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चीन, जापान, हांगकांग से भी नीचे...मई में एशिया की सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली करेंसी क्यों बना भारतीय रुपया?

Asia's worst performing currency in May: अप्रैल में रुपया थोड़ा मजबूत होकर 83.94 प्रति डॉलर तक पहुंच गया था, लेकिन मई में यह फिसलता चला गया. महीने की शुरुआत में रुपया 84.48 था, जो 30 मई तक गिरकर 85.57 रुपये प्रति डॉलर हो गया.

चीन, जापान, हांगकांग से भी नीचे...मई में एशिया की सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली करेंसी क्यों बना भारतीय रुपया?
Sudeep Kumar|Updated: May 31, 2025, 04:57 PM IST
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Rupee Vs Dollar: भारतीय करेंसी रुपया मई के महीने में एशिया की सबसे खराब प्रदर्शन करने वाली करेंसी साबित हुई है. पूरे महीने में रुपया डॉलर के मुकाबले 1.27% कमजोर हुआ और 85.57 रुपये प्रति डॉलर के स्तर पर बंद हुआ. अप्रैल में रुपया थोड़ा मजबूत होकर 83.94 प्रति डॉलर तक पहुंच गया था, लेकिन मई में यह फिसलता चला गया. महीने की शुरुआत में रुपया 84.48 था, जो 30 मई तक गिरकर 85.57 रुपये प्रति डॉलर हो गया.

यह गिरावट अन्य एशियाई मुद्राओं जैसे कि चीन की युआन, जापान की येन और हांगकांग के डॉलर से भी ज्यादा रही. विशेषज्ञों के मुताबिक इस गिरावट के पीछे कई घरेलू और वैश्विक कारण हैं. इसकी सबसे बड़ी वजहें टैरिफ को लेकर अनिश्चितता, सीमा पर तनाव और रिजर्व बैंक से और उम्मीदें थीं. 

हालांकि घरेलू मोर्चे पर महंगाई दर में कुछ नरमी और बेहतर आर्थिक विकास की उम्मीद ने रुपये को थोड़ा सहारा जरूर दिया, लेकिन दुनिया भर में आर्थिक हालात और अमेरिका में ब्याज दरों को लेकर आने वाले बदलाव रुपये को आगे और कमजोर कर सकते हैं.

रुपये पर क्यों है दबाव? 

शिनहान बैंक इंडिया के ट्रेजरी हेड कुनाल सोधानी का कहना है, "टैरिफ को लेकर अनिश्चितता की वजह से कई निवेशकों ने रुपये में की गई लंबी अवधि की खरीदारी को वापस लिया है. इसके अलावा इंपोर्टर कम फॉरवर्ड प्रीमियम का फायदा उठाकर डॉलर खरीद रहे हैं. अप्रैल की शुरुआत में एक साल का डॉलर-रुपया फॉरवर्ड प्रीमियम 2.34% था, जो अब घटकर 1.94% रह गया है.

हालांकि, कम महंगाई, अच्छे ग्रोथ की उम्मीद और डॉलर इंडेक्स के नरम पड़ने जैसी कुछ पॉजिटिव चीजें रुपये को 85.50 रुपये प्रति डॉलर के आसपास टिकाए रखने में मदद कर रही हैं. लेकिन वैश्विक आर्थिक हालात रुपये पर आगे और दबाव बना सकते हैं."

वहीं, एसएस वेल्थस्ट्रीट की फाउंडर सुगंधा सचदेवा का कहना है कि अगर अमेरिका का डॉलर तेज़ी से रिकवर करता है, फेडरल रिजर्व ब्याज दरों को लेकर अचानक रुख बदल देता है, या भारत-अमेरिका व्यापार समझौते में देरी होती है तो इससे बाजार की उम्मीदों को झटका लग सकता है और रुपये पर और दबाव आ सकता है.

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