Jagdeep Dhankhar Education: जगदीप धनखड़ ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने अपने इस्तीफे की वजह "हेल्थ केयर को प्राथमिकता देना और डॉक्टरी सलाह का पालन करना" बताया है. धनखड़ ने अपने लंबे राजनीतिक करियर में कई बड़े पदों पर काम किया है, लेकिन इसके साथ ही उन्होंने देश के कुछ नामी संस्थानों से शानदार डिग्रियां भी हासिल की हैं. आइए, उनके एजुकेशनल सफर पर एक नजर डालते हैं.
जगदीप धनखड़ का एजुकेशनल सफर: गांव से लेकर देश के प्रतिष्ठित संस्थानों तक
कहां से की शुरुआती पढ़ाई?
जगदीप धनखड़ का जन्म 18 मई 1951 को राजस्थान के झुंझुनू जिले के किठाना नाम के एक छोटे से गांव में हुआ था. उनकी पहली पढ़ाई चित्तौड़गढ़ के सैनिक स्कूल में हुई. यह सैनिक स्कूल 1961 में बना था और यह CBSE से मान्यता प्राप्त, पूरी तरह से रहने वाला (रेजिडेंशियल) और अंग्रेजी मीडियम का स्कूल है. भारत में कई सैनिक स्कूल हैं और इन स्कूलों का मुख्य मकसद छात्रों को राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA) में प्रवेश के लिए तैयार करना है.
सैनिक स्कूल के अलावा और कहां से ली स्कूली एजुकेशन?
सैनिक स्कूल से पढ़ाई के बाद, धनखड़ ने अपनी प्राइमरी और मिडिल स्कूल की पढ़ाई अपने गांव के पास के स्कूलों से पूरी की. उन्होंने किठाना सरकारी स्कूल से प्राइमरी और घरधाना सरकारी स्कूल से मिडिल स्कूल की पढ़ाई की.
कॉलेज की पढ़ाई में राजस्थान यूनिवर्सिटी से किए कौन से कोर्स?
इसके बाद, जगदीप धनखड़ ने राजस्थान विश्वविद्यालय में एडमिशन लिया. यह जयपुर में स्थित एक राज्य विश्वविद्यालय है, जिसे अनौपचारिक रूप से 'राजस्थान यूनिवर्सिटी' के नाम से भी जाना जाता है. इस विश्वविद्यालय की स्थापना 1947 में राज्य विधान सभा के एक कानून द्वारा की गई थी और इसे क्षेत्र के प्रमुख संस्थानों में से एक माना जाता है. यह राजस्थान के सबसे बड़े विश्वविद्यालयों में से एक है, जिसमें इसके कैंपस और इससे जुड़े कॉलेजों में 1 लाख से ज्यादा स्टूडेंट पढ़ते हैं. यहीं से धनखड़ ने अपनी BSc (बैचलर ऑफ साइंस) और LLB (बैचलर ऑफ लॉ) की डिग्रियां हासिल कीं.
सवाल 1: भारत में कुल कितने सैनिक स्कूल हैं?
जवाब: भारत में अभी कुल 33 सैनिक स्कूल हैं जो रक्षा मंत्रालय के अधीन सैनिक स्कूल सोसायटी द्वारा चलाए जा रहे हैं. इनके अलावा, सरकार ने पार्टनरशिप मोड पर कुछ और नए सैनिक स्कूलों को भी मंजूरी दी है, जिससे इनकी कुल संख्या 42 तक पहुंच गई है.
सवाल 2: सैनिक स्कूलों की शुरुआत कब हुई और सबसे पहला सैनिक स्कूल कौन सा है?
जवाब: सैनिक स्कूलों की शुरुआत 1960 के दशक में हुई थी. भारत का पहला सैनिक स्कूल जो सैनिक स्कूल सोसायटी के तहत खोला गया, वह 23 जून 1961 को महाराष्ट्र के सतारा में स्थापित किया गया था.
हालांकि, यह भी जानना जरूरी है कि कैप्टन मनोज कुमार पांडेय उत्तर प्रदेश सैनिक स्कूल, लखनऊ को भी भारत का पहला सैनिक स्कूल माना जाता है, जिसे उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा 15 जुलाई 1960 को एक पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर शुरू किया गया था. यह उत्तर प्रदेश सैनिक स्कूल सोसाइटी द्वारा चलाया जाता है.
सवाल 3: सैनिक स्कूल क्यों बनाए गए थे?
जवाब: इन स्कूलों को बनाने का मुख्य मकसद था कि भारतीय सेना में अधिकारी स्तर पर सभी क्षेत्रों (खासकर ग्रामीण और मध्यम वर्ग) के बच्चों का प्रतिनिधित्व हो. ये स्कूल बच्चों को क्वालिटी एजुकेशन देने के साथ-साथ उन्हें राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (NDA) में एंट्री के लिए भी तैयार करते हैं.
सवाल 4: सैनिक स्कूल में एडमिशन कैसे मिलता है?
जवाब: सैनिक स्कूल में एडमिशन लेना इतना आसान नहीं होता. इसमें एडमिशन मुख्य रूप से दो क्लासेज में मिलता है:
कक्षा 6
कक्षा 9
एडमिशन पाने के लिए छात्रों को ऑल इंडिया सैनिक स्कूल प्रवेश परीक्षा (AISSEE) देनी होती है. यह परीक्षा नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (NTA) द्वारा हर साल आयोजित की जाती है.
सवाल 5: AISSEE परीक्षा पास करने के बाद क्या होता है?
जवाब: जो बच्चे लिखित परीक्षा पास कर लेते हैं, उनका मेडिकल टेस्ट होता है. मेडिकल टेस्ट में फिट पाए जाने के बाद, बच्चों को उनकी मेरिट (नंबरों के आधार पर बनी लिस्ट) के हिसाब से सैनिक स्कूल में दाखिला मिलता है.
सवाल 6: सैनिक स्कूल में एडमिशन के लिए उम्र की क्या सीमा है?
जवाब: कक्षा 6 में दाखिले के लिए: बच्चे की उम्र 10 से 12 साल के बीच होनी चाहिए. कक्षा 9 में दाखिले के लिए: बच्चे की उम्र 13 साल से 15 साल के बीच होनी चाहिए.
सैनिक स्कूल सिर्फ पढ़ाई ही नहीं, बल्कि बच्चों में अनुशासन, देशभक्ति और शारीरिक फिटनेस भी पैदा करते हैं, ताकि वे भविष्य में देश की सेवा कर सकें.
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