Stock Market Crash: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की तरफ से भारतीय निर्यात पर 25 फीसदी टैरिफ लगाने के फैसले के बाद गुरुवार (31 जुलाई) सुबह भारतीय शेयर बाजार में भारी गिरावट देखने को मिली. हालांकि ट्रेडिंग शुरू होने के करीब दो घंटे बाद बाजार रिकवरी के मोड में देखा गया. शुरुआत में सुबह करीब 9.30 बजे सेंसेक्स करीब 800 अंक और निफ्टी 50 24,650 अंक से नीचे गिर गया. अमेरिकी राष्ट्रपति की तरफ से अधिकांश भारतीय आयात पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाए जाने के एक दिन बाद घरेलू बाजार में जबरदस्त बिकवाली देखी गई.
मिड और स्मॉल-कैप सेगमेंट में भी बिकवाली
कारोबारी सत्र की शुरुआत में ही सेंसेक्स करीब 800 अंक टूटकर 80,695.15 के निचले लेवल पर आ गया. निफ्टी 50 भी करीब 1 प्रतिशत गिरकर 24,635 के निचले लेवल पर पहुंच गया. मिड और स्मॉल-कैप सेगमेंट में बिकवाली और भी तेजी देखी गई. बीएसई मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांक में 2 प्रतिशत तक की गिरावट आई. बाद में दोनों मुख्य सूचकांकों ने रिकवरी की. सुबह करीब 11.30 बजे सेंसेक्स 260 अंक की गिरावट के साथ 81,222 अंक पर देखा गया. इसी तरह निफ्टी सूचकांक 67.60 अंक टूटकर 24,787 अंक पर ट्रेडिंग करते देख गया. शुरुआती 10 मिनट के अंदर निवेशकों को 3 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ. आइए जानते हैं बाजार में गिरावट के 5 बड़े कारण-
ट्रंप का भारत पर टैरिफ
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने 1 अगस्त से रूसी तेल खरीदने के लिए भारत पर 25 प्रतिशत का टैरिफ और पेनाल्टी लगाई है. जानकारों का कहना है कि भारतीय आयात पर यह 25 प्रतिशत का शुल्क भारतीय शेयर बाजार के सेंटीमेंट को प्रभावित कर सकता है. अगर टैरिफ लंबे समय तक बना रहा तो इससे देश की जीडीपी ग्रोथ पर असर पड़ेगा. जानकारों का कहना है कि भारत पर उम्मीद से ज्यादा टैरिफ कैपिटल फ्लो पर असर डाल सकता है.
ब्याज दर में कटौती का इशारा नहीं
बाजार में गिरावट का दूसरा कारण अमेरिकी फेडरल रिजर्व की तरफ से आने वाले दिनों में ब्याज दर में कटौती को लेकर किसी तरह का साफ संकेत नहीं दिया जाना भी शामिल है. अमेरिकी फेड रिजर्व ने उम्मीद अनुसार फेडरल फंड रेट को 4.25 प्रतिशत से 4.50 प्रतिशत की लिमिट में बनाए रखा. लेकिन सेंट्रल बैंक की तरफ से ब्याज दर में कटौती जल्द शुरू हो सकती है. जानकारों को उम्मीद है कि ब्याज दर में कटौती एक या दो तिमाही के बाद शुरू हो सकती है.
FPI की लगातार बिकवाली
भारतीय शेयर बाजार में हालिया गिरावट का बड़ा कारण विदेशी पूंजी का बाहर जाना भी है. जुलाई के महीने में ही 30 जुलाई तक विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI) ने 42,000 करोड़ रुपये से ज्यादा के भारतीय शेयर बेचे हैं. FPI की तरफ से भारतीय शेयरों की बिक्री का कारण बाजार का मूल्यांकन बढ़ना है.
भारतीय कंपनियों की इनकम में गिरावट
FY 2026 की पहली तिमाही में भारतीय कंपनियों की कमाई अभी तक मिली-जुली रही है. कंपनियों के आंकड़े भी बाजार को आगे बढ़ने में खास मदद नहीं कर सके. आईटी सेक्टर में अभी भी मांग में कमी का दबाव बना हुआ है. दूसरी तरफ भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की तरफ से ब्याज दर में कटौती से बैंकों के प्रॉफिट में कमी आई है. जानकारों को उम्मीद है कि मौजूदा फाइनेंशियल ईयर की दूसरी छमाही में कंपनियों की कमाई में सुधार आएगा.
बाजार का टेक्निकल फैक्टर
गुरुवार के कारोबार में निफ्टी 24,650 के नीचे गिर गया. जानकारों का मानना है कि यदि निफ्टी 24,600 के नीचे गिरता है तो बाजार 24,450 अंक या 24,250 अंक तक जा सकता है. जानकारों का कहना है कि जब तक मार्केट 24,600 के ऊपर कारोबार कर रहा है, तब तक इसमें सुधार की संभावना है. ऊपर की तरफ बाजार 25,000 अंक तक बढ़ सकता है.