SBI History: जिस बैंक की शुरुआत भारत की आजादी को कुचलने के लिए किया गया था, जिसका नाम कई बार बदला, पहचान भी बदली, जिस बैंक के जरिए भारत का ही पैसा भारतीयों के खिलाफ इस्तेमाल किया गया था, आज वो देश का सबसे बड़ा बैंक है. ये कहानी है देश के सबसे अमीर बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ( SBI) की. देश में 50 करोड़ लोगों का खाता इसी बैंक में है. इसे देश की तिजोरी भी कहा जाता है, लेकिन बहुत कम लोगों को इसके शुरुआत की कहानी पता है.
कैसे हुई थी SBI बैंक की शुरुआत ?
1798 में रिचर्ड वेलेस्ली ईस्ट इंडिया कंपनी के गर्वनर जनरल बनकर भारत आए थे. उन्होंने एक साल बाद ही मैसूर पर हमला कर दिया. हमले में टीपू सुल्तान की हार हुई, जिसके बाद दूसरे अंग्रेज-मराठा युद्ध की शुरुआत हुई. युद्ध के दौरान अंग्रेजों को आर्थिक मदद पहुंचाने के लिए ईस्टे इंडिया कंपनी ने एक बैंकिंग सिस्टम तैयार किया. इस बैंकिंग सिस्टम के जरिए भारत का ही पैसा इंग्लैड होते हुए वापस भारत आकर भारतीयों को कुलचने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा था. युद्ध खत्म होने के बाद अंग्रेजों ने इस सिस्टम को बैंक में तब्दील कर दिया. साल1806 में अंग्रेजों ने फंडिंग इंस्टीट्यूशन को ‘बैंक ऑफ कलकत्ता’का नाम दिया.
कैसे मिला SBI बैंक का नाम
साल 1809 को अंग्रेजों ने इस बैंक का नाम बदलकर ‘बैंक ऑफ बंगाल’ कर दिया, फिर धीरे-धीरे इसकी शाखाएं खुलने लगी. बाद में बैंक का कंट्रोल इंग्लैंड की महारानी के हाथों में चला गया. अंग्रेजों ने साल 1840 में ‘बैंक ऑफ बॉम्बे’ और फिर साल 1843 में ‘बैंक ऑफ मद्रास’ की शुरुआत की. साल 1921 में इन तीनों बैंकों को मिलाकर ‘इंपीरियल बैंक ऑफ इंडिया’ का नाम दिया गया. आजादी के बाद साल 1955 में इसका नाम इंपीरियल बैंक ऑफ इंडिया से बदलकर स्टेट बैंक ऑफ इंडिया रखा गया. अगर बैंक के मालिक की बात करें तो भारत सरकार इसका मालिक है. जिसकी शुरुआत कभी अंग्रेजों ने की थी.
SBI कैसे बना देश का सबसे बड़ा बैंक
एसबीआई की शाखाएं देशों तक ही नहीं विदेशों तक फैली. कई बैंकों का विलय इसमें हुआ. एसबीआई कस्टमर आंकड़ें 50 करोड़ के पार पहुंच गई है. विदेश ही नहीं देश के गांवों में भी इसके ब्रांचों की पहुंच है. लोग बैंक का मतलब एसबीआई समझने लगे. देश के वित्तीय ढांचे में एसबीआई रीढ़ की भूमिका निभाता है. यह बैंक गांवों और शहरी दोनों जगहों पर विस्तार कर रहा है. इतना ही नहीं विदेशों में भी इसका तेजी से विस्तार हो रहा है. बैंक लोन के के जरिए देश की इकोनॉमी में बड़ा योगदान दे रहा है.
एसबीआई के 100 साल पुराने खाते
बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की नई दिल्ली मेव ब्रांच 100 साल से पुराना हो चुका है. इस ब्रांच में भारत और पाकिस्तान के कई नेताओं ने अपने खाते खुलवाए थे. आज भी इस बैंक में 100 साल से पुराने कई बैंक खाते सुरक्षित हैं. 4 जनवरी 1926 को रायसीना रोड ब्रांच की शुरुआत की गई थी. बैंक का यह ब्रांच दिल्ली सर्कल के कारोबार में लगभग 14% का योगदान देता है. यानी करीब 70,000 करोड़ रुपये है. अगर एसबीआई की बात करें तो यह भारत का सबसे बड़ा बैंक है जिसकी भारती बैंकिंग सिस्टम में 23% की हिस्सेदारी है. वहीं कुल ऋण और जमा बाजार में 25% हिस्सेदारी है.