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घर में ना दरवाजा है और ना ही पंखा, रोजाना की 10 घंटे पढ़ाई! अब NEET पास करके पान बेचने वाले का बेटा बनेगा डॉक्टर

NEET Success Story: पढ़ें गोंडा जिले के रहने वाले 20 साल के रुद्र शुक्ला की नीट परीक्षा की सफलता की कहानी, जिन्होंने घर की आर्थिक परिस्थिती ठीक नहीं होने के बावजूद इस परीक्षा को पास किया.

घर में ना दरवाजा है और ना ही पंखा, रोजाना की 10 घंटे पढ़ाई! अब NEET पास करके पान बेचने वाले का बेटा बनेगा डॉक्टर
Muskan Chaurasia|Updated: Jun 20, 2025, 01:56 PM IST
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NEET UG Result 2025: हाल ही में नीट यूजी 2025 परीक्षा के नतीजे घोषित हुए है. इस परीक्षा को 12 लाख के करीब छात्रों ने पास किया है. ये परीक्षा देश की कठिन परीक्षा में से एक होती है, जिसके लिए स्टूडेंट्स लंबे समय से इसकी तैयारी करते हैं. ऐसे में आज के इस खबर में हम आपको बताने जा रहे हैं एक ऐसे छात्र की सफलता की कहानी जिसने परिवार की गरीबी के बीच बिना किसी सुख सुविधा के इस कठिन परीक्षा का पास किया और अब एमबीबीएस की पढ़ाई करके डॉक्टर बनेगा. 

दूसरे प्रयास में पास की नीट परीक्षा
हम बात कर रहें हैं उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले के रहने वाले 20 साल के रुद्र शुक्ला की, जिन्होंने दूसरे प्रयास में नीट परीक्षा को पास किया है. उनकी 19,000 रैंक है. इस बड़ी सफलता के बाद से उनके पूरे परिवार में खुशी का माहौल है. इतना ही पूरे गांव में लोग जश्न मना रहा है.

घर के हालात बेहत खराब
बता दें, रुद्र बेहद गरीब परिवार से आते हैं. उनके पिता पान की दुकान चलाते हैं, जिससे उनके 300-400 रुपये ही कमाई होती है. वहीं, मां आशा वर्कर हैं. हालांकि, अपने बेटे की पढ़ाई के लिए उन्होंने कभी कोई कमी नहीं होने दी. हमेशा रुद्र को सपोर्ट किया. पहली प्रयास में मिली असफलता के बाद भी परिवार ने रुद्र का साथ दिया और उन्हें फिर से मेहनत करने के लिए मोटिवेट किया. यही वजह है कि आज वह इस मुकाम तक पहुंच पाएं हैं. 

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परिवार में जश्न
वहीं, इस पूरे सफर में रुद्र की बड़ी मम्मी का भी काफी योगदान रहा. उन्होंने रुद्र के खाने-पीने इस दौरान पूरा ख्याल रखा. रुद्र के सगे भाई और चचेरे भाई-बहन भी इस सफलता पर काफी खुश थे. उन्होंने बताया कि रुद्र काफी मेहनती है. वह दिन-रात पूरी लगन से पढ़ाई करता है. 

कोचिंग नहीं बल्कि मेहनत दिलाती है परीक्षा में सफलता
रुद्र के घर की बात करें तो उनके घर में ना ही कोई दरवाजा है और नां ही पंखा यहां तक बेड भी नहीं है. एक संदूक है जिसपर वह बैठकर पढ़ाई करते हैं. रुद्र का मानना है कि पखें, एसी, बेड ये सारी पढ़ाई के लिए जरूरी नहीं है. पढ़ाई के लिए मेहनत, किताबें, खाना और परिवार का साथ सबसे जरूरी है, जो उन्हें मिला. उनका मानना है कि कोई भी बड़ी कोचिंग या पैसे होने से ही आपको सफलता नहीं मिलती. परीक्षा में सफल होने के लिए सिर्फ एक ही रास्ता है और वो है मेहनत. उन्होंने बताया कि रोजाना 10 घंटे खुद से पढ़ते हैं. 

रुद्र ने आगे बताया कि पहली प्रयास में जब उन्हें सफलता नहीं मिली तो उनके माता-पिता ने उनका पूरा साथ दिया और उनके मोटिवेशन के कारण ही वह दूसरे प्रयास की तैयारियों में लग गए. ऐसे में अब पूरा परिवार उनपर गर्व महसूस कर रहा है और चाहता है कि रुद्र को देखकर और बच्चे इस परीक्षा में शामिल हों और पास होकर पूरे गांव का नाम रोशन करें. 

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