Stock Market Update: शेयर बाजार के जानकारों का कहना है कि घरेलू शेयर बाजारों में लगातार तीसरे हफ्ते गिरावट का सिलसिला जारी रहा. इस हफ्ते निफ्टी इंडेक्स 25,000 के मनोवैज्ञानिक स्तर से नीचे बंद हुए. यह गिरावट फाइनेंशियल ईयर 2026 की पहली तिमाही के नतीजों, खासकर आईटी और फाइनेंशियल सर्विस सेक्टर के नतीजों की धीमी शुरुआत के कारण देखी जा रही है. ग्लोबल डिमांड में अनिश्चितता के बीच सुस्त प्रदर्शन और सतर्क दृष्टिकोण के कारण आईटी सेक्टर दबाव में रहा, जबकि अपेक्षित एनआईएम कॉन्ट्रैक्शन और एसेट क्वालिटी संबंधी चिंताओं के कारण फाइनेंशियल सर्विस सेक्टर के भी सुस्त नतीजे आने की उम्मीद है.
बिकवाली के दबाव में निफ्टी 25,000 से नीचे चला गया
जियोजित इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड के रिसर्च हेड विनोद नायर ने कहा, 'एफएमसीजी शेयरों ने बेहतर प्रदर्शन किया, जिसे शहरी उपभोग रुझान में संभावित रिवाइवल की तरफ इशारा करने वाले विकास अनुमानों का समर्थन मिला. मैक्रोइकोनॉमिक अनुकूल परिस्थितियों से बेहतर आय गति निवेशकों की पसंद को उपभोग शेयरों की ओर मोड़ सकती है.' हफ्ते के आखिरी कारोबारी दिन शुक्रवार को इंडियन बेंचमार्क सूचकांक कमजोर रुख के साथ बंद हुए और व्यापक बिकवाली के दबाव के बीच निफ्टी 25,000 अंक से नीचे फिसल गया.
सभी सेक्टोरल इंडेक्स लाल निशान में बंद हुए
सेंसेक्स 501.51 अंक की गिरावट के साथ 81,757.73 पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 143.05 अंक या 0.57 प्रतिशत की गिरावट के साथ 24,968.40 पर बंद हुआ. मीडिया और मेटल को छोड़कर, सभी सेक्टोरल इंडेक्स लाल निशान में बंद हुए. फार्मा, प्राइवेट बैंक, पीएसयू बैंक, एफएमसीजी, कैपिटल गुड्स, कंज्यूमर ड्यूरेबल्स और टेलीकॉम में 0.5 प्रतिशत से 1 प्रतिशत तक की गिरावट दर्ज की गई. व्यापक बाजार में भी मुनाफावसूली देखी गई, जिसमें निफ्टी मिडकैप और स्मॉलकैप सूचकांक क्रमशः 0.7 प्रतिशत और 0.8 प्रतिशत नीचे आ गए.
बजाज ब्रोकिंग रिसर्च के अनुसार, आगामी सप्ताह अमेरिका और भारत दोनों से हाई-फ्रीक्वेंसी इंडीकेटर्स का मिश्रण लेकर आएगा जो मैन्युफैक्चरिंग एक्टिविटी, हाउसिंग हेल्थ और श्रम बाजार की मजबूती के बारे में जानकारी प्रदान करेंगे. भारत के संदर्भ में जुलाई के लिए एसएंडपी ग्लोबल मैन्युफैक्चरिंग पीएमआई (प्रारंभिक) प्रमुख आंकड़े होंगे. मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर ने हाल के महीनों में लगातार विस्तार दिखाया है और निवेशक निरंतर गति के संकेतों की तलाश में रहेंगे.
जानकारों का कहना है ग्लोबल फ्रंट पर, बाजार प्रस्तावित यूएस-इंडिया मिनी ट्रेड एग्रीमेंट के परिणामों पर नजर रख रहे हैं. एक अनुकूल समाधान निर्यात-उन्मुख क्षेत्रों के लिए दृष्टिकोण को मजबूत कर सकता है और उभरते बाजारों में भारत के सापेक्ष आकर्षण को बढ़ा सकता है. (Input-IANS से भी)