Stock Market Update: बाजार के जानकारों ने कहा कि भारतीय इक्विटी बेंचमार्क ने पिछले हफ्ते कारोबारी सत्र का समापन मजबूती के साथ किया. निफ्टी आखिरी कारोबारी दिन 25,000 प्वाइंट के पार बंद हुआ, जो तेजी की गति को दर्शाता है. कारोबार के अंत में सेंसेक्स 1,046.30 प्वाइंट बढ़कर 82,408.17 के नए लेवल पर बंद हुआ, जबकि निफ्टी 319.15 अंक बढ़कर 25,112.40 पर बंद हुआ. बजाज ब्रोकिंग रिसर्च के नोट के अनुसार, 'विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) और घरेलू संस्थागत निवेशकों (DII) दोनों से लगातार निवेश ने प्रमुख सहायक भूमिका निभाई. इसने मौजूदा जियो-पॉलिटिकल अनिश्चितताओं से बनी प्रतिकूल परिस्थितियों को संतुलित किया और बाजार में पॉजिटिविटी को मजबूत किया.'
निफ्टी इंडेक्स 25,000 के लेवल से ऊपर बंद हुआ
निफ्टी इंडेक्स ने हाल में करेक्टिव कंसोलिडेशन के बाद ऊपर की तरफ बढ़ने के संकेत देते हुए सबसे ज्यादा हाई और सबसे ज्यादा लो के साथ बड़ा बुल कैंडल बनाया. इस प्रोसेस में इंडेक्स मजबूती का संकेत देते हुए 25,000 के लेवल से ऊपर मजबूती से बंद हुआ. नोट में कहा गया 'आगे बढ़ते हुए, हम उम्मीद करते हैं कि इंडेक्स हाल के पांच हफ्ते के कंसोलिडेशन जोन की अपर बाउंडरी को फिर से टेस्ट करेगा, जो मौजूदा समय में 25,200 प्वाइंट के करीब है. इस हफ्ते बैंड के ऊपर एक निर्णायक ब्रेकआउट निकट भविष्य में 25,500 जोन के ऊपर की ओर विस्तार के लिए दरवाजे खोल सकता है.'
आरबीआई के रुख से बाजार को मजबूती मिली
मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव और कच्चे तेल की कीमतों में तेज उछाल के कारण भारतीय शेयर बाजार ने सप्ताह के मध्य में अस्थिरता को नजरअंदाज कर दिया. भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा प्रोजेक्ट फाइनेंसिंग मानदंडों में ढील दिए जाने से वित्तीय शेयरों को बढ़ावा मिला. जियोजित इन्वेस्टमेंट्स लिमिटेड के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, 'आरबीआई के निरंतर नरम रुख ने बाजार के विश्वास को मजबूत किया, जिससे वैश्विक अनिश्चितता के बीच मौद्रिक नीति को एक प्रमुख स्थिर बल के रूप में स्थापित किया गया.'
कच्चे तेल की कीमतों में उछाल आया
भू-राजनीतिक अनिश्चितता के कारण सप्ताह की शुरुआत में कच्चे तेल की कीमतों में उछाल आया, जिससे मुद्रास्फीति को लेकर चिंताएं बढ़ गईं. हालांकि, शुरुआती उछाल के बाद तेल की कीमतों में वृद्धि की गति काफी कम हो गई, जिससे मुद्रास्फीति में निरंतर उछाल की आशंका कम हुई. जानकारों ने कहा कि नए टैरिफ लगाए जाने के प्रस्ताव के बाद फार्मास्युटिकल सेक्टर के प्रति निवेशकों की धारणा सतर्क हो गई है.
रेसिप्रोकल टैरिफ पर 90-दिवसीय विराम की समय सीमा के करीब आने के साथ, बाजार अगले दो हफ्तों में होने वाली व्यापार वार्ता और सौदेबाजी की गतिविधि पर बारीकी से नजर रख रहे हैं. नायर ने कहा, 'इस बीच, भू-राजनीतिक अनिश्चितता बनी हुई है, क्योंकि मध्य पूर्व में संभावित सैन्य भागीदारी के बारे में ग्लोबल लीडर्स के बयानों ने बाजार में चिंता को बनाए रखा है. निवेशक आने वाले अमेरिकी जीडीपी और पीसीई डेटा के साथ-साथ भारत के पीएमआई आंकड़ों पर भी कड़ी नजर रखेंगे, ताकि देश और विदेश में आर्थिक सुधार की ताकत और दिशा के बारे में संकेत मिल सकें.' (IANS)