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आलू, प्याज, टमाटर...देश में क्यों बढ़ रही है खाद्य महंगाई? सरकार ने बताई वजह

Economic Survey: इकोनॉमिक सर्वे रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले दो वर्षों में भारत की खाद्य मुद्रास्फीति दर स्थिर बनी हुई है, जो स्थिर या घटती खाद्य महंगाई के वैश्विक रुझानों से अलग है.

आलू, प्याज, टमाटर...देश में क्यों बढ़ रही है खाद्य महंगाई? सरकार ने बताई वजह
Sudeep Kumar|Updated: Feb 02, 2025, 11:34 PM IST
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Food Inflation In India: देश में लगातार बढ़ रही खाद्य महंगाई पर केंद्र सरकार ने कहा है कि एक्स्ट्रीम वेदर यानी चरम मौसम की घटनाओं इसकी प्रमुख वजह रही है. केंद्र ने अपने लेटेस्ट आर्थिक सर्वेक्षण में कहा है कि भारत में खाद्य महंगाई की दर पिछले दो वर्षों से वैश्विक प्रवृत्ति के उलट स्थिर बनी हुई है. इसका एक कारण बार-बार होने वाली चरम मौसम संबंधी घटनाएं हैं. 

शुक्रवार को संसद में पेश की गई रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले दो वर्षों में प्याज और टमाटर के उत्पादन में गिरावट का आंशिक कारण अन्य क्षेत्रों की तुलना में प्रमुख उत्पादक राज्यों में चरम मौसम संबंधी घटनाएं रही होंगी. 

रिपोर्ट में कहा गया है कि 2023-24 में चरम मौसम की घटनाओं ने प्रमुख बागवानी उत्पादक राज्यों में फसलों को नुकसान पहुंचाया, जिससे बागवानी फसलों पर मुद्रास्फीति का दबाव बढ़ा. 

वैश्विक रुझानों से अलग भारत में खाद्य महंगाई

इकोनॉमिक सर्वे रिपोर्ट में आगे कहा गया है, "पिछले दो वर्षों में भारत की खाद्य मुद्रास्फीति दर स्थिर बनी हुई है, जो स्थिर या घटती खाद्य मुद्रास्फीति के वैश्विक रुझानों से अलग है. इसके लिए चरम मौसम की घटनाओं से आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान पड़ना और कुछ खाद्य पदार्थों की कम पैदावार जैसे कारक को जिम्मेदार ठहराया जा सकता है." 

सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरनमेंट (सीएसई) के आंकड़ों का हवाला देते हुए, रिपोर्ट में कहा गया है कि 2024 में खराब मौसम की वजह से नुकसान का सामना करने वाला कुल फसल क्षेत्र पिछले दो सालों की तुलना में ज्यादा है. सरकार ने भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के आंकड़ों का भी हवाला दिया, जो चरम मौसम की घटनाओं, खासकर लू की आवृत्ति में उल्लेखनीय वृद्धि को दर्शाता है. 

भू-राजनीतिक संघर्ष और एक्स्ट्रीम वेदर अहम वजह

आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि भू-राजनीतिक संघर्षों और चरम मौसम जैसे कारकों के चलते कीमतों में उतार-चढ़ाव हुआ है, लेकिन अब उनका प्रभाव कम हो गया है, जिससे कीमतों में अधिक बदलाव आया है. रिपोर्ट में दीर्घकालिक मूल्य स्थिरता के लिए जलवायु-प्रतिरोधी फसलें विकसित करने, कीमतों की निगरानी के लिए डेटा सिस्टम को मजबूत करने, फसल की क्षति घटाने और फसल कटाई के बाद होने वाले नुकसान को कम करने का सुझाव दिया गया है. 

शनिवार को, सरकार ने दलहन का उत्पादन बढ़ाने के लिए छह साल के मिशन की घोषणा की, जिसका लक्ष्य तुअर, उड़द और मसूर के उत्पादन में आत्मनिर्भरता हासिल करना है. 

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