National Language In India: भारत जैसे बहुभाषी देश में, भाषा हमेशा से एक जटिल विषय रहा है. 'राष्ट्रभाषा' और 'राजभाषा' जैसे शब्द अक्सर एक-दूसरे के साथ प्रयोग किए जाते हैं, लेकिन इनके अर्थ और महत्व अलग-अलग हैं. पूर्व क्रिकेटर आर. अश्विन ने कहा है कि हिंदी देश की राष्ट्र भाषा नहीं, बल्कि केवल राज भाषा है. उन्होंने एक निजी कॉलेज के दीक्षांत समारोह के दौरान ये टिप्पणियां कीं, जहां उन्होंने स्टूडेंट्स से पूछा कि वे किस भाषा में उनसे बात करना चाहेंगे. आइए इन दोनों शब्दों को विस्तार से समझते हैं.
राष्ट्रभाषा
राष्ट्रभाषा वह भाषा होती है जो एक राष्ट्र की पहचान होती है. यह एक ऐसी भाषा है जो राष्ट्र के लोगों को एकजुट करती है और उनकी सांस्कृतिक विरासत का प्रतिनिधित्व करती है. राष्ट्रभाषा का चुनाव आमतौर पर ऐतिहासिक, सामाजिक और राजनीतिक कारकों पर निर्भर करता है. यह एक ऐसी भाषा होती है जिसे देश के अधिकांश लोग समझते हैं और बोलते हैं.
राजभाषा
राजभाषा वह भाषा होती है जिसका उपयोग सरकार द्वारा आधिकारिक कामकाज के लिए किया जाता है. यह कानून, प्रशासन और अन्य सरकारी कामों के लिए इस्तेमाल होने वाली भाषा होती है. राजभाषा का चुनाव अक्सर राजनीतिक कारणों से किया जाता है और यह राष्ट्रभाषा से अलग हो सकती है.
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 343 के मुताबिक केंद्र सरकार हिंदी बेल्ट के राज्यों के साथ कम्युनिकेशन करते समय हिंदी भाषा का इस्तेमाल करती है. वहीं, इंग्लिश सहयोगी आधिकारिक भाषा है. इस तरह भारत के संविधान के मुताबिक, हिंदी और अंग्रेजी आधिकारिक भाषाएं हैं, न कि राष्ट्रीय भाषाएं.
भारत के अलावा और कहां बोली जाती है हिंदी?
भारत के बाहर पाकिस्तान, नेपाल, बांग्लादेश, अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, न्यूजीलैंड, संयुक्त अरब अमीरात, युगांडा, गुयाना, सूरीनाम, त्रिनिदाद, मॉरीशस और दक्षिण अफ्रीका सहित कई अन्य देशों में हिंदी बोलने का चलन है.
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