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जिसे ट्रंप बता रहे हैं Dead इकोनॉमी, उसकी क्या है बिसात...आरबीआई गवर्नर ने आंकड़ों से दिया अमेरिका को करारा जवाब

India GDP:  रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने आर मैद्रिक समीक्षा बैठक के फैसलों का ऐलान किया. भले ही रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया, लेकिन देश की आर्थिक सेहत का पूरा हाल बताकर बड़ी राहत दी. महंगाई के मोर्चे से लेकर देश के जीडीपी ग्रोथ अनुमान का पूरा ब्यौरा दिया गया.

जिसे ट्रंप बता रहे हैं Dead इकोनॉमी, उसकी क्या है बिसात...आरबीआई गवर्नर ने आंकड़ों से दिया अमेरिका को करारा जवाब
Bavita Jha |Updated: Aug 06, 2025, 04:24 PM IST
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RBI On GDP: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने आर मैद्रिक समीक्षा बैठक के फैसलों का ऐलान किया. भले ही रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया गया, लेकिन देश की आर्थिक सेहत का पूरा हाल बताकर बड़ी राहत दी. महंगाई के मोर्चे से लेकर देश के जीडीपी ग्रोथ अनुमान का पूरा ब्यौरा दिया गया. आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस ने देश की जीडीपी, महंगाई को लेकर जो आंकड़े दिए वो अमेरिका राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को जरूर जानना चाहिए. ट्रंप, जिन्होंने भारत की अर्थव्यवस्था को डेड इकोनॉमी बताकर मजाक उड़ाया ये आंकड़े उनकी नींद उड़ाने के लिए काफी है. 

भारत की जीडीपी ग्रोथ के आंकड़े 
  
आरबीआई के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने साफ कहा कि भारत की अर्थव्यवस्था बहुत मजबूत है और वैश्विक बदलावों के बीच भी इसका भविष्य उज्ज्वल है. उन्होंने कहा कि टैरिफ का असर देश की इकोनॉमी या जीजीपी ग्रोथ को बहुत प्रभावित नहीं करने वाला है. उन्होंने  कहा कि भारत की जीडीपी ग्रोथ 2025-26 में 6.5% रहेगी, जैसा पहले अनुमान था.

अमेरिकी टैरिफ का बड़ा असर नहीं 
 भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि जब तक कि कोई जवाबी टैरिफ न लगाया जाए, अमेरिकी टैरिफ बढ़ोतरी का भारतीय अर्थव्यवस्था पर कोई बड़ा असर नहीं पड़ेगा.  उन्होंने कहा कि अमेरिकी टैरिफ को लेकर जारी अनिश्चितता का भारतीय अर्थव्यवस्था पर कोई बड़ा असर नहीं पड़ सकता है.  यह जवाबी टैरिफ के लागू होने पर निर्भर है, जिसकी हमें कोई उम्मीद नहीं है.   

मजबूत है देश की इकोनॉमी 

आरबीआई गवर्नर मल्होत्रा ने यह भी बताया कि आरबीआई ने कुछ वैश्विक अनिश्चितताओं को ध्यान में रखते हुए अपने जीडीपी विकास अनुमान को पहले ही 6.7 प्रतिशत से घटाकर 6.5 प्रतिशत कर दिया है. उन्होंने आगे कहा कि आरबीआई को विश्वास है कि उसका विदेशी मुद्रा भंडार 11 महीने के आयात के लिए पर्याप्त है. उन्होंने कहा, हमें अपनी जरूरतें बाहरी क्षेत्र से पूरी करने का पूरा भरोसा है.  

रूसी तेल की खरीद कम करने पर क्या असर  

भारत द्वारा रूसी तेल की खरीद कम करने पर घरेलू मुद्रास्फीति के संभावित प्रभाव के बारे में उन्होंने कहा कि यह ध्यान रखना जरूरी है कि भारत केवल रूस से ही नहीं, बल्कि कई दूसरे देशों से तेल खरीदता है. उन्होंने आगे कहा, हमें दो बातों का ध्यान रखना होगा पहली यह कि हम न केवल रूसी तेल ले रहे हैं, बल्कि कई अन्य देशों से भी तेल ले रहे हैं. अगर मिश्रण में बदलाव होता है तो इसकी कीमतों पर पड़ने वाले प्रभाव और कच्चे तेल की वैश्विक कमोडिटी कीमतें क्या रहेंगी, यह इन बातों पर निर्भर करेगा.  दूसरी बात यह कि उत्पाद शुल्क और दूसरे टैरिफ के रूप में इसका कितना प्रभाव सरकार वहन करती है, यह इस बात पर निर्भर करेगा.  आईएएनएस

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