कर्नाटक के गोकर्ण में एक गुफा में रह रही रूसी महिला की कहानी किसी फिल्मी कहानी से कम नहीं है. नीना कुटीना नाम की यह 40 वर्षीय महिला बीते कई वर्षों से भारत में रह रही हैं, वो भी अपने दो छोटे बच्चों के साथ. हाल ही में जब स्थानीय प्रशासन ने उन्हें गुफा से बाहर निकाला तो वह बेहद दुखी नजर आईं. पूछताछ में नीना ने जो बातें बताईं, उन्होंने सभी को हैरान कर दिया.
नीना का वीजा साल 2017 में खत्म हो गया था, लेकिन वह रूस नहीं लौटीं. कारण? उनका कहना है कि उन्होंने अपने कई करीबी लोगों को खोया, मेंटल और इमोशनल झटकों ने उन्हें तोड़ दिया था. ऐसे में भारत का सुकून और प्रकृति उन्हें संबल देती रही. उन्होंने बताया कि बीते 15 सालों में वह करीब 20 देशों में घूम चुकी हैं, लेकिन भारत जैसा अपनापन कहीं नहीं मिला.
खुद की दोनों बच्चों की डिलीवरी
नीना ने बताया कि उन्होंने अपने दोनों बच्चों की डिलीवरी खुद की, वो भी बिना किसी डॉक्टर या अस्पताल की मदद के. उनका मानना है कि शरीर और प्रकृति के साथ जुड़ाव रखने पर सब कुछ मुमकिन है. गुफा में उनका जीवन बेहद सादा था. सूरज के साथ उठना, नदी में तैरना, आग या गैस पर मौसम के हिसाब से खाना पकाना और बच्चों को पढ़ाना. मनोरंजन के लिए पेंटिंग बनाना, म्यूजिक वीडियो तैयार करना और किताबें पढ़ना उनके रूटीन का हिस्सा था.
कमाई का जरिया क्या?
कमाई की बात करें तो नीना पेंटिंग बेचकर, म्यूजिक वीडियो बनाकर और जरूरत पड़ने पर बच्चों को पढ़ाकर या बेबीसिटिंग कर अपनी आय जुटाती थीं. जब काम नहीं होता तो उनके भाई, पिता या बेटे से मदद मिल जाती थी. नीना ने कहा कि हमारी जरूरतें कम थीं, इसलिए हमारे पास जो पैसा था, वो पर्याप्त लगता था. भारत में रहकर उन्हें न केवल आत्मनिर्भरता का एहसास हुआ, बल्कि अंदरूनी शांति भी मिली.
भारत छोड़ने का इरादा नहीं
नीना अब रूसी दूतावास के संपर्क में हैं, लेकिन भारत को छोड़ने का उनका कोई इरादा नहीं है. उनका कहना है कि भारत का पर्यावरण, लोग और संस्कृति उन्हें सुकून देती है, और शायद यही कारण है कि उन्होंने गुफा को भी अपना घर बना लिया.