शेयर बाजार में एक बार फिर भूचाल सा मंजर देखने को मिल रहा है. बीते 9 ट्रेडिंग सेशन में फॉरेन इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स (FIIs) ने भारतीय बाजारों से लगभग 27000 करोड़ रुपये निकाल लिए हैं. गुरुवार को ही इस बिकवाली का चरम देखा गया, जब डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर 25% टैरिफ लगाने की घोषणा के बाद FIIs ने एक दिन में करीब ₹5,600 करोड़ की बिकवाली कर डाली. यह सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा और इन्वेस्टर्स के बीच डर का माहौल गहराता जा रहा है.
तो आखिर क्या कारण हैं इस भारी विदेशी बिकवाली के पीछे? चलिए जानते हैं वो 3 बड़े फैक्टर, जिन्होंने बाजार को हिलाकर रख दिया है.
1. डोनाल्ड ट्रंप की 25% टैरिफ बमबारी
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में भारत से आने वाले निर्यात पर 25% टैरिफ लगाने का ऐलान किया है, जिससे भारत की सेफ हेवन की छवि को बड़ा झटका लगा है. ट्रंप के बयान ने इन्वेस्टर्स में अनिश्चितता और घबराहट पैदा कर दी है. ग्लोबल ब्रोकरेज CLSA के मुताबिक, इस कदम से भारत की अमेरिका और रूस दोनों के साथ स्वतंत्र व्यापार करने की रणनीति पर भी सवाल उठते हैं.
2. बेहद कमजोर Q1 अर्निंग्स सीजन
भारत की टॉप कंपनियों की पहली तिमाही (Q1) की आय उम्मीदों से काफी कम रही. आईटी इंडेक्स ने पिछले एक महीने में ही 10% तक का नुकसान झेला है, जबकि बैंकिंग सेक्टर भी सपाट रहा. टॉप 9 प्राइवेट बैंकों की ग्रोथ सिर्फ 2.7% रही, जो संकेत देती है कि आर्थिक एक्टिविटी और क्रेडिट डिमांड में कमजोरी है. यही कारण है कि FIIs ने इंडेक्स फ्यूचर्स में अपनी नेट शॉर्ट पोजीशन को 90% तक बढ़ा दिया है, जो जनवरी की अब तक की सबसे ऊंची पोजीशन को भी पार कर चुका है.
3. डॉलर की तूफानी चाल और चीन की वापसी
डॉलर इंडेक्स इस सप्ताह 2.5% उछलकर 100 के पार पहुंच चुका है, जो दो महीने का हाई लेवल है. इससे उभरते बाजारों में डॉलर फ्लो की कमी हो रही है. साथ ही, चीन की अर्थव्यवस्था में रिकवरी की खबरें और ग्रोथ अनुमान में सुधार (अब 4.8%) ने FIIs को वहां दोबारा अट्रैक्ट किया है. भारत की तुलना में चीन की वैल्यूएशन अब ज्यादा सस्ती दिख रही है, जिससे कैपिटल का फ्लो उस ओर बढ़ गया है.
घबराहट में भी छिपा है अवसर?
हालांकि, कुछ एक्सपर्ट इस भारी बिकवाली को ‘खरीद का अवसर’ मान रहे हैं. सनिल सुब्रमणियम के अनुसार, डोमेस्टिक इंस्टीट्यूशनल इन्वेस्टर्स (DIIs) इस समय तरलता से भरे हैं और घबराहट वाले ऐसे दौर में वे भारी निवेश कर सकते हैं. वहीं, ऐतिहासिक आंकड़ों के अनुसार, जब-जब FII का लॉन्ग-टू-शॉर्ट रेश्यो 0.15 से नीचे गया है, Nifty ने अगले सीरीज में औसतन 7% की उछाल दिखाई है.
अभी तो आंधी है या स्थायी बदलाव?
अभी यह स्पष्ट नहीं है कि यह FII का आउटफ्लो एक तत्काल का डर है या ग्लोबल इन्वेस्टमेंट पैटर्न में कोई गहरा बदलाव. पर इतना तय है कि आने वाले हफ्तों में बाजार की चाल विदेशी बिकवाली और घरेलू इन्वेस्टर्स की खरीद के बीच की खींचतान से तय होगी. इन्वेस्टर्स के लिए यह वक्त समझदारी से फैसले लेने का है.