UPSC Success Story: दोपहर के करीब एक बज रहे थे. कर्नाटक के एक छोटे से गांव, मयिगौदानहल्ली के रहने वाले 53 साल के चनाबासप्पा अपने पड़ोसी के बोरवेल से अपनी 20 गुंटा जमीन में पानी लगा रहे थे. तभी उनकी छोटी बेटी, प्रीति ए.सी. का फोन आया. प्रीति ने उन्हें अपनी जिंदगी की सबसे बड़ी खुशखबरी सुनाई – उन्होंने UPSC सिविल सेवा परीक्षा 2024 में 263वीं रैंक हासिल की है, जिसका रिजल्ट 22 अप्रैल 2025 को ही घोषित हुआ था.
कभी स्कूल न जा पाने वाले और अपनी जीविका के लिए पार्ट-टाइम रसोइए का काम करने वाले चनाबासप्पा ने दशकों पहले प्रीति के मन में IAS बनने का सपना बोया था, जिसे प्रीति ने अपनी जिंदगी का लक्ष्य बना लिया. अपनी बेटी की इस शानदार सफलता के बारे में सुनकर अपने पहले विचारों को व्यक्त करते हुए चनाबासप्पा ने टाइम्स ऑफ इंडिया को बताया, "यह मेरी जिंदगी के सबसे खुशी और आनंदमय पलों में से एक था."
मंगलवार शाम पेरियापटना के एक धर्मशाला में काम कर रहे चनाबासप्पा ने कहा कि उन्हें हमेशा अपनी बेटी पर भरोसा था. उन्होंने बताया, "गरीबी के कारण, हमने उसे SSLC तक सरकारी कन्नड़ माध्यम के प्राथमिक और उच्च विद्यालयों में भेजा. उसके बाद, उसने के.आर. नगर के सरकारी पीयू कॉलेज में दाखिला लिया. उसने कृषि महाविद्यालय, मांड्या से बीएससी एग्रीकल्चर में ग्रेजुएशन की, और बाद में बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से एग्रीकल्चर में एमएससी किया."
उन्होंने आगे कहा, "मैंने अपनी दो बेटियों की पढ़ाई का सपोर्ट करने के लिए दिहाड़ी मजदूरी से लेकर खाना बनाने तक बहुत काम किया. यह संतोष का क्षण है. मेरे सभी संघर्षों में किसी ने मेरा साथ नहीं दिया." प्रीति की मां, नेत्रावती, एक हाउसवाइफ हैं.
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प्रीति, जिन्होंने IAS की तैयारी के लिए कोई कोचिंग नहीं ली थी, का यह तीसरा अटेंप्ट था. उन्होंने बताया, "मैंने मानवशास्त्र को अपना ऑप्शनल सब्जेक्ट चुना था." उन्होंने गर्व से कहा, "यह मेरे पिता का सपना था. मैंने केवल सरकार द्वारा संचालित शैक्षणिक संस्थानों में ही पढ़ाई की." प्रीति की यह सफलता उन सभी युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत है जो सीमित संसाधनों के बावजूद अपने सपनों को साकार करने का जज्बा रखते हैं.
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