trendingNow12693835
Hindi News >>बिजनेस
Advertisement

न ट्रंप की टैरिफ धमकी, न ग्लोबल मंदी का होगा असर...कुलांचे मारकर दौड़ेगी भारत की इकोनॉमी, रेटिंग एजेंसी ने बताया कितनी होगी GDP की रफ्तार

अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की वापसी के बाद से दुनियाभर के देश टैरिफ वार के डर से परेशान है. अमेरिकी की गद्दी पर बैठने के साथ ही ट्रंप ने टैरिफ का चाबुक लगा दिया. कनाडा, मैक्सिको, चीन, भारत सबको टैरिफ के वार से दो-चार होना पड़ रहा है.

न ट्रंप की टैरिफ धमकी, न ग्लोबल मंदी का होगा असर...कुलांचे मारकर दौड़ेगी भारत की इकोनॉमी, रेटिंग एजेंसी ने बताया कितनी होगी GDP की रफ्तार
Bavita Jha |Updated: Mar 25, 2025, 04:13 PM IST
Share

India GDP Growth: अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप की वापसी के बाद से दुनियाभर के देश टैरिफ वार के डर से परेशान है. अमेरिकी की गद्दी पर बैठने के साथ ही ट्रंप ने टैरिफ का चाबुक लगा दिया. कनाडा, मैक्सिको, चीन, भारत सबको टैरिफ के वार से दो-चार होना पड़ रहा है. एक तरफ टैरिफ वार का डर तो वहीं वैश्विक बाजार में मंदी की आशंका के बीच भारत की इकोनॉमी अपने रफ्तार से बढ़ते रहेगी. ये बात हम नहीं बल्कि ग्लोबल रेटिंग एजेंसी की ओर से कहा जा रहा है.  

किस रफ्तार से बढ़ेगी भारत की इकोनॉमी  
 
वैश्विक अनिश्चितताओं के बीच भारत की अर्थव्यवस्था मजबूत स्थिति में है. वित्त वर्ष 26 में भारत की इकोनॉमी 6.5 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी. ये दावा ग्लोबल ब्रोकरेज फर्म बर्नस्टीन ने किया है . एजेंसी के मुताबिक भारत की अर्थव्यवस्था में आया धीमापन समाप्त हो चुका है और आगामी वित्त वर्ष (वित्त वर्ष 26) में देश की जीडीपी 6.5 प्रतिशत की दर से बढ़ेगी. 

भारत की इकोनॉमी में सकारात्मक तेजी  

भू-राजनीतिक जोखिमों जैसे अमेरिका में मंदी की संभावना और जवाबी टैरिफ पर, बर्नस्टीन ने कहा कि भारत की रणनीति के कारण आने वाले वर्षों के लिए अर्थव्यवस्था का आउटलुक सकारात्मक बना हुआ है. ग्लोबल ब्रोकरेज ने अपने नोट में कहा, वैश्विक अस्थिरता के बीच, अगर अमेरिकी मंदी आती है तो भारत लाभ उठाने की अच्छी स्थिति में है.  

भारत की विकास गति हमेशा अमेरिकी अर्थव्यवस्था से स्वतंत्र रही है और पिछले अनुभवों से पता चलता है कि आर्थिक मंदी के दौरान भारत आमतौर पर अमेरिका से पहले उबर गया था. बर्नस्टीन ने भारतीय शेयर बाजार के लिए भी सकारात्मक रुख अपनाया हुआ. नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के मुख्य सूचकांक निफ्टी 50 के लिए वर्ष के अंत तक 26,500 का लक्ष्य निर्धारित किया गया है. हालांकि, ग्लोबल ब्रोकरेज हाउस ने सतर्क रहने की भी सलाह दी है, क्योंकि वैश्विक अस्थिरता के कारण बाजार में उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकते हैं.  

अमेरिका की मंदी का फायदा 

बर्नस्टीन ने कहा कि संभावित अमेरिकी मंदी से कमोडिटीज की कीमतें भी कम हो सकती हैं, जो भारत के लिए फायदेमंद हो सकता है. ब्रोकरेज फर्म ने कहा कि कच्चा तेल, कॉपर, एल्यूमीनियम और स्टील जैसी कमोडिटीज की कीमतें अमेरिकी अर्थव्यवस्था के प्रदर्शन पर निर्भर करती हैं. ऐसी स्थिति में भारत के आयात बिल में कमी आएगी.  इससे देश में महंगाई दर में भी कमी आएगी.  

पॉजिटिव आउटलुक 

भारतीय शेयर बाजार में कई प्रमुख कारकों से तेजी जारी है, जिनमें भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद, घरेलू और विदेशी निवेशकों की मजबूत खरीदारी और भारतीय अर्थव्यवस्था का सकारात्मक आउटलुक शामिल हैं. इसके अतिरिक्त, भारतीय रुपये में स्थिरता, घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) और विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) द्वारा खरीदारी से भी निवेशकों का सेंटीमेंट सकारात्मक बना हुआ है. आईएएनएस

Read More
{}{}