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RBI की सख्ती: HDFC बैंक पर ₹4.88 लाख और श्रीराम फाइनेंस पर ₹2.70 लाख का ठोका जुर्माना

भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने शुक्रवार को बैंकिंग नियमों के उल्लंघन पर दो प्रमुख वित्तीय संस्थानों HDFC बैंक और श्रीराम फाइनेंस लिमिटेड पर जुर्माना ठोक दिया है. HDFC बैंक पर विदेशी निवेश से जुड़े नियमों के उल्लंघन के चलते ₹4.88 लाख का जुर्माना लगाया गया है.

RBI की सख्ती: HDFC बैंक पर ₹4.88 लाख और श्रीराम फाइनेंस पर ₹2.70 लाख का ठोका जुर्माना
Shivendra Singh|Updated: Jul 11, 2025, 11:03 PM IST
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भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने शुक्रवार को बैंकिंग नियमों के उल्लंघन पर दो प्रमुख वित्तीय संस्थानों HDFC बैंक और श्रीराम फाइनेंस लिमिटेड पर जुर्माना ठोक दिया है. HDFC बैंक पर विदेशी निवेश से जुड़े नियमों के उल्लंघन के चलते ₹4.88 लाख का जुर्माना लगाया गया है, जबकि श्रीराम फाइनेंस लिमिटेड पर डिजिटल लेंडिंग से जुड़े निर्देशों का पालन न करने के कारण ₹2.70 लाख की पेनल्टी लगाई गई है.

आरबीआई के अनुसार, HDFC बैंक को एक टर्म लोन प्रदान करते समय भारत में विदेशी निवेश से संबंधित कुछ मानदंडों का उल्लंघन करते हुए पाया गया. इस मामले में बैंक को एक कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था. बैंक ने इसके जवाब में लिखित सफाई दी और मौखिक प्रस्तुतियाँ भी दीं.

हालांकि, आरबीआई ने मामले की पूरी जांच और बैंक की दलीलों को ध्यान में रखते हुए पाया कि नियमों का उल्लंघन स्पष्ट रूप से हुआ है और इसलिए बैंक पर ₹4.88 लाख का जुर्माना लगाया जाना जरूरी है. यह जुर्माना बैंक की ‘अधिकृत विक्रेता श्रेणी के अंतर्गत लगाए गए नियमों के उल्लंघन पर आधारित है.

श्रीराम फाइनेंस लिमिटेड पर कार्रवाई का कारण
श्रीराम फाइनेंस लिमिटेड की आरबीआई द्वारा मार्च 31, 2024 की स्थिति के अनुसार वैधानिक निरीक्षण किया गया था. इस निरीक्षण के दौरान यह पाया गया कि कंपनी ने ‘भारतीय रिजर्व बैंक (डिजिटल ऋण) निर्देश, 2025 के कुछ प्रावधानों का पालन नहीं किया है. विशेष रूप से, कंपनी ने लोन रिपेमेंट की राशि को लोन लेने वाले से सीधे प्राप्त करने के बजाय एक तीसरे पक्ष के खाते के माध्यम से रूट किया. यह नियमों के विरुद्ध है, क्योंकि डिजिटल लेंडिंग निर्देश स्पष्ट रूप से ऋण राशि की डायरेकट रिकवरी की बात करते हैं.

इस गैर-अनुपालन के लिए भी कंपनी को एक कारण बताओ नोटिस भेजा गया था. जवाब में कंपनी ने लिखित और मौखिक प्रस्तुतियां दीं, लेकिन आरबीआई ने पाया कि उल्लंघन साबित होता है और ₹2.70 लाख का जुर्माना उचित है.

केवल अनुपालन की चूक पर कार्रवाई
आरबीआई ने यह भी स्पष्ट किया कि इन जुर्मानों का उद्देश्य इन संस्थानों द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए लेन-देन की वैधता पर प्रश्न उठाना नहीं है, बल्कि यह केवल रेगुलेटरी कंप्लायंस की कमियों के कारण की गई कार्रवाई है.

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