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टाटा की वसीयत पर मोह‍िनी ने जताई सहमत‍ि, अब बनेंगे 588 करोड़ की संपत्‍त‍ि के माल‍िक

Ratan Tata Will: रतन टाटा ने 9 अक्‍टूबर 2024 को इस दुन‍िया को अलव‍िदा कहा था. इसके बाद उनकी वसीयत में मोह‍िनी मोहन दत्‍ता का नाम भी शाम‍िल था. शुरुआत में उन्‍होंने वसीयत के एग्‍जीक्‍यूटर्स को लेकर आपत्‍त‍ि जताई थी.

टाटा की वसीयत पर मोह‍िनी ने जताई सहमत‍ि, अब बनेंगे 588 करोड़ की संपत्‍त‍ि के माल‍िक
Kriyanshu Saraswat|Updated: May 19, 2025, 07:46 AM IST
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Who is Mohini Mohan Dutta: रतन टाटा को इस दुन‍िया से गए आठ महीने पूरे होने वाले हैं. लेक‍िन अभी तक उनकी वसीयत को लागू नहीं क‍िया जा सका है. लेक‍िन अब टाटा के करीबी और ताज होटल्स ग्रुप के पूर्व डायरेक्‍टर मोहिनी मोहन दत्ता (Mohini Mohan Dutta) ने उनकी वसीयत पर सहमत‍ि जता दी है. वसीयत के आधार पर उन्हें टाटा की संपत्ति में से करीब 588 करोड़ रुपये की प्रॉपर्टी म‍िलेगी. दत्ता की सहमति से वसीयत को लागू करने का प्रोसेस तेज हो गया है. रतन टाटा की वसीयत में दर्जनों लोगों के नाम का ज‍िक्र क‍िया गया था. लेक‍िन 77 साल के मोहिनी उन लोगों में से अकेले ऐसे शख्‍स थे जिन्होंने टाटा की वसीयत में म‍िले हिस्से पर सवाल उठाया था.

क्‍या था वो न‍ियम, ज‍िससे नहीं म‍िलती 1 भी रुपये की संपत्‍त‍ि

बाकी की संपत्‍त‍ि में से दो-तिहाई संपत्ति (शेयर और अचल संपत्ति को छोड़कर) टाटा की सौतेली बहनों शिरीन जेजेभॉय (72) और डियाना जेजेभॉय (70) को मिलेगी. वहीं वसीयत की एग्‍जीक्‍यूटर भी हैं. टाटा की वसीयत को लेकर दत्ता ने शुरुआत में एक्‍जीक्‍यूटर्स से असहमति जताई थी. लेकिन वसीयत में 'नो-कॉन्टेस्ट' नियम के कारण वह इसे चुनौती नहीं दे सके. इस नियम के अनुसार वसीयत को चुनौती देने वाला व्यक्ति अपने सभी अधिकार खो देता है. दत्ता ने इस मामले पर क‍िसी तरह की टिप्पणी करने से इनकार कर दिया.

27 मार्च को बॉम्बे हाईकोर्ट में दायर की थी याचिका
वसीयत को लागू करने के लिए एग्‍जीक्‍यूटर्स की तरफ से 27 मार्च को बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी. हाल में कोर्ट ने उन्हें एक पब्‍ल‍िक नोट‍िस जारी करने और असहमति जताने वाले कानूनी वारिसों से आपत्तियां मांगने का निर्देश दिया. मोह‍िनी मोहन दत्‍ता टाटा फैम‍िली से बाहर के अकेले ऐसे शख्‍स हैं, जिन्हें इतनी बड़ी हिस्सेदारी दी गई है. टीओआई की खबर के अनुसार दत्ता वसीयत में म‍िलने वाली कीमती चीजों जैसे गणेश की मूर्ति को देखना चाहते थे, जो क‍ि उन्हें वसीयत में मिली थीं. लेकिन उन्हें टाटा के कोलाबा स्थित हालेकाई निवास में एंट्री की अनुमति नहीं दी गई.

क‍िसी तरह का प्रॉपर्टी टैक्‍स नहीं देना होगा
टाटा की संपत्‍त‍ि अभी एग्‍जीक्‍यूटर्स की देखरेख में है. वसीयत को कोर्ट से मंजूरी मिलने के बाद दत्ता को क‍िसी तरह का प्रॉपर्टी टैक्‍स नहीं देना होगा, क्योंकि भारत में वसीयत से मिली संपत्ति टैक्‍स फ्री होती है. आपको बता दें दत्ता और टाटा का रिश्ता 60 साल से भी ज्‍यादा पुराना था. दत्ता ने बताया कि उनकी रतन टाटा से पहली मुलाकात जमशेदपुर के डीलर्स हॉस्टल में हुई थी, जब वह 13 साल के थे और टाटा 25 साल के. बाद में दत्ता मुंबई चले गए और टाटा के कोलाबा स्थित बख्तावर निवास में रहने लगे. दत्ता ने यह भी बताया क‍ि उन्‍हें बनाने में वास्‍तव में टाटा का हाथ है.

दत्ता ने अपने करियर की शुरुआत ताज होटल्स की ट्रैवल डेस्क से की थी. 1986 में उन्होंने टाटा इंडस्ट्रीज की मदद से स्टैलियन ट्रैवल सर्विसेज शुरू की. उस समय टाटा की कंपनियों को स्टैलियन के जरिये ट्रैवल की व्यवस्था करने का निर्देश दिया गया था. इसके बाद साल 2006 में स्टैलियन को ताज की एक सहायक कंपनी में मिला दिया गया और दत्ता नई कंपनी, इंडिट्रैवल के डायरेक्‍टर बन गए. साल 2015 में यह ब‍िजनेस टाटा कैपिटल को ट्रांसफर हो गया और बाद में 2017 में थॉमस कुक इंडिया को बेच दिया गया. दत्ता 2019 तक थॉमस कुक में डायरेक्‍टर रहे. अब दत्ता की तरफ से सहमति जताए जाने के बाद वसीयत को लागू करने का प्रोसेस आगे बढ़ाया जाएगा. 

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