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शेयर बाजार में आया भूचाल! सेंसेक्स 690 और निफ्टी 205 अंक टूटा, आईटी और ऑटो सेक्टर में सबसे ज्यादा नुकसान

शुक्रवार को भारतीय शेयर बाजार में जबरदस्त गिरावट दर्ज की गई, जिससे निवेशकों की चिंता बढ़ गई. सेंसेक्स और निफ्टी दोनों प्रमुख सूचकांकों में तेज गिरावट देखने को मिली, जबकि मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में भी बिकवाली का दबाव रहा.

शेयर बाजार में आया भूचाल! सेंसेक्स 690 और निफ्टी 205 अंक टूटा, आईटी और ऑटो सेक्टर में सबसे ज्यादा नुकसान
Shivendra Singh|Updated: Jul 11, 2025, 04:47 PM IST
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शुक्रवार को भारतीय शेयर बाजार में जबरदस्त गिरावट दर्ज की गई, जिससे निवेशकों की चिंता बढ़ गई. सेंसेक्स और निफ्टी दोनों प्रमुख सूचकांकों में तेज गिरावट देखने को मिली, जबकि मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों में भी बिकवाली का दबाव रहा. कारोबार के अंत में बीएसई सेंसेक्स 689.81 अंक या 0.83% की गिरावट के साथ 82,500.47 पर बंद हुआ. वहीं, एनएसई निफ्टी 205.40 अंक या 0.81% गिरकर 25,149.85 पर आ गया. यह गिरावट घरेलू और वैश्विक दोनों इंडीकेटर्स के नेगेटिव रहने के चलते हुई.

आईटी और ऑटो सेक्टर में भारी गिरावट
गिरावट की अगुवाई आईटी, ऑटो और रियल्टी सेक्टर ने की. तीनों इंडेक्स में 1% से अधिक की कमजोरी देखने को मिली. इसके अलावा पीएसयू बैंक, एनर्जी, फाइनेंशियल सर्विसेज और प्राइवेट बैंक सेक्टर भी लाल निशान में रहे. हालांकि, फार्मा और एफएमसीजी सेक्टर में कुछ खरीदारी देखने को मिली और ये हरे निशान में बंद हुए.

मिडकैप और स्मॉलकैप भी नहीं बचे
बिकवाली का असर मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों पर भी पड़ा. निफ्टी मिडकैप 100 इंडेक्स 517.75 अंक या 0.88% गिरकर 58,642.20 पर बंद हुआ. निफ्टी स्मॉलकैप 100 इंडेक्स 192.80 अंक या 1.02% फिसलकर 18,763.45 पर आ गया.

किन शेयरों में दिखा तेजी और मंदी का असर
सेंसेक्स के गेनर्स में एचयूएल, एक्सिस बैंक, सन फार्मा, एनटीपीसी, एसबीआई और आईटीसी शामिल रहे. वहीं, टीसीएस, एमएंडएम, भारती एयरटेल, टाटा मोटर्स, टाइटन, एचसीएल टेक और बजाज फाइनेंस जैसे दिग्गज शेयरों में भारी गिरावट दर्ज की गई.

गिरावट की वजह क्या रही?
जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के रिसर्च हेड विनोद नायर ने कहा कि अमेरिका द्वारा कनाडा पर 35% टैरिफ की धमकी और तिमाही नतीजों की धीमी शुरुआत ने बाजार में गलत भाव पैदा किया. उन्होंने आगे कहा कि आईटी सेक्टर में ऑर्डर में देरी और निवेश की सुस्ती से वित्त वर्ष 2026 की आय पर दबाव बन सकता है, जिससे निवेशकों की धारणा कमजोर हुई है.

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