IAS Aditya Pandey: बिहार के पटना जिले के विष्णुपुर पाकड़ी गांव के IAS अधिकारी आदित्य पांडे की कहानी किसी दिलचस्प उपन्यास जैसी है. दसवीं क्लास के दौरान गर्लफ्रेंड से हुए ब्रेकअप ने उन्हें बहुत प्रभावित किया, लेकिन आदित्य ने इसे अपनी हार नहीं बनने दिया. उन्होंने इस दिल टूटने के अनुभव को कुछ असाधारण करने की प्रेरणा में बदल दिया. UPSC परीक्षा पास करके एक सिविल सेवक बनने की प्रेरणा.
रामचरितमानस की सीख बनी मार्गदर्शक
रामचरितमानस की शिक्षाओं में उनका विश्वास ही उनका मार्गदर्शक बन गया. उनका मानना है कि काम, क्रोध और लोभ जैसी इच्छाएं इंसान को अंदर से खत्म कर सकती हैं. इन भावनाओं को छोड़ने से उन्हें मुश्किल हालात में भी शांत रहने में मदद मिली और वे अपने अंतिम लक्ष्य पर फोकस्ड रह सके.
आदित्य ने अपनी स्कूली शिक्षा केंद्रीय विद्यालय, कंकड़बाग से की और बाद में पंजाब की लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रॉनिक्स और कम्युनिकेशन में इंजीनियरिंग की पढ़ाई की. लेकिन इंजीनियरिंग उन्हें अपना असली जुनून नहीं लगा. इसलिए, उन्होंने IIT रुड़की से MBA किया.
MBA पूरा करने के बाद, उन्होंने ICICI बैंक में काम किया. हालांकि, इस नौकरी ने उन्हें महसूस कराया कि उनका दिल कहीं और था. जनवरी 2020 में, उन्होंने नौकरी छोड़ दी और UPSC सिविल सेवा परीक्षा की पूरी तरह से तैयारी शुरू कर दी.
संघर्षों और दृढ़ संकल्प की कहानी
डीएनए के मुताबिक, यह सफर आसान नहीं था. वे तीन बार फेल हुए, 2021 में तो सिर्फ 2.5 नंबर से चूक गए. फिर भी, आदित्य ने कभी हार नहीं मानी. उन्होंने अपनी गलतियों से सीखा और ज़्यादा मेहनत की. अपने चौथे अटेंप्ट में, 2022 में, उन्होंने ऑल इंडिया रैंक 48 के साथ परीक्षा पास कर ली. यह सिर्फ एक परीक्षा में सफलता नहीं थी. यह उनके दृढ़ संकल्प और इच्छाशक्ति का प्रमाण था.
जिन लोगों ने उन पर शक किया था, जिनमें कुछ शिक्षक और यहां तक कि उनके अपने पिता भी शामिल थे, वे गलत साबित हुए. आज, आदित्य पूरे भारत में कई युवा उम्मीदवारों के लिए एक रोल मॉडल हैं.
परीक्षा पास करने के बाद, आदित्य ने मसूरी में लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी में अपनी ट्रेनिंग शुरू की. उन्होंने फाउंडेशन कोर्स पूरा किया, उसके बाद भारत दर्शन और जिला प्रशिक्षण किया. उन्होंने झारखंड में कई भूमिकाओं में काम किया. जिसमें कांके के बीडीओ, इटकी में अंचल अधिकारी, और रांची में सहायक कलेक्टर शामिल हैं. जनवरी 2025 में, वे बुंडू अनुमंडल के SDO बने. अप्रैल 2025 से, वे दिल्ली में गृह मंत्रालय में सहायक सचिव के रूप में काम कर रहे हैं.
अपनी सभी उपलब्धियों के बावजूद, आदित्य विनम्र रहते हैं. उनका कहना है कि उन्होंने कभी भी दिन में 14-16 घंटे पढ़ाई नहीं की. इसके बजाय, उन्होंने बस अपने टारगेट पर फोकस किया, जैसे अर्जुन का चिड़िया की आंख पर निशाना था. उनके लिए, ईमानदारी, आत्म-चिंतन और अनुशासन ही सफलता की असली कुंजी हैं.
Indian Languages: आपको पता है अमेरिका में सबसे ज्यादा कौन सी 5 भारतीय भाषाएं बोली जाती हैं?
वे अक्सर कवि रामधारी सिंह 'दिनकर' के शब्दों में शक्ति पाते हैं: "जब मानव जोर लगाता है, पत्थर पानी बन जाता है." आदित्य का संदेश सरल लेकिन पावरफुल है - सही रास्ते पर चलें, अपने मूल्यों के प्रति सच्चे रहें, और कभी हार न मानें. उनका मानना है कि यही सफलता का असली मंत्र है.
Success Story: डॉक्टरी छोड़ पकड़ी UPSC की राह, हासिल की ऑल इंडिया 9वीं रैंक, पर नहीं बनीं IAS