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UPI तो फ्री है, फिर भी Google Pay और PhonePe ने कैसे कमा लिए 5065 करोड़ रुपये? जानिए इनका बिजनेस मॉडल

यूपीआई (UPI) के जरिए पेमेंट करना आसान और पूरी तरह फ्री है, फिर भी गूगल-पे (Google Pay) और फोन-पे (PhonePe) ने पिछले साल तक मिलकर 5,065 करोड़ रुपये से ज्यादा की कमाई कर ली. जानिए कैसे?

UPI तो फ्री है, फिर भी Google Pay और PhonePe ने कैसे कमा लिए 5065 करोड़ रुपये? जानिए इनका बिजनेस मॉडल
Shivendra Singh|Updated: Jul 22, 2025, 02:51 PM IST
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यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस यानी यूपीआई (UPI) के जरिए पेमेंट करना आसान और पूरी तरह फ्री है, फिर भी गूगल-पे (Google Pay) और फोन-पे (PhonePe) ने पिछले साल तक मिलकर 5,065 करोड़ रुपये से ज्यादा की कमाई कर ली. इन डिजिटल दिग्गजों ने बिना किसी प्रोडक्ट की बिक्री के यह कमाल कैसे कर दिखाया? इसका जवाब है इनका अनोखा बिजनेस मॉडल, जो ट्रस्ट, स्केल और इनोवेशन पर टिका है. आइए इनके सीक्रेट को समझते हैं.

आइस वीसी के फाउंडिंग पार्टनर मृणाल झवेरी ने लिंक्डइन पर एक पोस्ट शेयर किया है, जिसमें उन्होंने इनके रेवेन्यू मॉडल को विस्तार से बताया है. मृणाल के अनुसार, इन कंपनियों की कमाई का एक बड़ा हिस्सा छोटे किराना स्टोर्स से आता है. फोन-पे जैसे ऐप्स किराना दुकानों पर इस्तेमाल होने वाली वॉयस-ऑपरेटिंग स्पीकर सर्विस से मुनाफा कमा रहे हैं. हर दुकान पर "फोन-पे पर 60 रुपये प्राप्त हुए" जैसी घोषणा करने वाला यह स्पीकर 100 रुपये प्रति महीना किराए पर दिया जाता है. 30 लाख से ज्यादा दुकानों को यह सुविधा उपलब्ध कराई गई, जिससे मासिक 30 करोड़ और सालाना 360 करोड़ रुपये की कमाई हो रही है. यह तरीका न केवल ग्राहकों को अट्रैक्ट करता है, बल्कि दुकानदारों के लिए भी उपयोगी साबित हो रहा है.

स्क्रैच कार्ड्स
दूसरा बड़ा सीक्रेट है स्क्रैच कार्ड्स, जो ग्राहकों को 12 रुपये के कैशबैक या कूपन के रूप में लुभाते हैं. लेकिन यह महज ग्राहक खुशी नहीं, बल्कि ब्रांड्स के लिए विज्ञापन का एक चालाक जरिया है. ब्रांड्स अपनी दृश्यता बढ़ाने के लिए इन कार्ड्स के लिए भुगतान करते हैं, जिससे गूगल-पे और फोन-पे को दोहरा फायदा होता है. यह मॉडल एक रिटर्न ऑन इन्वेस्टमेंट मशीन की तरह काम कर रहा है.

सॉफ्टवेयर और लोन से नई ऊंचाइयां
इन कंपनियों ने UPI की विश्वसनीयता को सॉफ्टवेयर-ए-ए-सर्विस (SaaS) लेयर में तब्दील कर दिया है. छोटे बिजनेसमैन के लिए जीएसटी हेल्प, इनवॉइस मेकर और माइक्रो-लोन जैसी सुविधाएं प्रदान की जा रही हैं. UPI बेसिक ढांचा तो बस एक आकर्षण था, लेकिन असली बिजनेस सॉफ्टवेयर और फाइनेंशियल सेवाओं से आ रहा है. इस मॉडल में ग्राह्य लागत (CAC) शून्य है, जो इसे और प्रभावी बनाता है. मृणाल का कहना है कि यह सब सिर्फ स्केल, ट्रस्ट और इनोवेसन पर आधारित है. गूगल-पे और फोन-पे ने UPI के मुफ्त मंच का इस्तेमाल करते हुए एक ऐसी अर्थव्यवस्था खड़ी कर दी, जो बिना प्रोडक्ट बेचे भी मुनाफे की गारंटी देती है.

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