trendingNow12855714
Hindi News >>बिजनेस
Advertisement

बड़े बिजनेस घरानों को तगड़ा झटका, RBI गवर्नर का रहस्यमयी बयान; लाइसेंस पर पाबंदी क्यों?

देश के बड़े कॉरपोरेट घरानों को बैंकिंग क्षेत्र में कदम रखने का सपना एक बार फिर अधूरा रह सकता है. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने शुक्रवार को स्पष्ट कर दिया कि फिलहाल कॉरपोरेट कंपनियों को बैंकिंग लाइसेंस देने का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है.

बड़े बिजनेस घरानों को तगड़ा झटका, RBI गवर्नर का रहस्यमयी बयान; लाइसेंस पर पाबंदी क्यों?
Shivendra Singh|Updated: Jul 26, 2025, 09:49 AM IST
Share

देश के बड़े कॉरपोरेट घरानों को बैंकिंग क्षेत्र में कदम रखने का सपना एक बार फिर अधूरा रह सकता है. भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने शुक्रवार को स्पष्ट कर दिया कि फिलहाल कॉरपोरेट कंपनियों को बैंकिंग लाइसेंस देने का कोई प्रस्ताव विचाराधीन नहीं है. गवर्नर के इस बयान ने न केवल व्यापारिक गलियारों में हलचल मचा दी है, बल्कि इस निर्णय के पीछे की मंशा को लेकर भी कई सवाल उठ खड़े हुए हैं.

गवर्नर मल्होत्रा का कहना है कि किसी कारोबारी ग्रुप को बैंकों का लाइसेंस देना "इनहेरेंट कॉन्फ्लिक्ट ऑफ इंटरेस्ट" यानी अंतर्निहित हितों के टकराव का मामला बन जाता है. उन्होंने तर्क दिया कि जो संस्थाएं खुद पैसों का कारोबार करती हैं, उन्हें यदि आम जनता के डिपॉजिट्स तक सीधा कंट्रोल मिल जाए, तो इसका दुरुपयोग होने की आशंका बढ़ जाती है.

न्यूट्रल रुख, डेटा-ड्रिवन फैसले
संजय मल्होत्रा ने यह भी बताया कि मौद्रिक नीति समिति (MPC) का रुख फिलहाल न्यूट्रल है. इसका मतलब है कि आने वाले समय में ब्याज दरें बढ़ाई भी जा सकती हैं, घटाई भी, या फिर स्थिर भी रखी जा सकती हैं. यह पूरी तरह आने वाले डेटा और महंगाई के पूर्वानुमान पर निर्भर करेगा. उन्होंने कहा कि पॉलिसी फॉरवर्ड लुकिंग होती है और इसका फैसला 6-12 महीनों के आउटलुक पर आधारित होता है.

प्रमोटर हिस्सेदारी और बोर्ड की जिम्मेदारी
गवर्नर ने यह भी स्पष्ट किया कि प्राइवेट बैंकों में प्रमोटरों की वोटिंग राइट्स की सीमा 26% ही रहेगी और इसमें बदलाव का कोई इरादा नहीं है. RBI का मानना है कि बैंकिंग सेक्टर में विविध स्वामित्व आवश्यक है ताकि उचित चेक्स एंड बैलेंस बने रहें. साथ ही उन्होंने यह भी दोहराया कि बैंकों के संचालन की अंतिम जिम्मेदारी बोर्ड की होती है, हालांकि हर छोटी चूक के लिए बोर्ड को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता.

रुपया होगा ग्लोबल?
गवर्नर ने यह भी बताया कि RBI रुपये के अंतरराष्ट्रीयकरण के प्रयास तेज कर रहा है. भारत कुछ देशों जैसे यूएई और मालदीव के साथ व्यापारिक समझौते कर रहा है ताकि रुपये में व्यापार हो सके. हालांकि, BRICS जैसी साझा मुद्रा पर अभी कोई ठोस प्रगति नहीं हुई है.

Read More
{}{}