Nirmala Sitharaman: मोदी सरकार की स्कीम प्रधानमंत्री जन धन योजना (Pradhan Mantri Jan Dhan Yojana- PMJDY) के तहत खोले गए बैंक खातों को 10 साल पूरे हो गए हैं . केंद्र सरकार ने 28 अगस्त 2014 को जनधन योजना की शुरुआत की थी. अब तक इस योजना के तहत 55.05 करोड़ ग्राहकों के बैंक अकाउंट खोले जा चुके हैं.प्रधानमंत्री जनधन योजना का मकसद देश के गरीबों को भी बैंकों तक पहुंचाना है. इतना ही नहीं इस खाते को खोलने में एक भी रुपये का खर्चा नहीं आता. खाताधारकों को PMJDYक साथ 2 लाख रुपये का एक्सीडेंटल इश्योरेंस कवर भी मिलता है. इस अकाउंट को खोलने के लिए कोई फीस या मेंटेनेंस चार्ज नहीं लिया जाता है, यानी आपको मिनिमम बैलेंस रखने की जरूरत नहीं होती. इसके अलावा खाताधारक आपातकालीन स्थितियों के दौरान 10,000 रुपये तक ओवरड्राफ्ट की सुविधा भी दी गई है.
55 लाख अकाउंट
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने रविवार को कहा कि प्रधानमंत्री जन धन योजना के तहत गरीबों के बैंक खातों की संख्या 55 करोड़ के आंकड़े को पार कर गई है, जिनमें से अधिकतर ऐसे लोगों के हैं, जो कभी बैंक के दरवाजे तक भी नहीं गए. सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में, वित्त मंत्री ने कहा, "इस योजना के 10 साल पूरे होने और इन खातों के लिए केवाईसी अनिवार्य होने के साथ, मैंने बैंकों से आग्रह किया है कि वे सक्रिय रूप से लोगों तक पहुंच बढ़ाएं और इस प्रक्रिया को सरल बनाएं. इस संबंध में, 1 जुलाई, 2025 से शुरू होकर, बैंकों ने यह अभियान शुरू किया है, जिसके तहत अब तक लगभग 1 लाख ग्राम पंचायतों को कवर किया जा चुका है.
उन्होंने सभी जन धन खाताधारकों से इन शिविरों में भाग लेने और अपनी केवाईसी प्रक्रिया पूरी करने के लिए आगे आने का आग्रह किया. आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार, 56 प्रतिशत जन धन खाते महिलाओं के हैं और 21 मई तक इन खातों में जमा कुल राशि 2.5 लाख करोड़ रुपए से अधिक हो गई है.
हाल ही में वित्तीय समावेशन पर एक सेमिनार में आरबीआई के डिप्टी गवर्नर एम. राजेश्वर राव ने कहा कि प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई) का शुभारंभ भारत में एक महत्वपूर्ण मोड़ है. जन धन योजना ने सभी वयस्कों के लिए बैंकिंग सेवाओं तक पहुंच सुनिश्चित करने के देश के प्रयास में एक बड़ी छलांग लगाई है, जिससे यह दुनिया का सबसे बड़ा वित्तीय समावेशन कार्यक्रम बन गया है.
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के अनुसार, पीएमजेडीवाई दुनिया की सबसे बड़ी वित्तीय समावेशन पहलों में से एक है और चालू वर्ष के लिए ऐसे तीन करोड़ और खाते खोलने का लक्ष्य रखा गया है. मार्च 2015 में प्रति खाता औसत बैंक बैलेंस 1,065 रुपए था, जो अब बढ़कर 4,352 रुपए हो गया है। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, लगभग 80 प्रतिशत खाते सक्रिय हैं. 66.6 प्रतिशत जन धन खाते ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में खोले गए हैं, और 29.56 करोड़ महिला खाताधारकों के हैं.
वित्त मंत्रालय के एक बयान के अनुसार, मनरेगा वेतन से लेकर उज्ज्वला योजना की सब्सिडी और कोविड के दौरान आम लोगों को पैसा उपलब्ध कराने तक, इस योजना ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. बयान में कहा गया है कि आज, सभी बसे हुए गांवों में से 99.95 प्रतिशत लोगों को बैंकिंग टचपॉइंट्स (बैंक शाखाओं, एटीएम, बैंकिंग कॉरेस्पोंडेंट (बीसी) और भारतीय डाक भुगतान बैंकों सहित) के माध्यम से 5 किलोमीटर के दायरे में बैंकिंग सुविधाओं तक पहुंच प्राप्त है.
पीएम जन-धन योजना का उद्देश्य वंचित वर्गों जैसे कमजोर वर्गों और कम आय वर्गो को विभिन्न वित्तीय सेवाएं जैसे मूल बचत बैंक खाते की उपलब्धता, आवश्यकता आधारित ऋण की उपलब्धता, बीमा तथा पेंशन उपलब्ध कराना सुनिश्चित करना है. आईएएनएस