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सरकारी स्कूल के बच्चों से पैसे नहीं, प्यार से काटते हैं बाल: नाई की दिल छूने वाली कहानी

Free Hair Cut Sarkari School student: सीजन के आधार पर एक "स्टाइल पॉलिसी" भी है. "स्कूल के दिनों में, हम उनके कट को सरल और साफ रखते हैं. लेकिन अगर गर्मियों की छुट्टियां होती हैं, तो मैं उन्हें अपनी पसंद की स्टाइल चुनने देता हूं,"

सरकारी स्कूल के बच्चों से पैसे नहीं, प्यार से काटते हैं बाल: नाई की दिल छूने वाली कहानी
chetan sharma|Updated: Jun 16, 2025, 11:00 AM IST
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K Thanigaivel Saloon: स्कूल की घंटियां बजने से बहुत पहले ही घरों में आखिरी मिनट की तैयारियां शुरू हो जाती हैं. नई सिलाई की हुई स्कूल ड्रेस से लेकर करीने से कवर की गई कॉपियां, संवारे हुए बाल और चमकाए हुए जूते - माता-पिता यह सुनिश्चित करने के लिए समय के खिलाफ दौड़ते हैं कि उनके बच्चे स्कूल वापस जाने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं. आखिरकार, कोई भी नहीं चाहता कि उनके बच्चे की ढीली कॉलर या बेतरतीब बालों के लिए तेजतर्रार पीटी मास्टर की नजर पड़ जाए.

इस साल जब से स्कूल दोबारा खुले हैं, धनुष सैलून की तीन ब्रांचों में युवा ग्राहकों की भीड़ लगी हुई है. लेकिन यह सिर्फ सीजनल भीड़ या स्कूल वापसी का कोई शानदार ऑफर नहीं है. इस भीड़ के पीछे 46 साल के. थानिगावेल की दरियादिली है. पिछले दस सालों से, यह सैलून मालिक सरकारी स्कूल के स्टूडेंट्स को फ्री हेयरकट दे रहे हैं, जिससे उन्हें नए अकादमिक ईयर की एक अच्छी शुरुआत मिलती है.

थानिगावेल एक लड़के के बालों को धीरे-धीरे बराबर करते हुए कहते हैं, "मैंने देखा है कि परिवारों के लिए स्कूल का खर्च उठाना कितना मुश्किल हो सकता है. एक हेयरकट छोटी सी बात लग सकती है, लेकिन इससे बहुत फर्क पड़ सकता है."

चेन्नई के मायलापुर में जन्मे और पले-बढ़े थानिगावेल अपनी तीसरी जेरनरेशन के नाई हैं. उन्होंने सरकारी स्कूल से 12वीं तक की पढ़ाई की और बाद में बीए कॉरेस्पोंडेंस कोर्स में एडमिशन लिया - लेकिन पारिवारिक जिम्मेदारियों के कारण उन्हें पढ़ाई छोड़नी पड़ी. तभी काम करना शुरू किया.

साल 2000 में, उन्होंने अपना पहला सैलून - धनुष मेन्स सैलून कामराज एवेन्यू में खोला. धैर्य और स्थिर हाथों से, उन्होंने एक-एक हेयरकट करके अपने बिजनेस को बढ़ाया. जब उनकी पत्नी, टी. विजयलक्ष्मी ने 2016 में बिजनेस में शामिल होने की इच्छा व्यक्त की, तो दोनों ने शास्त्री नगर, अड्यार में धनुष फैमिली सैलून खोला, जिसमें पुरुष, महिलाएं और बच्चे सभी का स्वागत किया गया. 2018 में, उन्होंने फिर से विस्तार किया और वेट्टुवनकेनी में तीसरी ब्रांच खोली.

थानिगावेल को फ्री हेयरकट देने की प्रेरणा उनकी पत्नी के छोटे लेकिन पावरफुल और दयालु कामों से मिली. वो बताते हैं, "वह सरकारी स्कूल के छात्रों को पास से गुजरते हुए नोटबुक और स्टेशनरी देती थीं. गर्मियों के दौरान, वह सैलून के बाहर पानी का एक घड़ा रखती थीं. कई बच्चे रुकते थे और पूछते थे कि हमारे एसी सैलून में हेयरकट का कितना खर्च आता है. कुछ तो यह भी कहते थे कि उनके माता-पिता उन्हें अंदर नहीं लाएंगे." तभी दंपति ने सरकारी स्कूलों के सभी स्टूडेंट्स के लिए अपने दरवाजे और कैंची खोलने का फैसला किया. 2015 में, अपनी दूसरी ब्रांच खोलने से एक साल पहले, उन्होंने फ्री हेयरकट सेवा शुरू की. आज, हर सैलून के बाहर लगे पोस्टर गर्व से घोषणा करते हैं "सरकारी स्कूल की वर्दी या आईडी कार्ड वाले छात्रों को फ्री हेयरकट मिलेगा."

सीजन के आधार पर एक "स्टाइल पॉलिसी" भी है. "स्कूल के दिनों में, हम उनके कट को सरल और साफ रखते हैं. लेकिन अगर गर्मियों की छुट्टियां होती हैं, तो मैं उन्हें अपनी पसंद की स्टाइल चुनने देता हूं," वह मुस्कुराते हैं. थानिगावेल का सैलून कई बच्चों के लिए कॉन्फिडेंस का स्थान बन गया है.

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दंपति की उदारता सिर्फ़ स्कूली छात्रों तक ही नहीं रुकती. वे उन लोगों को भी मुफ्त हेयरकट प्रदान करते हैं जो कैंसर रोगियों के लिए अपने बाल दान करते हैं. विजयलक्ष्मी कहती हैं, "यह बहुत आम नहीं है, लेकिन हमने कुछ कॉलेज की लड़कियों के लिए ऐसा किया है. हमारे नियमित ग्राहक इन प्रयासों का बहुत सपोर्ट करते हैं. हम दो दशकों से ज्यादा समय से हैं. नई कॉर्पोरेट चेन के साथ यह मुश्किल है, लेकिन हमारे ग्राहक हमारे साथ टिके रहते हैं. यही इन पहलों को जीवित रखता है."

थानिगावेल जानते हैं कि हेयरकट दुनिया को नहीं बदल सकता है. लेकिन स्कूल वापस जाने वाले बच्चे के लिए, साफ-सुथरे बालों के साथ अंदर चलना, शायद पहली बार किसी असली सैलून में, यह जादू जैसा लग सकता है.

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