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द‍िल्‍ली को पछाड़कर आगे न‍िकला यूपी, योगी सरकार में बनाया र‍िकॉर्ड; क्या है पूरा मामला?

Delhi: अधिकारियों के अनुसार यूपी में निवेश बढ़ने के कई अहम कारण हैं. इन कारणों में से सबसे पहला कारण यूपी की तेजी से बढ़ती इकोनॉमी है. इसके बाद यूपी की लगातार बढ़ती उपभोक्ता (खरीदार) आबादी है. 

द‍िल्‍ली को पछाड़कर आगे न‍िकला यूपी, योगी सरकार में बनाया र‍िकॉर्ड; क्या है पूरा मामला?
Kriyanshu Saraswat|Updated: Mar 14, 2025, 11:45 AM IST
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Uttar Pradesh: उत्तर प्रदेश (UP) ने वित्त वर्ष 2024-25 के पहले 10 महीनों (अप्रैल 2024 से जनवरी 2025) में नई कंपनियों के रजिस्ट्रेशन के मामले में दिल्ली को पीछे छोड़ दिया है. इस दौरान यूपी में 15,590 नई कंपनियां रजिस्टर्ड हुईं, जबकि दिल्ली में यह संख्‍या 12,759 कंपन‍ियों की रही. नई कंपनियों के मामले में महाराष्ट्र 21,000 कंपनियों के रज‍िस्‍ट्रेशन के साथ पहले नंबर पर रहा. इसके बाद दूसरे नंबर पर यूपी रहा.

कंपनी रजिस्ट्रेशन क्यों है अहम?

किसी राज्य में नए बिजनेस रजिस्ट्रेशन से पता चलता है कि वहां के आर्थिक हालात, निवेशकों का भरोसा और भविष्य के विकास की  संभावनाएं कैसी हैं. यूपी जैसे कृषि प्रधान राज्य का कंपन‍ियों के रज‍िस्‍ट्रेशन के मामले में आगे आना दिखाता है कि इंडस्‍ट्री और व्यापार के लिए यह राज्य तेजी से व‍िकास कर रहा है.

यूपी में क्यों बढ़ रहा निवेश?
जानकारों और सरकारी अधिकारियों के अनुसार यूपी में निवेश बढ़ने के कई अहम कारण हैं. इन कारणों में से सबसे पहला कारण यूपी की तेजी से बढ़ती इकोनॉमी है. इसके बाद यूपी की लगातार बढ़ती उपभोक्ता (खरीदार) आबादी है. इसके अलावा यूपी में काम करने का आसान माहौल (Ease of Doing Business), किफायती मजदूरों की बड़ी संख्या और सुधरी हुई कानून-व्यवस्था को माना जा रहा है.

नोएडा की वजह से भी यूपी को फायदा
दिल्ली से सटे यूपी के नोएडा जैसे इंडस्‍ट्र‍ियल शहर की वजह से भी निवेशक यूपी की तरफ आकर्षित हो रहे हैं. दिल्ली के मुकाबले कम रियल एस्टेट की कीमतें और दिल्ली की नजदीक होने से व्यापार करना आसान है. हालांकि, कुल एक्‍ट‍िव कंपनियों के मामले में दिल्ली और महाराष्ट्र अभी भी यूपी से आगे हैं. यूपी में जनवरी 2025 तक 1,50,703 एक्‍ट‍िव कंपनियां हैं. द‍िल्‍ली में यही संख्‍या 2,50,162 और महाराष्ट्र में 3,46,555 है.

तेजी से बढ़ता यूपी, टॉप 3 राज्यों में शामिल
तेजी से कंपनी रजिस्ट्रेशन की वजह से यूपी ने पिछले पांच साल में पश्‍च‍िम बंगाल, तमिलनाडु और कर्नाटक जैसे राज्यों को पीछे छोड़ दिया है. अब यूपी महाराष्ट्र और दिल्ली के बाद तीसरे नंबर पर है. 2011 की जनगणना के अनुसार, यूपी की जनसंख्या 24 करोड़ से ज्यादा है, जो इसे देश का सबसे बड़ा उपभोक्ता राज्य बनाता है. 55-56% आबादी वर्किंग एज ग्रुप यूपी में है. इससे न केवल खरीदारी बढ़ेगी, बल्कि मजदूरों की कमी भी नहीं होगी.

अर्थव्यवस्था की तेज रफ्तार
राज्य की सालाना आर्थिक वृद्धि दर 7.5% से 11.4% पिछले कुछ साल से राष्ट्रीय औसत से ज्यादा है. यूपी परंपरागत उद्योग (जैसे कृषि आधारित) के साथ-साथ नई तकनीक और उभरते सेक्टरों (Sunrise Sectors) को भी बढ़ावा दे रहा है.

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