अगर आपके किसी करीबी का बैंक अकाउंट, लॉकर या सेफ कस्टडी में सामान है और उनके निधन के बाद बैंक ने आपके दावे के निपटारे में देरी की, तो अब उन्हें भारी कीमत चुकानी पड़ेगी. रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने एक बड़ा कदम उठाते हुए बैंकों को सख्त चेतावनी दी है कि मृत ग्राहक के खाते और लॉकर से जुड़े दावे 15 दिनों के भीतर निपटाने होंगे. तय समयसीमा से ज्यादा देरी हुई, तो बैंक को ग्राहकों के परिजनों को मुआवजा देना होगा.
RBI के ड्राफ्ट सर्कुलर के अनुसार, बैंकों को मृत ग्राहक के डिपॉजिट अकाउंट, सेफ डिपॉजिट लॉकर और सेफ कस्टडी आर्टिकल्स से जुड़े सभी दावे 15 दिन के अंदर निपटाने होंगे. देरी होने पर बैंक को जमा राशि पर बैंक रेट (वर्तमान में 5.75%) से 4% अतिरिक्त ब्याज सालाना के हिसाब से देना होगा. वहीं, लॉकर से जुड़े मामलों में देरी पर ₹5000 प्रति दिन का मुआवजा देना पड़ेगा.
दस्तावेज क्या होंगे जरूरी
अगर खाते में नामांकित व्यक्ति (Nominee) है, तो केवल डेथ सर्टिफिकेट, क्लेम फॉर्म और सरकारी आईडी कार्ड देने पर दावा निपट जाएगा. वहीं, अगर कोई नॉमिनी नहीं है, तो कानूनी वारिसों को इंडेम्निटी बॉन्ड, अन्य वारिसों का ‘नो ऑब्जेक्शन’ सर्टिफिकेट और लीगल हेयर सर्टिफिकेट देना होगा. लॉकर के मामले में भी यही नियम लागू होंगे. अगर वसीयत विवादित है, तो कोर्ट से प्रोबेट, लेटर ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन या सक्सेशन सर्टिफिकेट पेश करना होगा. बिना विवाद वाली वसीयत को बैंक कोर्ट के आदेश के बिना भी स्वीकार कर सकते हैं.
पारदर्शिता और सुविधा पर जोर
RBI ने साफ कहा है कि यह मुआवजा ग्राहकों को राहत देने के लिए है, न कि सेंट्रल बैंक को मिलने वाली कोई पेनाल्टी. सभी बैंकों को अपनी दावे की प्रक्रिया को पारदर्शी, आसान और ऑनलाइन व ऑफलाइन दोनों माध्यमों से उपलब्ध कराना होगा. साथ ही, हर चरण की जानकारी ग्राहक या वारिस को स्पष्ट रूप से देनी होगी. आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा ने कहा कि हमारा मकसद बैंक खातों और लॉकर से जुड़े दावों की प्रक्रिया को एकरूप और सुविधाजनक बनाना है, ताकि लोगों को किसी भी तरह की परेशानी न हो.
कब से लागू होंगे नए नियम
इन प्रस्तावों पर आपत्तियां और सुझाव लेने के बाद अंतिम दिशा-निर्देश 1 जनवरी 2026 से लागू होंगे. इसके बाद बैंक ग्राहकों के दावों में देरी नहीं कर पाएंगे, वरना उन्हें जेब ढीली करनी पड़ेगी.