Madhabi Puri Buch Last Day: केंद्र सरकार ने नए सेबी चेयरपर्सन के तौर पर तुहिन कांत पांडेय को जिम्मेदारी सौंपी है. माधबी पुरी बुच का तीन साल का कार्यकाल पूरा होने पर सरकार ने उनके नाम की घोषणा की है. 2 मार्च 2022 को सेबी चीफ की जिम्मेदारी संभालने के बाद बुच का 28 फरवरी (शुक्रवार) को आखिरी दिन था. सेबी ऑफिस की परंपरा के अनुसार बुच को शुक्रवार को फेयरवेल दिया जाना था. लेकिन ऐसा नहीं हुआ और पूर्व चेयरमैन माधबी पुरी बुच को बिना फेयरवेल के ही जाना पड़ा. तीन साल पद पर रहने के बाद इस तरह अलग होने से यही लग रहा है कि वह अभी इसके लिए तैयार नहीं थीं.
बुच की विदाई से सेबी कर्मचारियों के बीच खुशी
करीब तीन साल पहले 2 मार्च 2022 को जब माधबी पुरी बुच ने अपना पदभार संभाला था तो उन्होंने खुद भी नहीं सोचा होगा कि इस ऑफिस में उनका आखिरी दिन ऐसा होगा. दरअसल, सेबी ऑफिस में यह परंपरा रही है कि कार्यकाल पूरा करने वाले चेयरपर्सन को फेयरवेल दिया जाता है. लेकिन माधबी पुरी बुच के आखिरी दिन सेबी ऑफिस का माहौल एकदम अलग रहा. बुच अपने कार्यकाल के आखिरी दिन ऑफिस में पहुंचीं ही नहीं. सूत्रों के अनुसार बुच की विदाई से सेबी (SEBI) कर्मचारियों के बीच खुशी का माहौल रहा. बुच के जाने के पीछे कर्मचारियों की खुशी का कारण लंबे समय से चल रही नाराजगी बताया जा रहा है.
चहेते अधिकारियों को दिया प्रमोशन
माधबी पुरी बुच से सेबी के अधिकतर कर्मचारियों के नाराज होने का कारण जाते-जाते चहेते अधिकारियों को प्रमोशन देना बताया जा रहा है. सूत्रों के अनुसार बुच ने आखिरी दिनों में 15 जीएम लेवल के अधिकारियों को प्रमोट करके सीजीएम (CGM) बना दिया. इतना ही नहीं बुच ने अपने एग्जीक्यूटिव असिस्टेंट मुर्गान (Murugan) को भी सीजीएम के पद पर प्रमोट कर दिया. नियम के अनुसार यदि प्रमोशन देना था तो नीचे से ऊपर सभी लेवल में प्रमोशन ओपन होना चाहिए था. लेकिन नियम के विपरीत बुच ने केवल ऊपर के 2 लेवल में ही प्रमोशन किया. इससे निचले लेवल के अधिकारियों में काफी नाराजगी है.
विवादों से रहा गहरा नाता
माधबी पुरी बुच के कार्यकाल का आखिरी साल काफी विवादित रहा. पिछले दिनों सेबी कर्मचारियों ने ‘कामकाज के गलत तरीकों’ के खिलाफ मुंबई ऑफिस के बाहर विरोध प्रदर्शन तक किया था. इसके अलावा हिंडनबर्ग और कांग्रेस की तरफ से भी उन पर कई आरोप लगाए गए थे. हिंडनबर्ग की तरफ से हितों के टकराव का आरोप लगाए जाने के बाद अगस्त 2024 में उन पर इस्तीफा देने का दबाव था. हिंडनबर्ग की तरफ से बुच और उनके पति धवल बुच पर विदेशी संस्थाओं में निवेश करने का आरोप लगाया गया था.
सरकार ने झाड़ा पल्ला?
सेबी चीफ की नियुक्ति अधिकतम पांच साल या 65 वर्ष की उम्र तक (जो भी पहले हो) के लिए की जा सकती है. पहला कार्यकाल तीन साल का होने पर इसमें दो साल का एक्सटेंशन दिया जाता है. लेकिन बुच की उम्र अभी 60 साल है, ऐसे में सरकार ने उन्हें एक्सटेंशन नहीं देना ही मुनासिब समझा. सेबी चीफ के लिए जब 17 फरवरी 2025 तक आवेदन मांगे गए तो उसी समय साफ हो गया था कि सरकार उन्हें एक्सटेंशन देने के मूड में नहीं है और किसी नए व्यक्ति को नियुक्त करने की मंशा रखती है. बुच के पहले अजय त्यागी और यूके सिन्हा दोनों को सेबी प्रमुख के रूप में विस्तार मिला था.