RBI Repo Rate: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के रेपो रेट में कटौती और मौद्रिक नीति के रुख को ‘उदार’ करने का कदम ट्रेड वॉर के बीच इकोनॉमी को रफ्तार देने की दिशा में उठाया गया कदम है. बैंक अधिकारियों ने कहा इससे अन्य क्षेत्रों के अलावा सूक्ष्म, लघु व मझोले उद्यमों (MSME) के लिए लोन लेने की लागत कम होने की उम्मीद है. इंडियन ओवरसीज बैंक के एमडी और सीईओ अजय श्रीवास्तव ने कहा कि रेपो रेट में 0.25 प्रतिशत की कटौती का फैसला ट्रेड वॉर के बढ़ते तनाव के बीच इकोनॉमी को आगे बढ़ाने की दिशा में बेहतर कदम है. इस साल नीतिगत दर में लगातार दूसरी कटौती प्रमुख क्षेत्रों में विकास को प्रोत्साहित करने के लिए बैंकिंग क्षेत्र के हित को केंद्र में रखने का प्रमाण है.
कटौती से लोन की लागत कम होने की संभावना
उन्होंने कहा, एमएसएमई (MSME) के लिए इस कटौती से लोन की लागत कम होने की संभावना है. इससे इस सेक्टर की ग्रोथ और इनोवेशन करने की क्षमता बढ़ेगी. इंडियन बैंक के एमडी और सीईओ बिनोद कुमार ने कहा, ‘रबीआई के इस कदम से एमएसएमई और खुदरा मांग दोनों को सपोर्ट मिलने की उम्मीद है. एमएसएमई सेक्टर का देश की जीडीपी में करीब 30 प्रतिशत और एक्सपोर्ट में 40 प्रतिशत से ज्यादा का योगदान है. इस कदम से फायदा होगा क्योंकि इससे ऋण लागत कम होगी और नकदी प्रवाह में सुधार होगा, जो उभरते बाजार की गतिशीलता में सुधार और विकास के लिए अहम है.
व्हीकल और पर्सनल लोन की मांग में तेजी की उम्मीद
उन्होंने कहा, हम लोन की बेहतर मांग की उम्मीद कर रहे हैं क्योंकि एमएसएमई हमारे लोन सेग्मेंट का अहम हिस्सा है. इस कटौती से खासकर मझोले और छोटे शहरों (टियर दो और टियर तीन) में घर, वाहन और पर्सनल लोन की मांग में तेजी की संभावना है. कुमार ने यह भी कहा कि इंडियन बैंक अपने कस्टमर को तेजी से लाभ पहुंचाने के लिए पूरी तरह तैयार है, जिससे समावेशी लोन वृद्धि सुनिश्चित हो सके.
एसबीएम बैंक इंडिया के ट्रेजरी प्रमुख मंदार पिताले ने कहा कि आरबीआई का रेपो दर में कटौती का कदम समय के अनुरूप है. इससे उपभोग व निवेश आधारित वृद्धि दोनों को समर्थन मिलेगा. उन्होंने कहा कि साथ ही मौद्रिक नीति रुख को ‘उदार’ किया गया है. इससे आने वाले समय में ब्याज दर में और नरमी आने की उम्मीद है. यह अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित करने की दिशा में उठाया गया कदम है.