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इकोनॉमी के मोर्चे पर एक और झटका देने वाली खबर, अब SBI ने घटाया GDP ग्रोथ का अनुमान, क्यों अर्थव्यवस्था पर आई ये मुसीबत

भारतीय अर्थव्यवस्था  के मोर्चे पर एक और झटके वाली खबर आई है. राष्ट्रीय सांख्यिकी ऑफिस के बाद अब एसबीआई ने जीडीपी ग्रोथ के अनुमान को घटा दिया है.

 इकोनॉमी के मोर्चे पर एक और झटका देने वाली खबर, अब SBI ने घटाया GDP ग्रोथ का अनुमान, क्यों अर्थव्यवस्था पर आई ये मुसीबत
Bavita Jha |Updated: Jan 08, 2025, 05:10 PM IST
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India GDP Growth: भारतीय अर्थव्यवस्था  के मोर्चे पर एक और झटके वाली खबर आई है. राष्ट्रीय सांख्यिकी ऑफिस के बाद अब एसबीआई ने जीडीपी ग्रोथ के अनुमान को घटा दिया है. देश की सबसे बड़ी सरकारी बैंक, भारतीय स्टेट बैंक (State Bank Of India) ने भी भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास की रफ्तार के गति पर ब्रेक लगने की भविष्याणी कर दी है. 

अर्थव्यवस्था के मोर्चे पर लग सकता है झटका  
 
एसबीआई रिपोर्ट नयी दिल्ली, आठ जनवरी (भाषा) देश के अग्रणी बैंक एसबीआई की एक शोध रिपोर्ट में बुधवार को कहा गया कि चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर लगभग 6.3 प्रतिशत रहने की उम्मीद है, जो 6.4 प्रतिशत के सरकारी अनुमान से थोड़ा कम है. एक दिन पहले ही राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) ने वित्त वर्ष 2024-25 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर चार साल के निचले स्तर 6.4 प्रतिशत पर रहने का अनुमान जताया है. 

RBI का क्या है अनुमान 

विनिर्माण क्षेत्र के खराब प्रदर्शन और कमजोर निवेश के कारण वृद्धि दर धीमी होने की बात कही गई.  इसके पहले भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने दिसंबर में कहा था कि चालू वित्त वर्ष में वृद्धि दर 6.6 प्रतिशत रह सकती है.  भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की शोध रिपोर्ट ‘इकोरैप’ के मुताबिक, आरबीआई और एनएसओ के अनुमानों के बीच का अंतर हमेशा ही 0.20-0.30 प्रतिशत की सीमा में रहता आया है. लिहाजा वित्त वर्ष 2024-25 के लिए 6.4 प्रतिशत का अनुमान अपेक्षित और उचित है. रिपोर्ट कहती है, ‘‘हालांकि, हमारा मानना ​​है कि वित्त वर्ष 2024-25 के लिए जीडीपी की वृद्धि दर नीचे की ओर झुकाव के साथ लगभग 6.3 प्रतिशत रह सकती है. 

एसबीआई के समूह मुख्य आर्थिक सलाहकार सौम्य कांति घोष द्वारा लिखित यह रिपोर्ट कहती है कि वास्तविक जीडीपी वृद्धि में सुस्ती और मौजूदा कीमतों पर जीडीपी के आकार में बढ़ोतरी लगभग स्थिर रहने के बावजूद चालू वित्त वर्ष में बाजार मूल्य पर प्रति व्यक्ति जीडीपी में उल्लेखनीय वृद्धि होने की उम्मीद है.  रिपोर्ट के मुताबिक, सकल घरेलू उत्पाद का पहला अग्रिम अनुमान सामान्य रूप से 2024-25 में समग्र मांग में सुस्ती को दर्शाता है. 

 हालांकि, सकारात्मक योगदान देने वाले घटकों में सरकारी खपत शामिल है, जिसमें मौजूदा कीमतों के संदर्भ में 8.5 प्रतिशत (वास्तविक कीमतों के संदर्भ में 4.1 प्रतिशत) की वृद्धि हुई है. निर्यात ने भी आठ प्रतिशत (वास्तविक कीमतों के संदर्भ में 5.9 प्रतिशत) की सकारात्मक वृद्धि दर्ज की है. एसबीआई के अध्ययन में कहा गया है कि मांग का चिंताजनक पहलू सकल पूंजी निर्माण में सुस्ती है, जिसमें पूंजी निर्माण में वृद्धि 2.70 प्रतिशत घटकर 7.2 प्रतिशत रह गई है. रिपोर्ट के मुताबिक, ‘‘कुल मिलाकर स्थिति यह है कि मांग कमजोर बनी हुई है और वित्त वर्ष 2024-25 में 6.4 प्रतिशत का आंकड़ा एक बाहरी सीमा है.  भाषा

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