Govt Banking System: देश में कई प्राइवेट और सरकारी बैंक काम कर रहे हैं. लेकिन अब वह दिन दूर नहीं जब देश में कुछ और प्राइवेट बैंक आपको काम करते नजर आएंगे. इस क्रम में कुछ नए मंजूरी देने के साथ ही कुछ एनबीएफसी को भी बैंक का दर्जा दिया जा सकता है. जी हां, यह सब सरकार की बड़ी प्लानिंग का हिस्सा है. दरअसल, प्रधानमंत्री मोदी ने 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने का लक्ष्य रखा है. इसके लिए बैंक फंडिंग को GDP के 56% से बढ़ाकर 130% करने की जरूरत है. अब सरकार की तरफ से करीब 10 साल बाद देश में नए बैंक शुरू करने का प्लान किया जा रहा है.
बड़े, मजबूत और ज्यादा बैंक बनाने पर विचार
ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि वित्त मंत्रालय और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के अधिकारियों के बीच देश के बैंकिंग सेक्टर को आगे बढ़ाने के लिए चर्चा चल रही है. इसका मकसद देश की इकोनॉमिक ग्रोथ को लंबे समय तक सपोर्ट करना है. रिपोर्ट के अनुसार सरकार और आरबीआई (RBI) कई प्लान पर विचार कर रहे हैं ताकि बड़े, मजबूत और ज्यादा बैंक बनाए जा सकें. इनसे देश की इकोनॉमिक ग्रोथ को सपोर्ट मिलेगी. चर्चा अभी शुरुआती दौर में है और इसको लेकर किसी तरह का अंतिम फैसला नहीं हुआ है.
बड़ी कंपनियों को बैंकिंग लाइसेंस देने का प्लान
रिपोर्ट में यह भी दावा किया गया कि अधिकारी बड़ी कंपनियों को बैंकिंग लाइसेंस देने पर भी विचार कर रहे हैं. इसके लिए शेयरहोल्डिंग पर कुछ पाबंदियां हो सकती हैं. सरकार के प्लान के अनुसार एनबीएफसी ((NBFCs) को बैंक का दर्जा देने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है. इसके अलावा विदेशी निवेशकों के लिए सरकारी बैंकों में हिस्सेदारी बढ़ाने के प्रोसेस को आसान करने पर भी विचार हो रहा है. इस पर वित्त मंत्रालय और आरबीआई (RBI) की तरफ से किसी तरह का ऑफिशियल बयान नहीं आया है.
आखिरी बार 2014 में जारी हुए थे बैंकिंग लाइसेंस
शुक्रवार को बंद हुए कारोबारी सत्र के दौरान निफ्टी PSU बैंक इंडेक्स (सरकारी बैंकों को ट्रैक करता है) शुरूआती 0.8% की गिरावट के बाद 0.5% की तेजी के साथ बंद हुआ. इस साल यह इंडेक्स 8% बढ़ चुका है. आपको बता दें सरकार की तरफ से आखिरी बार 2014 में नए बैंकिंग लाइसेंस जारी किये गए थे. साल 2016 में बड़े औद्योगिक और व्यापारिक समूहों को बैंकिंग लाइसेंस लेने से रोक दिया गया था. अब इस पॉलिसी पर फिर से विचार किया जा सकता है.
छोटे बैंकों को मिलाकर बड़े बैंक बनाने का भी प्लान
रिपोर्ट के अनुसार छोटे बैंकों को मिलाकर बड़े बैंक बनाने का भी प्लान है. साउथ इंडिया में, जहां ऐपल जैसी कंपनियां मैन्युफैक्चरिंग बढ़ा रही हैं, वहां कुछ NBFCs को पूर्ण बैंकिंग लाइसेंस लेने के लिए प्रोत्साहित किया जा सकता है. ब्लूमबर्ग के आंकड़ों के अनुसार, दुनिया के शीर्ष 100 बैंकों में केवल दो भारतीय बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) और HDFC बैंक हैं. वहीं, चीन और अमेरिका के बैंक शीर्ष 10 में हावी हैं.
2047 तक देश को विकसित अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य
दरअसल, भारत का बैंकिंग सेक्टर दुनिया में सबसे सख्त नियमों वाला है. सरकारी बैंकों में विदेशी निवेश की लिमिट 20% है. इसके लिए सरकार की मंजूरी जरूरी है. इस लिमिट को बढ़ाने पर विचार किया जा सकता है, लेकिन सरकार सरकारी बैंकों में अपना मेजर शेयर रखना चाहती है. प्रधानमंत्री मोदी ने 2047 तक देश को विकसित अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य रखा है. इसके लिए बैंक फंडिंग को GDP के 56% से बढ़ाकर 130% करने की जरूरत है.
मई के महीने में आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने टीओआई को बताया था कि RBI अपने लाइसेंसिंग ढांचे की समीक्षा कर रहा है. इसका मकसद इकोनॉमी की बदलती जरूरतों को पूरा करना है. उन्होंने कहा कि मजबूत और भरोसेमंद बैंक बनाना जरूरी है. भारतीय बैंकिंग सेक्टर में विदेशी रुचि बढ़ रही है. मई में जापान की सुमितोमो मित्सुई फाइनेंशियल ग्रुप ने यस बैंक में 20% हिस्सेदारी के लिए 13,500 करोड़ रुपये का निवेश किया. यह बैंकिंग सेक्टर में अब तक का सबसे बड़ा विदेशी निवेश है.