शेयर बाजार में फर्जी निवेश सलाह और अनरजिस्टर्ड फिनफ्लुएंसर्स के बढ़ते जाल पर लगाम कसने के लिए सेबी (SEBI) ने बड़ा कदम उठाया है. अब सोशल मीडिया के माध्यम से निवेशकों को गुमराह करने वालों की खैर नहीं, क्योंकि SEBI सख्त नियमों के साथ मैदान में उतर चुका है.
SEBI ने हाल ही में अपने जवाब में कहा है कि वह गूगल, टेलीग्राम और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के साथ मिलकर फर्जी निवेश सलाह देने वालों की एक्टिविटी को रोकने की दिशा में काम कर रहा है. सेबी का कहना है कि निवेशकों को ठगने वाले ये फर्जी 'एक्सपर्ट्स' सोशल मीडिया पर भ्रामक वीडियो, फर्जी टिप्स और गारंटीड रिटर्न के झूठे दावे कर रहे हैं, जिससे मासूम निवेशक बड़ी हानि उठा रहे हैं.
नकली कंपनियों की झूठी कहानियां
टेलीग्राम, व्हाट्सएप और यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म पर नकली कंपनियों की झूठी कहानियां गढ़कर शेयरों में हलचल पैदा की जाती है, ताकि निवेशक भ्रमित होकर पैसा लगाएं और अंत में ठगे जाएं. इस पर सेबी ने मल्टी-प्रॉन्ग्ड स्ट्रैटेजी अपनाई है, जिसमें सोशल मीडिया कंपनियों के साथ सहयोग भी शामिल है.
सेबी का क्या कहना?
सेबी ने यह भी स्पष्ट किया है कि सेबी से रजिस्टर नहीं हुए किसी भी फिनफ्लुएंसर से कोई भी रेगुलेटेड संस्था प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से जुड़ नहीं सकती. इसमें मार्केटिंग, डिजिटल कोलैबोरेशन, रेफरल या किसी भी प्रकार का वित्तीय लेन-देन शामिल है.
मेटा का सख्त कदम
हाल ही में मेटा (फेसबुक, इस्टाग्राम, व्हाट्सएप ) ने भी सख्त कदम उठाते हुए कहा कि 31 जुलाई से भारत में निवेश संबंधी विज्ञापन देने वाले सभी विज्ञापनदाताओं को वैध सेबी रजिस्टर्ड की जानकारी देनी होगी. इससे फर्जी विज्ञापनदाताओं की दुकानें बंद होने की उम्मीद है. सेबी ने निवेशकों को चेताते हुए कहा है कि किसी भी गारंटीड रिटर्न या झूठे दावे पर भरोसा न करें और निवेश से पहले खुद पूरी जानकारी हासिल करें. निवेशकों की जागरूकता ही सबसे बड़ा बचाव है.