वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि अमेरिकी टैरिफ के बीच भारत की घरेलू मांग प्रमुख आकर्षण का केंद्र है. उन्होंने यह भी कहा कि इंडियन इकोनॉमी और घरेलू मांग की मजबूती देश को वृद्धि का इंजन बनाये रखेगी. सीतारमण ने लंदन में भारतीय उच्चायोग में ‘2047 तक विकसित अर्थव्यवस्था बनने के भारत के प्रयास के लिए अवसर और चुनौतियां’ विषय पर कहा कि इकोनॉमी ग्लोबल चुनौतियों से निपट रही है और घरेलू दक्षता तथा प्रतिस्पर्धी क्षमता का लाभ उठाने के लिए अच्छी स्थिति में है.
बढ़ती अर्थव्यवस्था का दर्जा बरकरार रखा
उन्होंने कहा, ‘दुनिया ने पिछले कई वर्षों से वृद्धि में नरमी देखी है. पहले, लंबे समय तक कम ब्याज की स्थिति थी और अब यह लंबे समय तक कम वृद्धि की स्थिति होने जा रही है और यह किसी के लिए भी खुशखबरी नहीं है.’ सीतारमण ने कहा, ‘भारत ने पिछले पांच साल से लगातार अपनी सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था का दर्जा बरकरार रखा है और हमें लगता है कि यह गति थोड़ी धीमी हो सकती है, लेकिन फिर भी भारत ही उस वृद्धि को बनाए रखेगा... क्योंकि हमारी वृद्धि घरेलू स्तर पर मौजूद खपत के कारण संतुलित है. यह वैश्विक मानक वाले उत्पादों की मांग द्वारा समर्थित है और यही कारण है कि 1990 के दशक से वैश्वीकरण ने भारत को कई अवसर दिये हैं.’
उन्होंने कहा, ‘अमेरिका, भारत का प्रमुख व्यापार भागीदार है. इसलिए, ऐसे समय में जब व्यापार शुल्क से व्यापार प्रभावित होने जा रहा है, हमें अभी भी यह सुनिश्चित करना होगा कि भारत में घरेलू मांग में जो ताकत है, वह वैश्विक आपूर्ति को आकर्षित करने वाले एक बड़े केंद्र के रूप में बनी रहे और उसे बढ़ावा मिले.’
वित्त मंत्री ने कहा कि इस मांग की ताकत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) और अंतरराष्ट्रीय विनिर्माण के लिए आकर्षक साबित होगी, जो घरेलू बाजार के लिए आपूर्ति करेगी और भारत से निर्यात भी करेगी. उन्होंने कहा, ‘हमें लगता है कि भारत और कुछ उभरते बाजार वृद्धि के इंजन बनने जा रहे हैं. वैश्विक वृद्धि में जो सुस्ती है, उसमें अगर तेजी आती है, तो वह इन इंजन की वजह से ही होगी.’