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बैंकों के लिए राहत भरी खबर, पहली बार मिला बैड लोन से आराम, NPA हुआ डाउन

लंबे अरसे बाद भारतीय बैंकों को एनपीए से बड़ी राहत मिली है.

 बैंकों के लिए राहत भरी खबर, पहली बार मिला बैड लोन से आराम,  NPA हुआ डाउन
Bavita Jha |Updated: Jul 02, 2025, 08:00 PM IST
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Bank NPA: लंबे अरसे बाद भारतीय बैंकों को एनपीए से बड़ी राहत मिली है. भारतीय रिजर्व बैंक की लेटेस्ट फाइनेंशियल स्टेबिलिटी रिपोर्ट के अनुसार, भारत के अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों को मजबूत पूंजी भंडार, कई दशकों से कम नॉन-परफॉर्मिंग लोन और मजबूत आय से समर्थन मिला है.  रिपोर्ट में कहा गया है कि देश के अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों ने अपनी परिसंपत्ति गुणवत्ता में सुधार दर्ज करना जारी रखा है, जीएनपीए रेश्यो और एनएनपीए रेश्यो क्रमशः कई दशक के निचले स्तर 2.3 प्रतिशत और 0.5 प्रतिशत पर आ गया है.  

नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स

आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, बैंकों का कुल ग्रॉस एनपीए (नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स) एक वर्ष पहले के 2.8 प्रतिशत से घटकर 31 मार्च तक कुल ऋणों का 2.3 प्रतिशत हो गया. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने एनपीए में भारी गिरावट दर्ज की, जो मार्च 2024 में 3.7 प्रतिशत से इस वर्ष मार्च में 2.8 प्रतिशत हो गया. निजी क्षेत्र के बैंकों का ग्रॉस एनपीए रेश्यो 2.8 प्रतिशत पर स्थिर रहा.  

इसके अलावा, मैक्रो स्ट्रेस टेस्ट के नतीजों से पता चला है कि अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों का कुल पूंजी स्तर प्रतिकूल तनाव परिदृश्यों में भी नियामक न्यूनतम से ऊपर बना रहेगा. वैश्विक प्रतिकूलताओं के बीच भारतीय वित्तीय क्षेत्र मजबूत बना रहा.  बैंकों और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) ने अपनी परिसंपत्ति गुणवत्ता में सुधार करते हुए अपनी पूंजी और लिक्विडिटी बफर को मजबूत किया. 

 बैंक ऋण वृद्धि में कमी आई और यह जमा वृद्धि के करीब पहुंच गई, जिससे दोनों के बीच का अंतर कम हो गया. एनबीएफसी द्वारा ऋण विस्तार को ऋण गुणवत्ता में सुधार और मजबूत पूंजी बफर से बल मिला. मौद्रिक नीति में ढील के कारण अनुकूल ब्याज दर के माहौल से आगे चलकर क्रेडिट ऑफटेक को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है.

रिपोर्ट के अनुसार, शहरी सहकारी बैंकों (यूसीबी) की पूंजी स्थिति मजबूत हुई, जबकि गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) की पूंजी नियामक न्यूनतम से काफी ऊपर रही. बीमा क्षेत्र, जीवन और गैर-जीवन दोनों क्षेत्रों का कंसोलिडेटेड सॉल्वेंसी रेश्यो न्यूनतम निर्धारित सीमा से ऊपर रहा. रिपोर्ट में कहा गया है कि अर्ध-वार्षिक स्लिपेज रेश्यो 0.7 प्रतिशत पर स्थिर रहा, जबकि मार्च 2025 में बैंकों का प्रोवजनिंग कवरेज रेश्यो 76.3 प्रतिशत था, जो सितंबर 2024 की तुलना में थोड़ा कम था.आईएएनएस

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