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मुझे बस एक दिन दे दो... प्लेन क्रैश में जान गंवाने वाली एयरहोस्टेस सैनीता की मां का दर्द सुनकर कांप जाएगी रूह

Air India Saineeta Chakravarty: जिन आंखों में सपने थे, वो अब हमेशा के लिए बंद हो चुकी थीं. सैनीता चक्रवर्ती, 'पिंकी' – जिसने अपने जीवन की हर बाधा को पार कर आसमान को अपना वर्कफील्ड बनाया था, आज उसी आसमान ने उसे अपने आंचल में समेट लिया था.

मुझे बस एक दिन दे दो... प्लेन क्रैश में जान गंवाने वाली एयरहोस्टेस सैनीता की मां का दर्द सुनकर कांप जाएगी रूह
chetan sharma|Updated: Jun 16, 2025, 09:10 AM IST
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Saineeta Chakravarty Air Hostess: मुंबई के जुहू कोलीवाड़ा की गलियों में, एक चंचल और सपनों से भरी लड़की रहती थी, जिसका नाम था सैनीता चक्रवर्ती. सब उसे प्यार से 'पिंकी' बुलाया करते थे. उसकी आंखों में एक अलग सी चमक थी – वो चमक जो आसमान को छूने की ख्वाहिश रखती थी. सैनीता ने हाल ही में Go Air छोड़कर, अपने सबसे बड़े सपने को पूरा करने के लिए एयर इंडिया जॉइन किया था. यह उसके करियर की नई उड़ान थी, एक ऐसा मुकाम जहां पहुंचने के लिए उसने सालों मेहनत की थी.

बचपन के दोस्त निकी डिसूजा, आज भी उस चुलबुली पिंकी को याद करते हैं. "हम साथ पले-बढ़े थे," निकी की आवाज में दर्द था. "उसने मानेकजी कूपर स्कूल और फिर मिठीबाई कॉलेज से पढ़ाई की. सालों बाद भी, जब कभी वो अपनी एयर होस्टेस की यूनिफॉर्म में दिखती थी, तो मैं पहचान जाता था." निकी जानते थे कि सैनीता कितनी डेडिकेटेड और मेहनती थी. "उसने जहां तक पहुंची, वहां तक पहुंचने के लिए वाकई बहुत कड़ी मेहनत की थी. यह दिल तोड़ने वाला है."

सैनीता की मां, जो सदमे में हैं और बुरी तरह से हिल चुकी हैं, बस इतना ही कह पा रही हैं, "मुझे बस एक दिन दे दो... पहले उसे घर आने दो." उनकी आवाज भावनाओं से कांप रही थी, और उनकी आंखें लगातार दरवाजे पर टिकी थीं, जैसे कि वे किसी भी पल अपनी बेटी के घर आने का इंतजार कर रही हों. इस छोटे से घर में हर कोने में बेबसी और मातम पसरा हुआ है, जहां हर कोई बस सैनीता के लिए न्याय और शांति की दुआ कर रहा है.

अहमदाबाद में वो दिन...

हर दिन की तरह, उस गुरुवार की सुबह भी सैनीता अपने घर से निकली होगी. शायद परिवार से कुछ मीठी बातें की होंगी, कुछ सपने शेयर किए होंगे. उसकी ड्यूटी थी अहमदाबाद में, जहां से उसे एयर इंडिया के ड्रीमलाइनर विमान AI171 में लंदन के लिए उड़ान भरनी थी. यह एक नॉर्मल दिन था, एक सामान्य उड़ान थी, लेकिन कोई नहीं जानता था कि यह उड़ान सैनीता के लिए आखिरी होगी.

फ्लाइट ने सरदार वल्लभभाई पटेल इंटरनेशनल एयरपोर्ट, अहमदाबाद से जैसे ही उड़ान भरी, कुछ ही पलों में सब कुछ बदल गया. सपनों से भरा वो विमान, जिसमें सैनीता जैसे दस केबिन क्रू मेंबर और 230 यात्री सवार थे, अचानक जमीन से टकराकर आग के गोले में बदल गया. सैनीता की उड़ान, जो अभी-अभी पंख फैलाने लगी थी, अचानक थम गई.

एक चमकता सितारा जो बुझ गया...

जुहू कोलीवाड़ा में जब ये खबर पहुची, तो सन्नाटा छा गया. जिन आंखों में सपने थे, वो अब हमेशा के लिए बंद हो चुकी थीं. सैनीता चक्रवर्ती, 'पिंकी' – जिसने अपने जीवन की हर बाधा को पार कर आसमान को अपना वर्कफील्ड बनाया था, आज उसी आसमान ने उसे अपने आंचल में समेट लिया था.

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यह सिर्फ एक दुर्घटना नहीं थी, यह एक परिवार के सपनों का अंत था, एक दोस्त की अनमोल यादों का ठहराव था, और एक देश के लिए एक और युवा सितारे का बुझ जाना था. सैनीता की कहानी, अब हर उस दिल में एक कसक बनकर रहेगी, जो उड़ने का सपना देखता है, जो मेहनत से अपना मुकाम बनाता है, और जो यह उम्मीद करता है कि हर उड़ान सुरक्षित होगी. आसमान में आज एक और तारा जुड़ गया है, जो 'स्काई लव्स हर' रोशनी की तरह हमेशा चमकता रहेगा.

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