Income Tax Regime Selection: 31 मार्च आने वाला है और इसके साथ ही वित्त वर्ष 2024-25 पूरा हो जाएगा. 1 अप्रैल से नया फाइनेंशियल ईयर 2025-26 शुरू हो जाएगा. इसके बाद टैक्सपेयर्स को ओल्ड और न्यू टैक्स रिजीम में से किसी एक को सिलेक्ट करना होगा. हालांकि दोनों रिजीम अपने-अपने फायदों के साथ समान रूप से अच्छी हैं. लेकिन आपके लिए कौन सी रिजीम बेस्ट रहेगी, यह आपकी आमदनी, डिडक्शन और फाइनेंशियल गोल भी निर्भर करती है.
ओल्ड टैक्स रिजीम
न्यू टैक्स रिजीम को शुरू किये जाने से पहले ओल्ड टैक्स रिजम ही मौजूद थी. ओल्ड रिजीम में 70 से जयादा छूट और डिडक्शन प्रदान किया जाता है. इससे किसी की भी टैक्सेबल इनकम कम हो जाती है टैक्स लायबिलिटी कम हो जाती है. सबसे ज्यादा पसंद की जाने वाली कटौती सेक्शन 80C के तहत है, जो टैक्सेबल इनकम से 1.5 लाख रुपये तक की कमी की अनुमति देती है. ओल्ड टैक्स रिजीम के तहत कुछ प्रमुख कटौतियों में कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) में कर्मचारी का योगदान, लीव ट्रैवल अलाउंस (LTA) पर छूट, हाउस रेंट अलाउंस (HRA) पर छूट, सेक्शन 80सीसीडी (2) के तहत एनपीएस में नियोक्ता का योगदान और सेक्शन 80D के तहत हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम कटौती आदि शामिल हैं.
12 लाख तक की आमदनी टैक्स फ्री
यूनियन बजट 2025 में न्यू टैक्स रिजीम के तहत टैक्स स्लैब में बदलावों का ऐलान किया गया था. इन बदलावों को 1 अप्रैल, 2025 से लागू किया जाएगा. इसके तहत 12 लाख रुपये तक की आमदनी वालों को किसी तरह का टैक्स देने की जरूरत नहीं है. 75,000 रुपये के स्टैंडर्ड डिडक्शन के साथ कटौती की यह लिमिट 12.75 लाख रुपये तक बढ़ जाती है. न्यू रिजीम में लिमिटेड कटौती का ऑप्शन है और यह रियायती टैक्स स्लैब प्रदान करती है. न्यू रिजीम के तहत एनपीएस में एम्पलायर का योगदान, स्टैंडर्ड कटौती और रिटायरमेंट पर मिलने वाली ग्रेच्युटी टैक्स फ्री है.
ओल्ड या न्यू, क्या बेहतर?
एसबीआई जनरल इंश्योरेंस के चीफ प्रोडक्ट और मार्केटिंग ऑफिसर सुब्रमण्यम ब्रह्माजोस्युला (Subramanyam Brahmajosyula) के अनुसार, नए फाइनेंशिलय ईयर आ रहा है. ऐसे में टैक्सपेयर 2025 में आईटीआर फाइल करने की तैयारी कर रहे हैं. न्यू और ओल्ड रिजीम के बीच सिलेक्शन केलिए आदमनी, कटौतियों और वित्तीय लक्ष्यों पर सावधानीपूर्वक विचार करना जरूरी है. उन्होंने बताया, न्यू रिजीम में कम कटौती के साथ कम टैक्स देना होता है. ओल्ड रिजीम आपको लिए छूट और कटौती का दावा करने की अनुमति देती है. इससे यह ऐसे लोगों के लिए फायदेमंद हो जाती है जिनके पास संबंधित सेक्शन में शो करने के लिए कटौती है.
आसान शब्दों में आप यह भी कह सकते हैं कि ओल्ड टैक्स रिजीम लाभों के जरिये सेविंग को बढ़ावा देती है. वहीं न्यू रिजीम आसान है और इसमें कागजी कार्रवाई कम होती है. साथ ही टैक्स धोखाधड़ी की संभावना कम हो जाती है. हालांकि, आपको टैक्स रिजीम का सिलेक्शन किसी भी शख्स की वित्तीय स्थिति पर निर्भर करता है.
(डिस्क्लेमर: जी न्यूज की तरफ से किसी भी प्रकार का टैक्सेशन से संबंधित सुझाव पाठकों को नहीं दिया जाता. रिजीम सिलेक्शन का फैसला अपनी आमदनी और फाइनेंशियल एडवाइजर की सलाह के अनुसार करें.)