दोनों गाजियाबाद चले गए. यहां पर उन्‍होंने शुरू में होल सेलर से क्रेडिट पर एयर कूलर खरीदे और पैसा कमाने के ल‍िए उन्‍हें कम मुनाफे पर बेचा.

उधार के 25000 से खड़ा क‍िया 300 करोड़ का कारोबार, बुलंदशहर के इन दो भाइयों ने क‍िया कमाल
Kriyanshu Saraswat|Updated: Jul 22, 2025, 12:05 PM IST
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Summercool Success Story: कुछ करने की ठान लो तो हर काम मुमक‍िन है... बस उसके लि‍ए जरूरी है आपकी लगन और मेहनत की. द‍िल्‍ली के पास एक छोटे से कस्‍बे के रहने वाले दो भाईयों ने धीरे-धीरे ऐसा ब‍िजनेस खड़ा क‍िया क‍ि आज उनका सालाना टर्नओवर 300 करोड़ रुपये पर पहुंच गया है. जी हां, आज हम आपको दो ऐसे भाइयों की कहानी बता रहे हैं ज‍िनका बचपन संघर्ष में बीता. लेक‍िन उन्‍होंने उस संघर्ष के बीच कुछ ऐसा बड़ा करने का सपना देखा, ज‍िसके दम पर आज उनका ब‍िजनेस अरबों में है.

सपनों को पूरा करने के ल‍िए दोनों भाई आ गए गाजियाबाद

द‍िल्‍ली के पास बुलंदशहर ज‍िले के गुलावठी कस्‍बे में पले-बढ़े संजीव और राजीव (दोनों भाई) (Sanjeev and Rajeev Gupta) का बचपन कस्‍बे में ही गुजरा. यहीं पर उनके पापा की एक छोटी सी किराने की दुकान थी. बचपन में पिता को संघर्ष करते देखकर भाइयों ने कुछ बड़ा करने का सपना देखा. अपने सपने को पूरा करने के ल‍िए वे दोनों गाजियाबाद चले गए. यहां पर उन्‍होंने शुरू में होल सेलर से क्रेडिट पर एयर कूलर खरीदे और पैसा कमाने के ल‍िए उन्‍हें कम मुनाफे पर बेचा. शुरुआती दिनों में वे डीलरों से मिलने के लिए फरीदाबाद में स्कूटर पर घर-घर जाते थे. जैसे-जैसे धंधा आगे बढ़ा, उन्होंने एक अच्‍छा स्कूटर ले लिया.

उधार के 25000 रुपये से शुरू क‍िया काम
कूलर के काम में आगे बढ़ते हुए 1992 में संजीव और राजीव ने दोस्तों से 25,000 रुपये उधार ल‍िये और खुद के कूलर तैया करना शुय क द‍िया. इसे उन्‍होंने 'समरकूल' (Summercool) ब्रांड के नाम से लॉन्च क‍िया. उस समय उन्होंने अपना पहला कूलर 1600 रुपये में बाजार में उतारा. काम शुरू करने के दौरान संजीव और राजीव को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा. ग्राहकों का भरोसा जीतने के ल‍िए उन्‍हें कड़ी मशक्‍कत करनी पड़ी. बड़े शोरूम मालिक समरकूल के प्रोडक्‍ट को खरीदने के लि‍ए तैयार नहीं होते थे.

पहले 10 साल में म‍िली जबरदस्‍त ग्रोथ
धीरे-धीरे उनके क‍िफायती कूलर अपनी कम कीमत, अच्छी क्‍वाल‍िटी और लोगों से हुई तारीफ (वर्ड-ऑफ-माउथ) के कारण अलग पहचान बनाने में कामयाब हुए. धीरे-धीरे लोगों के बीच उनके प्रोडक्‍ट पर लोगों का भरोसा बढ़ने लगा और ब‍िना ब्रांड‍िंग के उनके प्रोडक्‍ट पर लोगों का भरोसा बढ़ने लगा. शुरुआत में उनका ब‍िजनेस तेजी से बढ़ा. पहले 10 सालों में उनकी कंपनी ने सालाना 50 गुना की दर से ग्रोथ की. यह उनके प्रोडक्‍ट की क्‍वाल‍िटी और कस्‍टमर सर्व‍िस से ही संभव हुआ.

'समरकूल' का ब‍िजनेस मॉडल
साल 2005 में उनहें एक यूनिट में आग लगने से भारी नुकसान हुआ. लेकिन मार्केट में उनकी अच्छी साख (goodwill) बहुत काम आई. डीलर और सप्लायर ने उनकी आगे बढ़कर मदद की. डिस्ट्रीब्यूटर्स ने उन्हें एडवांस पेमेंट दिया. कच्चे माल के सप्लायरों ने उन्हें उधार सामान द‍िया. इसी भरोसे के दम पर उन्होंने अपने ब‍िजनेस को फ‍िर से खड़ा कर लि‍या. इस समय उनकी कंपनी हर महीने एक लाख से ज्‍यादा प्रोडक्‍ट का प्रोडक्‍शन कर रही है.

खुद तैयार करते हैं ज्‍यादातर प्रोडक्‍ट
उनका ब‍िजनेस मॉडल काफी आसान है. 80% प्रोडक्‍ट (एलईडी टीवी और वॉशिंग मशीन को छोड़कर) वे खुद तैयार करते हैं. उनकी 90% बिक्री ऑफलाइन रिटेल स्टोर के जर‍िये होती है. कई साल की कड़ी मेहनत के दम पर संजीव और राजीव ने एयर कूलर से आगे बढ़कर अपने ब‍िजनेस को एक्‍सटेंड क‍िया है. आज, उनके प्रोडक्‍ट में सीलिंग फैन, एग्जॉस्ट फैन, रूम हीटर, एलईडी टीवी, किचन अप्लायंसेज और तेजी से बिकने वाले कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स शामिल हैं.

गाजियाबाद में समरकूल की चार मॉर्डन फैक्‍ट्री हैं और यहां करीब 200 लोग काम करते हैं. कंपनी 17 राज्यों में 250 डिस्ट्रीब्यूटर के साथ काम करती है. उनके प्रोडक्‍ट देशभर की करीब 4,000 दुकानों में उपलब्ध हैं. अब अमेजन (Amazon) और फ्लिपकार्ट (Flipkart) जैसे ऑनलाइन मार्केट उनके ब‍िजनेस में 10% का योगदान करते हैं. 

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