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ये दुख काहे खत्म नहीं होता! मिडिल क्लास को फिर झुनझुना थमा गईं वित्त मंत्री जी...राहत तो दूर बजट ने बढ़ा दिया बोझ

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक बार फिर से बजट में मिडिल क्लास को निराश कर दिया. वो मिडिल क्लास जिसे इस बजट से सबसे ज्यादा उम्मीदें थी. वहीं मिडिल क्लास जो सबसे ज्यादा टैक्स भरता है.

budget for middle class
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Bavita Jha |Updated: Jul 23, 2024, 08:53 PM IST
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Budget For Middle Class: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक बार फिर से बजट में मिडिल क्लास को निराश कर दिया. वो मिडिल क्लास जिसे इस बजट से सबसे ज्यादा उम्मीदें थी. वही मिडिल क्लास जो सबसे ज्यादा टैक्स भरता है. वही मिडिल क्लास जिसकी तारीफ करते वित्त मंत्री थकती नहीं, लेकिन एक बार फिर से वही मिडिल क्लास खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहा है. जिस मिडिल क्लास को बजट से सबसे ज्यादा उम्मीदें होती हैं, टैक्स में राहत की उम्मीद रखता है, ताकि महंगाई के इस दौर में दो पैसे बचा सके, वो बेचारा मिडिल क्लास एक बार फिर से वित्त मंत्री की नजरों से ओझल रहा. मिडिल क्लास जो टैक्स के मकड़जाल में उलझा हुआ है, उसके लिए इस बजट में कोई बड़ी राहत की घोषणा नहीं हुई.  

बजट ने फिर से किया निराश  

 वित्त मंत्री ने वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए बजट का ऐलान तो कर दिया, लेकिन बढ़ती महंगाई के बीच टैक्स का सबसे ज्यादा बोझ झेल रहे इस मिडिल क्लास को फिर से मायूसी हाथ लगी. वित्त मंत्री ने न्यू टैक्स रिजीम को बढ़ावा देने के लिए कुछ राहत तो दी, लेकिन ओल्ड टैक्स रिजीम वालों के लिए चवन्नी तक की राहत की घोषणा नहीं की.  जो लोग टैक्स बचाने के लिए ओल्ड टैक्स रिजीम में में है, उन्हें सरकार ने मायूस ही रखा. टैक्स में राहत तो नहीं मिली, लेकिन चुपचाप झटका जरूर लग गया. 

मिडिल क्लास की जेब पर बोझ  

एक तरफ टैक्स की मार और दूसरी तरफ जेब पर बोझ बढ़े तो ये मिडिल क्लास निराश न हो तो क्या हो. मिडिल क्लास के लिए टैक्स में कोई राहत तो मिली नहीं, लेकिन हंटर जरूर चल गया. सैलरी से जो थोड़ा बहुत बचाकर आप शेयर बाजार, म्यूचुअल फंड में निवेश कर सेविंग करते हैं अब उस पर भी हंटर चल गया है. शेयर बाजार, म्यूचुअल फंड से होने वाली कमाई पर कैपिटल गेन टैक्स बढ़ गया है. वहीं शेयर बाजार, जिसका गुणगान प्रधानमंत्री और गृहमंत्री करते रहते हैं, अब वहां से कमाई पर टैक्स बढ़ गया है. 

शेयर मार्केट से कमाई पर लगेगा ज्यादा टैक्स  
  
शेयर बाजार से होने वाली आमदनी पर कैपिटल गेन टैक्स लगता है. ये टैक्स शार्ट टर्म कैपिटल गेन टैक्स और लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन टैक्स होता है. अगर शेयर या म्यूचुअल फंड में निवेश से आप एक साल के अंदर मुनाफा कमा के निकल लेते हैं तो अब शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन (STCG) पर 15 फीसदी के बजाए 20 फीसदी टैक्स लगेगा. वहीं अगर आपने निवेश को एक साल तक बनाये रखता है तो लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन (LTCG) पर 10% की बजाए 12.5%  टैक्स लगेगा.  

संपत्ति, सोना बेचने पर भी बढ़ी टैक्स की मार  

वित्त मंत्री जी तो इनकम टैक्स में राहत नहीं देना था तो न देती, लेकिन उन्होंने तो प्रॉपर्टी में भी खेला कर दिया,  वित्त मंत्री ने प्रॉपर्टी की बिक्री से मिलने वाले इंडेक्सेशन बेनिफिट को हटाने की घोषणा कर दी. बजट 2024 में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सभी नॉन फाइनेंशियल एसेट्स में इंडेक्सेशन को पूरी तरह खत्म कर दिया गया है. बता दें कि नॉन फाइनेंशियल एसेट्स में प्रॉपर्टी, गोल्ड, सिल्वर जैसी चीजें आती हैं.प्रॉपर्टी पर लगने वाला कैपिटल गेन टैक्स को 20 से घटाकर 12.5 फीसदी कर दिया गया. लेकिन पहले जो फायदा इंडेक्सेशन से मिलता था वो वित्त मंत्री ने खत्म कर दिया. इसे खत्म करने का मतलब अब कैपिटल टैक्स घटने की बजाय और बढ़ जाएगा.  यानी कुल मिलाकर मिडिल क्लास को राहत तो मिली नहीं, लेकिन जेब पर बोझ जरूर बढ़ गया. अब ऐसे में मिडिल क्लास निराश नहीं हो तो क्या करें .  

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