India GDP Growth: देश की ग्रोथ रेट टैक्स से जुड़े उपायों और लगातार मौद्रिक सहजता के दम पर मौजूदा वित्तीय वर्ष 2025-26 में 6.5 प्रतिशत पर रहेगी. यह आंकड़ा किसी भी जी-20 देश में सबसे ज्यादा होगी. साथ ही देश पूंजी आकर्षित करना जारी रखेगा और किसी भी विदेशी निकासी को झेल सकेगा. मूडीज रेटिंग्स ने उभरते बाजारों पर मंगलवार को अपनी रिपोर्ट जारी कर कहा कि अमेरिकी नीतियों के मंथन और ग्लोबल कैपिटल फ्लो (global capital flows), सप्लाई सीरीज, ट्रेड और जियो-पॉलिटिक्स को नया आकार देने की उसकी क्षमता के कारण ऐसी अर्थव्यवस्थाओं पर अनिश्चितता के बादल मंडरा रहे हैं. हालांकि, बड़े उभरते बाजारों के पास इससे निपटने के लिए संसाधन हैं.
आर्थिक गतिविधि उच्च स्तरों से थोड़ी धीमी हो जाएगी
रिपोर्ट में कहा गया सबसे तेजी से बढ़ती इकोनॉमी में आर्थिक गतिविधि उच्च स्तरों से थोड़ी धीमी हो जाएगी. लेकिन इस साल और अगले साल मजबूत रहेगी. चीन में बुनियादी ढांचे और प्राथमिकता वाले उच्च प्रौद्योगिकी क्षेत्रों में निर्यात और निवेश वृद्धि के उम्मीद बनी हुई है, जबकि घरेलू खपत कमजोर बनी हुई है. मूडीज ने कहा, ‘टैक्स से जुड़े उपायों और निरंतर (मौद्रिक) सहजता से समर्थित, देश की वृद्धि उन्नत और उभरते जी-20 देशों में सबसे ज्यादा रहेगी.’
GDP 6.5 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान लगाया
रेटिंग एजेंसी ने साथ ही देश में वित्त वर्ष 2025-26 के लिए 6.5 प्रतिशत की वृद्धि का अनुमान लगाया है, जो 2024-25 में 6.7 प्रतिशत से कम है. उसने महंगाई के औसतन 4.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया, जो पिछले फाइनेंशियल ईयर में 4.9 प्रतिशत थी. मूडीज ने साथ ही कहा कि अमेरिकी पॉलिसी में अनिश्चितता से पूंजी निकासी का रिस्क बढ़ेगा, लेकिन भारत और ब्राजील जैसे बड़े उभरते बाजार अपनी बड़ी और घरेलू रूप से उन्मुख इकोनॉमी, बड़े घरेलू पूंजी बाजारों, मध्यम नीति विश्वसनीयता व पर्याप्त विदेशी मुद्रा भंडार के दम पर ऐसी परिस्थितियों में वैश्विक पूंजी को आकर्षित करने और बनाए रखने के लिए बेहतर स्थिति में हैं.
रिपोर्ट में कहा गया, उभरते बाजारों की वृद्धि 2025-26 में कुल मिलाकर धीमी लेकिन दृढ़ रहेगी, जिसमें प्रत्येक देश की स्थिति के अनुरूप व्यापक अंतर होगा. एशिया-प्रशांत में वृद्धि सबसे अधिक रहेगी, लेकिन वैश्विक व्यापार में इस क्षेत्र के एकीकरण का मतलब है कि यह अमेरिकी शुल्क और वृद्धि को धीमा करने की उनकी क्षमता के प्रति सबसे अधिक संवेदनशील है. जी20 अंतरराष्ट्रीय आर्थिक सहयोग का एक प्रमुख मंच है जिसके 20 सदस्य देश हैं.