UPSC सिविल सेवा परीक्षा पास करना कोई बच्चों का खेल नहीं है. हर साल लाखों कैंडिडेट्स एडमिनिस्ट्रेटिव फील्ड में जाने का सपना लेकर यह परीक्षा देते हैं. इन लाखों स्टोरीज के बीच, दीपेश कुमारी की संघर्ष और जुनून से भरी कहानी वाकई खास है, जो हमें हार न मानने की प्रेरणा देती है. आइए जानते हैं उनकी शानदार जर्नी के बारे में.
कौन हैं दीपेश कुमारी?
राजस्थान के भरतपुर की रहने वाली दीपेश कुमारी के पिता गोविंद चाट बेचते थे. पांच भाई-बहनों में सबसे बड़ी दीपेश ने तमाम मुश्किलों के बावजूद अपनी पढ़ाई पूरी की. दीपेश कुमारी बचपन से ही मेधावी छात्रा रही हैं. उन्होंने अपनी स्कूली शिक्षा शिशु आदर्श विद्या मंदिर से पूरी की है. 10वीं कक्षा में उन्होंने 98 प्रतिशत नंबर हासिल किए थे, जबकि 12वीं कक्षा में उन्होंने 89 प्रतिशत नंबर हासिल किए. स्कूल के बाद, वह सिविल इंजीनियरिंग करना चाहती थी और इसलिए उन्होंने जोधपुर कॉलेज में एडमिशन लिया. इसके बाद उन्होंने आईआईटी बॉम्बे में एडमिशन लिया, जहां से उन्होंने एम.टेक की डिग्री हासिल की.
IIT से पढ़ाई पूरी करने के बाद, दीपेश ने एक सॉफ्टवेयर कंपनी में नौकरी भी की. लेकिन उनके मन में सिविल सेवा परीक्षा पास करने का बचपन का सपना हमेशा जिंदा रहा. आखिरकार, उन्होंने अपनी अच्छी-खासी नौकरी छोड़ दी और अपने सपने को पूरा करने की ठान ली. दिलचस्प बात यह है कि दीपेश से प्रेरणा लेकर उनके भाई-बहनों ने भी पढ़ाई में कमाल कर दिखाया. उनकी छोटी बहन दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में डॉक्टर बनीं, और उनके दो भाइयों ने लातूर और एम्स गुवाहाटी से एमबीबीएस (MBBS) की पढ़ाई की.
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UPSC का सफर
दीपेश ने अपनी UPSC की तैयारी 2019 में शुरू की. शुरुआत में उन्होंने एक कोचिंग सेंटर जॉइन किया, लेकिन तभी कोविड-19 महामारी आ गई. उन्हें वापस घर लौटना पड़ा, जहां उन्होंने अपनी तैयारी जारी रखी. उनकी कड़ी मेहनत रंग लाई और 2021 में उन्होंने UPSC परीक्षा में शानदार सफलता हासिल की, जिसमें उनकी ऑल इंडिया रैंक (AIR) 93 रही.
दीपेश कुमारी की यह कहानी बताती है कि अगर लगन और मेहनत हो, तो कोई भी सपना पूरा किया जा सकता है, चाहे परिस्थितियां कितनी भी मुश्किल क्यों न हों.
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