भारतीय शेयर बाजार लगातार पांचवें हफ्ते गिरावट के दौर से गुजर रहा है, जिससे इन्वेस्टर्स की चिंता बढ़ गई है. बीते शुक्रवार को सेंसेक्स 0.72% और निफ्टी 0.82% की गिरावट के साथ बंद हुए, जिससे बीते हफ्ते का कुल नुकसान 1.1% हो गया. यह 2023 के बाद की सबसे लंबी गिरावट की लहर मानी जा रही है. ऐसे में आने वाला हफ्ता भारतीय शेयर बाजार के लिए बेहद अहम रहने वाला है, जहां घरेलू और ग्लोबल लेवल पर पांच बड़े फैक्टर बाजार की दिशा तय करेंगे.
1. RBI की मोनेटरी पॉलिसी
4 से 6 अगस्त तक आरबीआई कीमोनेटरी पॉलिसी समिति की बैठक प्रस्तावित है, जिसमें 25 बेसिस पॉइंट की कटौती की उम्मीद जताई जा रही है. यदि ऐसा होता है तो यह फेस्टिव सीजन से पहले लोन और क्रेडिट ग्रोथ को बढ़ावा दे सकता है. एक्सपर्ट मानते हैं कि अगर आरबीआई का रुख नरम रहा, तो रेट-सेंसिटिव सेक्टर्स को राहत मिल सकती है.
2. डॉलर की मजबूती
डॉलर इंडेक्स में पिछले हफ्ते 2.5% की तेजी दर्ज की गई, जो दो महीने का हाई लेवल है. इससे भारत जैसे उभरते बाजारों में पूंजी का पलायन बढ़ा है और विदेशी कर्ज महंगा हो गया है. डॉलर की मजबूती एफआईआई बहिर्गमन को और बढ़ावा दे सकती है.
3. ट्रंप का टैरिफ हमला
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 25% टैरिफ लगाने का एलान किया है, जिससे इन्वेस्टर्स की चिंता और बढ़ गई है. हालांकि रूस से तेल खरीद पर एक्स्ट्रा प्रतिबंध फिलहाल टाले गए हैं, लेकिन भारत-अमेरिका ट्रेड डील को लेकर कूटनीतिक घटनाक्रम पर निगाहें रहेंगी.
4. एफआईआई आउटफ्लो और शॉर्ट बेट्स
एफआईआई ने पिछले नौ सत्रों में भारतीय बाजार से ₹27,000 करोड़ से ज्यादा की निकासी की है. इंडेक्स फ्यूचर्स में शॉर्ट पोजिशन 90% के पार पहुंच चुकी है, जो मार्च 2023 के बाद का हाई लेवल है.
5. कमजोर Q1 नतीजे
पहली तिमाही के नतीजे उत्साहजनक नहीं रहे हैं. आईटी और बैंकिंग सेक्टर में गिरावट से बाजार पर नेगेटिव असर पड़ा है. टॉप 9 प्राइवेट बैंकों का मुनाफा सिर्फ 2.7% बढ़ा है.