RBI Repo Rate: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (Monetary Policy) नीतिगत दर में वृद्धि की रफ्तार को कम कर सकती है. डॉयचे बैंक की तरफ से यह राय जताई गई. डॉयचे बैंक (Deutsche Bank) का अनुमान है कि रिजर्व बैंक (RBI) सितंबर की मौद्रिक समीक्षा में रेपो रेट में चौथाई प्रतिशत की बढ़ोतरी कर सकता है. केंद्रीय बैंक इस साल मई से लेकर अगस्त तक रेपो रेट में 1.40 प्रतिशत की बढ़ोतरी कर चुका है. मुद्रास्फीति लगातार रिजर्व बैंक के छह प्रतिशत के संतोषजनक स्तर से ऊपर बनी हुई है, जिसके मद्देनजर केंद्रीय बैंक ने नीतिगत दरों में तीन बार में 1.40 प्रतिशत की वृद्धि की है.
सितंबर के बाद ब्याज दर को कम करेगा आरबीआई!
जर्मनी के बैंक ने एक रिपोर्ट में कहा कि यहां से रिजर्व बैंक ब्याज दरों में वृद्धि की रफ्तार को कम करेगा. इससे पहले अगस्त के पहले सप्ताह में आरबीआई ने रेपो रेट में 50 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी का ऐलान किया था. इस बढ़ोतरी के साथ ही केंद्रीय बैंक ने रेपो रेट को कोरोना महामारी के पहले के रेपो रेट यानी 5.5% के करीब 5.40 प्रतिशत कर दिया है.
तेजी से आगे बढ़ेगी अर्थव्यवस्था
रेपो रेट में बढ़ोतरी का ऐलान करते हुए आरबीआई गर्वनर शक्तिकांत दास ने कहा था कि भारतीय अर्थव्यवस्था ऊंची मुद्रास्फीति से जूझ रही है और इसे नियंत्रण में लाना जरूरी है. दास ने कहा, 'मौद्रिक नीति समिति ने मुद्रास्फीति को काबू में लाने के लिये नरम नीतिगत रुख को वापस लेने पर ध्यान देने का भी फैसला किया है.' शक्तिकांत दास ने कहा कि हमारी अर्थव्यवस्था के तेजी से बढ़ने का अनुमान आईएमएफ से लेकर कई संस्थाओं ने दिया है और ये सबसे तेजी से आगे बढ़ेगी.
क्या है रेपो रेट?
गौरतलब है कि रेपो रेट वह दर है जिस पर की बैंक को RBI द्वारा कर्ज दिया जाता है और फिर इसी के आधार पर बैंक ग्राहकों को कर्ज देते हैं, जबकि रिवर्स रेपो रेट वह दर है जिस पर बैंकों की ओर से जमा राशि पर RBI उन्हें ब्याज देती है. ऐसे में, जब आरबीआई रेपो रेट बढ़ाती है तब बैंकों पर बोझ बढ़ता है और बैंक की तरफ से तब बैंक रेट में यानो लोन महंगा होता है.
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