Indian Railway: वंदे भारत स्लीपर ट्रेन की बाट जोह रहे लोगों के लिए इंतजार जारी है. इस ट्रेन का ट्रायल और टेस्टिंग करीब 6 महीने पहले ही पूरी हो चुका है इसके बावजूद अब तक इसे चलाने की हरी झंडी नहीं मिल पाई है. ऐसे में यह सवाल उठता है कि आखिर इसमें पेंच कहां फंसा है?
बेंगलुरु की पब्लिक सेक्टर कंपनी बीईएमएल (BEML) द्वारा बनाई गई यह वंदे भारत स्लीपर ट्रेन 120 करोड़ रुपये की लागत से तैयार की गई है. इसे चेन्नई की इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (ICF) ने डिजाइन किया और जनवरी में इसके 160 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड ट्रायल भी RDSO (रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड्स ऑर्गनाइजेशन) द्वारा सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है.
ट्रायल और टेस्टिंग के बाद लोगों को उम्मीद थी कि जल्द ही इसे यात्रियों के लिए शुरू कर दिया जाएगा, लेकिन अब तक रेलवे की मंजूरी की प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी है. ट्रेन अब भी रेल संरक्षा आयुक्त (CRS) की हरी झंडी का इंतजार कर रही है.
क्यों जारी है इंतजार?
दरअसल, जब BEML से ICF को यह ट्रेन मिली तो जांच में 73 से ज्यादा तकनीकी और डिजाइनिंग से जुड़ी खामियां पाई गईं. इनमें सेफ्टी से जुड़ी कई समस्याएं जैसे क्रैश बफर, आग से बचाव की दीवारें और बर्थ को जोड़ने वाले हुक शामिल थी. हालांकि, अधिकारियों का दावा है कि अब ये सभी खामियां ठीक कर दी गई हैं. ICF के जनरल मैनेजर यू. सुब्बा राव के मुताबिक, CRS द्वारा उठाए गए सवालों का जवाब भेज दिया गया है और इनमें कोई बड़ी तकनीकी गड़बड़ी नहीं पाई गई थी.
सेफ्टी फीचर्स और लेटेस्ट टेक्नोलॉजी से लैस
वंदे भारत स्लीपर वर्जन को और ज्यादा सुरक्षित बनाने के लिए इसमें कई एडवांस सेफ्टी फीचर्स लगाए गए हैं. वंदे भारत स्लीपर ट्रेन को 'कवच' (Kavach) सिस्टम से लैस बनाया गया है. इस ट्रेन में कुल 16 कोच होंगे. जिनमें 11 थर्ड एसी, 4 सेकेंड एसी और 1 फर्स्ट एसी कोच शामिल हैं. इस ट्रेन में कुल मिलाकर 823 यात्रियों के बैठने की क्षमता है.
रिपोर्ट के मुताबिक, रेलवे बोर्ड की मंजूरी मिलते ही वंदे भारत स्लीपर ट्रेन पटरियों पर दौड़ने लगेगी. इस वित्तीय वर्ष में ICF को 9 और स्लीपर वर्जन वंदे भारत ट्रेनें बनाने का ऑर्डर भी मिला है.