अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक बार फिर अपने सख्त व्यापारिक रुख से भारत को बड़ा झटका दिया है. 31 जुलाई को जारी एक्जीक्यूटिव ऑर्डर के जरिए अमेरिका ने भारत से आने वाले सामानों पर 25% एक्स्ट्रा टैरिफ लगाने की औपचारिक घोषणा कर दी है. यह शुल्क मौजूदा 'मोस्ट फेवर्ड नेशन' (MFN) दरों के ऊपर लागू होगा. इस फैसले के बाद भारत को वित्तीय वर्ष 2025-26 में लगभग 20 अरब डॉलर (करीब 1.75 लाख करोड़ रुपये) के निर्यात घाटे का सामना करना पड़ सकता है.
हालांकि यह टैरिफ 1 अगस्त से प्रभावी माने जाएंगे, लेकिन उन भारतीय शिपमेंट्स को राहत दी गई है, जो 7 अगस्त से पहले रवाना हो चुके हैं और 5 अक्टूबर तक अमेरिका पहुंच जाएंगे. यानी अभी समुद्र में मौजूद या पहले से भेजे गए अधिकांश सामानों पर फिलहाल पुराने 10% शुल्क ही लागू होंगे. लेकिन 5 अक्टूबर के बाद ट्रंप की नई टैरिफ नियम का पूरा असर दिखेगा.
किन सेक्टर्स पर पड़ेगा सबसे ज्यादा असर?
ट्रंप के इस फैसले का सबसे बड़ा असर भारत के श्रम-प्रधान क्षेत्रों पर पड़ने वाला है. टेक्सटाइल, जेम्स एंड ज्वैलरी, लेदर, केमिकल्स और इंजीनियरिंग गुड्स जैसे क्षेत्रों से अमेरिका को भारी मात्रा में निर्यात होता है. अकेले इंजीनियरिंग गुड्स में ही भारत ने FY25 में 20 अरब डॉलर से ज्यादा का निर्यात किया था, जिसमें स्टील और एल्युमिनियम जैसे मेटल्स शामिल हैं. इन पर पहले से ही 50% तक सेक्टरल टैरिफ लागू हैं.
यह भी पढ़ें- भारत पर 25% तो पाकिस्तान पर सिर्फ 19% का टैरिफ, शहबाज शरीफ पर ट्रंप इतने मेहरबान क्यों?
क्या है छूट वाले सेक्टर्स की लिस्ट?
कुछ उत्पादों को नई टैरिफ से छूट भी दी गई है. फार्मास्युटिकल्स, APIs, इलेक्ट्रॉनिक्स, सेमीकंडक्टर्स, स्मार्टफोन्स, कंप्यूटर और एनर्जी प्रोडक्ट्स जैसे क्षेत्रों में भारत को अभी भी शून्य शुल्क की सुविधा मिलती रहेगी. इनकी कुल निर्यात राशि लगभग 30 अरब डॉलर है. हालांकि, ट्रंप प्रशासन ने चेतावनी दी है कि भविष्य में इन उत्पादों पर भी शुल्क लगाया जा सकता है.
बिलेट्रल ट्रेड एग्रीमेंट पर उम्मीदें बरकरार
भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय व्यापार समझौता (Bilateral Trade Agreement) को लेकर बातचीत अभी जारी है. सूत्रों के मुताबिक अगर यह समझौता सफल होता है तो टैरिफ दरों में कुछ राहत मिल सकती है. लेकिन फिलहाल, भारतीय निर्यातकों के लिए यह वक्त सतर्कता और रणनीतिक बदलाव का है.