How Much Gold Reserve in RBI: रिजर्व बैंक भारत का केंद्रीय बैंक है जिसे देश के करेंसी सिस्टम को संभालने की जिम्मेदारी सौंपी गई है. क्या आप जानते हैं कि इस बैंक के पास सोने का अथाह भंडार है. क्यों? इसे समझने के लिए करीब 35 साल पीछे जाना होगा. 1991 की क्राइसिस के बाद अब तक रिजर्व बैंक भारत का गोल्ड रिजर्व कई गुना बढ़ा चुका है. उस समय रिजर्व बैंक को एक कठिन फैसला लेना पड़ा था लेकिन यह काफी जरूरी था. 21 हजार किलो की यह कीमती पीली धातु देश से बाहर भेजी गई थी. अखबार में तब 'Secret Sale of Gold' हेडिंग के साथ खबरें छपी थीं.
मुंबई के आरबीआई कार्यालय से कुछ एंबेसडर गाड़ियों में भरकर सोना एयरपोर्ट लाया गया था, जहां एक विशेष विमान उसे लेकर लंदन उड़ गया था. तब भारत का पेमेंट का संतुलन गड़बड़ाया हुआ था. इसे सरकारों, दूसरी एजेंसियों या लोन के जरिए पूरा किया जाता था. हालांकि पहले से उधारी ज्यादा थी, तेल की कीमतें भी बढ़ गईं. ऐसे में स्थिति यहां तक पहुंच गई कि आयात के लिए तीन हफ्ते का ही विदेशी मुद्रा भंडार बचा था.
IMF मुख्यालय में बात करने के लिए आरबीआई की टीम पहुंची. रोज सुबह मीटिंग हो रही थी तभी रात में खबर आई कि चंद्रशेखर की सरकार गिर गई. भारतीय टीम आईएमएफ को आश्वस्त करने में सफल रही लेकिन भारत को मौजूदा संकट से निकलने के लिए तत्काल एक लोन की भी जरूरत थी. आरबीआई ने बैंक ऑफ इंग्लैंड और बैंक ऑफ जापान के साथ 405 मिलियन डॉलर का लोन अरेंज किया लेकिन इसके लिए एक भारी कीमत चुकानी पड़ी.
हां, भारत सरकार को तब 21,000 किलो सोना गिरवी रखना पड़ा था. 1991 में गिरवी रखा गया सोना भारत ने सिर्फ छह महीने में छुड़ा लिया था और इसके बदले में मिला लोन भारत के लिए संजीवनी साबित हुआ. देश की इकॉनमी दौड़ पड़ी. भारत की अर्थव्यवस्था उदारीकरण की तरफ चल दी. देश में कई बदलाव आए.
सोना और आरबीआई
दरअसल, आरबीआई देश के गोल्ड रिजर्व का संरक्षक है. ये सोना बहुत ही सेफ जगहों पर रखा जाता है और बहुत कम लोगों को वहां तक पहुंचने की अनुमति है. आरबीआई के तहखानों में रखा गया सोना ईंटों के रूप में रखा गया है. इसमें से हर एक ईंट का वजन 12.50 किलोग्राम है. इसे आप आराम से उठा नहीं सकते. यह काफी भारी होता है. आरबीआई के पास सोने का भंडार 870 टन से ज्यादा है. आरबीआई खुद मानता है कि इकॉनमी बढ़ती है, घटती है लेकिन सोना हमेशा के लिए रहता है. इसी सोने की बदौलत आप कह सकते हैं कि भारत की डायनासोर रूपी अर्थव्यवस्था अब एक चीते की रफ्तार ले चुकी है.