आसमान में उड़ते हुए अगर आपको महसूस हो कि आप किसी लग्जरी होटल में सफर कर रहे हैं, तो समझिए एयर इंडिया का नया अपग्रेड प्लेन असर दिखा रहा है. टाटा ग्रुप के अधिग्रहण के बाद एयर इंडिया अपने बेड़े में बड़ा बदलाव करने जा रही है और इसका मकसद यात्रियों को प्रीमियम और आरामदायक एक्सपीरिएंस देना है. एयर इंडिया ने रविवार को ऐलान किया कि वह अपने वाइडबॉडी विमानों की रेट्रोफिटिंग और नैरोबॉडी फ्लीट के सुधार की प्रक्रिया को तेज कर रही है. यह अपग्रेड योजना 400 मिलियन डॉलर (करीब 3,340 करोड़ रुपये) से ज्यादा की लागत वाली बड़े पैमाने की आधुनिकीकरण परियोजना का हिस्सा है.
वाइडबॉडी फ्लीट के लिए रेट्रोफिट कार्यक्रम में केबिन इंटीरियर का नया डिज़ाइन, आरामदायक नई सीटें, हाई-रिजॉल्यूशन इन-फ्लाइट एंटरटेनमेंट स्क्रीन और मॉर्डन लाइटिंग सिस्टम शामिल हैं. इन बदलावों से न केवल सफर आरामदायक होगा बल्कि यह अंतरराष्ट्रीय लेवल के स्टैंडर्ड्स को भी पूरा करेगा. एयरलाइन का पहला रेट्रोफिट वाइडबॉडी विमान आने वाले महीनों में सेवा में शामिल होगा.
नैरोबॉडी में भी बड़ा बदलाव
सिर्फ बड़े विमान ही नहीं, नैरोबॉडी फ्लीट को भी अपग्रेड किया जा रहा है. इसमें बेहतर सीटिंग लेआउट, अपग्रेडेड केबिन इंटीरियर और एडवांस लाइटिंग सिस्टम लगाए जा रहे हैं, ताकि यात्रियों को शॉर्ट-हॉल उड़ानों में भी लग्जरी का एक्सपीरिएंस मिले. यह आधुनिकीकरण कार्यक्रम एयर इंडिया की उस व्यापक रणनीति का हिस्सा है, जिसके जरिए वह घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों बाजारों में अपनी पकड़ मजबूत करना चाहती है. अपग्रेडेड फ्लीट का टारगेट है ज्यादा यात्रियों को आकर्षित करना, ग्राहक संतुष्टि बढ़ाना और ग्लोबल एयरलाइंस के साथ सीधी टक्कर लेना.
सुरक्षा ऑडिट से आई चुनौतियां
हालांकि, एयर इंडिया के सामने चुनौतियां भी हैं. पिछले महीने नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (DGCA) ने अपने सालाना ऑडिट में एयरलाइन के संचालन में 51 सुरक्षा खामियां पाई थीं. इनमें पुरानी ट्रेनिंग मैनुअल, पायलट ट्रेनिंग की कमी, अयोग्य सिमुलेटर और उड़ान रोस्टर मैनेजमेंट में अनियमितताएं शामिल थीं.
नया रूप, नई पहचान
100 से ज्यादा विमानों में किए जा रहे ये बदलाव पूरा होने पर एयर इंडिया की ब्रांड इमेज को एक प्रीमियम कैरियर के रूप में और मजबूती देंगे. यात्री अनुभव, आराम और सुविधा को प्रायोरिटी देने वाली यह पहल भारतीय विमानन उद्योग के लिए नए स्टैंडर्ड तय कर सकती है.