जब आप भारत के सबसे अमीर लोगों की बात करते हैं, तो शायद आपके दिमाग में हाई-टेक स्टार्टअप, शेयर बाजार या बड़ी मल्टीनेशनल कंपनियों में निवेश करने वाले लोग आते होंगे. लेकिन एक चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है जो बताती है कि भारत के टॉप 1% अमीर लोग अपनी संपत्ति का सबसे बड़ा हिस्सा स्टार्टअप्स या इक्विटी में नहीं, बल्कि रियल एस्टेट और सोने में लगाते हैं. ये वो इन्वेस्टमेंट हैं जिन्हें आमतौर पर पारंपरिक और कम रिटर्न वाले समझा जाता है. फिर भी देश के सबसे रईस लोग इन्हीं पर सबसे ज्यादा भरोसा कर रहे हैं.
अमेरिका स्थित वेल्थ मैनेजमेंट फर्म बर्नस्टीन की नई रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की कुल घरेलू संपत्ति $19.6 ट्रिलियन डॉलर (लगभग ₹1,635 लाख करोड़) है. इसमें से $11.6 ट्रिलियन (करीब ₹968 लाख करोड़) केवल 1% सबसे धनी भारतीयों के पास है. और हैरानी की बात यह है कि इस 60% संपत्ति का ज्यादा हिस्सा दो जगह फिजिकल रियल एस्टेट और सोना में निवेश किया गया है.
रिपोर्ट कहती है कि इन धनी लोगों के पास $11.6 ट्रिलियन डॉलर की कुल संपत्ति में से सिर्फ $2.7 ट्रिलियन डॉलर ही उन वित्तीय परिसंपत्तियों में है जिन्हें म्यूचुअल फंड, स्टॉक्स, बीमा या बैंक डिपॉजिट के जरिए प्रबंधित किया जा सकता है. बाकी $8.9 ट्रिलियन डॉलर ऐसे एसेट्स में बंद हैं जिन्हें तुरंत मोनेटाइज या डायवर्ट नहीं किया जा सकता – जैसे कि प्रॉपर्टी, गोल्ड, प्रमोटर इक्विटी या नकद होल्डिंग.
कौन हैं ये 1%?
रिपोर्ट के अनुसार, ये टॉप 1% अल्ट्रा हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल्स (UHNI), हाई नेट वर्थ इंडिविजुअल्स (HNI)’और अन्य संपन्न वर्ग के लोग हैं. लगभग 35,000 UHNI परिवार ऐसे हैं जिनकी औसत संपत्ति $54 मिलियन डॉलर (लगभग ₹472.5 करोड़) है. इनमें से $24 मिलियन डॉलर (₹210 करोड़) वित्तीय एसेट्स के रूप में हैं.
क्या है बड़ा संकेत?
यह रिपोर्ट यह भी संकेत देती है कि भारत में एसेट मैनेजमेंट इंडस्ट्री के लिए यह एक बड़ा अवसर है. क्योंकि इस रिच वर्ग के पास अभी भी एक बड़ा हिस्सा नॉन-मैनेज संपत्तियों में है, इसलिए वेल्थ मैनेजर और इन्वेस्टमेंट फर्में इन लोगों को बेहतर फाइनेंशियल ऑप्शन देने के लिए मैदान में उतर सकती हैं.
धन और आय असमानता भी उजागर
रिपोर्ट एक अहम सामाजिक पक्ष को भी उजागर करती है. भारत में जहां आय असमानता गंभीर है, वहीं संपत्ति की असमानता और भी ज्यादा है. देश की कुल आय का 40% हिस्सा केवल टॉप 1% लोगों के पास है, जबकि बाकी 99% के हिस्से में आय और संपत्ति का बहुत ही छोटा हिस्सा आता है.