TATA Business: अगर आप किसी बैंक का ATM इस्तेमाल करते हैं, तो आपने कभी ना कभी ‘Indicash’ ब्रांड का नाम जरूर सुना होगा. लेकिन क्या आपको पता है कि इसे चलाने वाली कंपनी अब टाटा ग्रुप का हिस्सा नहीं रही? जी हां, टाटा कम्युनिकेशंस (Tata Communications) ने अपने ATM बिजनेस ‘Tata Communications Payment Solutions Limited (TCPSL)’ को विदेशी कंपनी के हाथों बेच दिया है.
यह सौदा Transaction Solutions International India (TSI) के साथ हुआ, जो ऑस्ट्रेलियाई डिजिटल पेमेंट और फाइनेंशियल सर्विस कंपनी Findi की सब्सिडियरी कंपनी है.
ATM बिजनेस से बाहर क्यों हुई टाटा कम्युनिकेशंस?
टाटा कम्युनिकेशंस ने 13 नवंबर 2024 को TSI के साथ एक डील साइन की थी, जिसके तहत TCPSL की 100% हिस्सेदारी बेची गई. अब यह ट्रांजैक्शन पूरा हो चुका है और भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) से भी इसकी मंजूरी मिल गई है. लेकिन सवाल यह है कि टाटा ग्रुप जैसी बड़ी कंपनी ने अपना ATM बिजनेस क्यों बेचा?
दरअसल, टाटा ग्रुप नए बिजनेस मॉडल पर फोकस करना चाहती है. टाटा कम्युनिकेशंस के CFO कबीर अहमद शाकिर के मुताबिक, कंपनी अब नेटवर्क, क्लाउड, साइबर सिक्योरिटी, IoT और मीडिया सर्विसेज जैसे हाई-ग्रोथ सेक्टर्स पर ध्यान देना चाहती है. ATM ऑपरेशन इसमें फिट नहीं बैठता था.
ATM बिजनेस में कॉम्पिटिशन और ऑपरेशनल कॉस्ट बहुत ज्यादा
इसके अलावा भारत में ATM बिजनेस में कॉम्पिटिशन और ऑपरेशनल कॉस्ट बहुत ज्यादा है. डिजिटल पेमेंट के बढ़ते चलन के कारण ATM का इस्तेमाल बहुत हद तक कम हो गया है. इस डील से टाटा कम्युनिकेशंस को अपने कोर बिजनेस को और मजबूत करने का मौका मिलेगा, जिससे लॉन्ग-टर्म ग्रोथ में फायदा होगा.
कबीर अहमद शाकिर ने आगे कहा कि यह डिवेस्टमेंट हमारी रणनीति का अहम हिस्सा है, जिससे हम अपने पोर्टफोलियो को अधिक फोकस्ड बना सकें और उन क्षेत्रों में इनोवेशन कर सकें, जो अगले कुछ वर्षों में मुनाफा देंगे."
Findi को क्या फायदा होगा?
अब यह सवाल उठता है कि जब टाटा ग्रुप को इसमें भविष्य नहीं नजर आ रही है तो TSI और उसकी पैरेंट कंपनी Findi ने यह डील क्यों की? दरअसल, इस डील से Findi को Indicash ब्रांड के तहत 4,600 से ज्यादा ATM का एक बड़ा नेटवर्क मिल जाएगा. इसके अलावा 180,000 से ज्यादा मर्चेंट्स का नेटवर्क मिलेगा, जहां Findi अपने ATM को इंस्टॉल कर सकता है.
TSI के MD & CEO दीपक वर्मा ने कहा, "यह अधिग्रहण हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है. इससे हम भारत के अंडरबैंक्ड (जिनके पास बैंकिंग सुविधाएं कम हैं) समुदाय को फाइनेंशियल सॉल्यूशंस उपलब्ध कराने में सक्षम होंगे. हमारा लक्ष्य फाइनेंशियल इन्क्लूजन को बढ़ावा देना है."