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UPSC Success Story: जिद और जुनून से बदली किस्मत, मेहनत को हथियार बना मैकेनिक की बेटी बनी IAS, ऐसे हासिल की 380वीं रैंक

IAS Rena Jamil: झारखंड के धनबाद की रहने वाली आईएएस रेना जमील ने संसाधनों की कमी होने के बावजूद यूपीएससी क्रैक किया और 380वीं रैंक हासिल की. जिनके पिता मैकेनिक और मां गृहिणी हैं.   

UPSC Success Story: जिद और जुनून से बदली किस्मत, मेहनत को हथियार बना मैकेनिक की बेटी बनी IAS, ऐसे हासिल की 380वीं रैंक
Deepa Mishra|Updated: Aug 04, 2025, 08:02 AM IST
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IAS Rena Jamil Success Story: यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन (UPSC) सिविल सेवा परीक्षा दुनिया की उन परीक्षाओं में से एक है, जिसे सबसे कठिन एग्जामों में से गिना जाता है. हर साल तीन चरणों में आयोजित होनी इस परीक्षा में सफलता हासिल करने के लिए लाखों कैंडिडेट अटेंप्ट देते हैं, लेकिन सफलता कुछ को ही मिलती है. ऐसे में चलिए आज हम आपको एक ऐसी यूपीएससी उम्मीदवार के बारे में बताते हैं, जिन्होंने कई चुनौतियों को पार करते हुए, संसाधनों की कमी होने के बावजूद अपनी मेहनत और लगन के बलबूते यूपीएससी क्रैक किया और सभी के लिए एक प्रेरणा बन गई. आइए हम आपको उनकी जर्नी के बारे में बताते हैं. 

IAS रेना जमील
हम बात कर रहे हैं आईएएस रेना जमील की, जो मूल रूप से झारखंड के धनबाद के एक छोटे से गांव छाताबाद की रहने वाली हैं. रेना एक सामान्य गरीब परिवार से आती है, परिवार की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के कारण उनका बचपन गरीबी में गुजरा. रेना के पिता पेशे से एक मैकेनिक और मां गृहिणी हैं. चार भाई-बहनों में रेना दूसरे नंबर पर हैं. रेना ने शुरुआती 8वीं तक की पढ़ाई उर्दू मीडियम स्कूल से ही. इस स्कूल की खासियत यह रही कि उनकी मां ने भी इसी स्कूल से आठवीं तक की पढ़ाई की थी. 

कॉलेज टॉपर 
शुरू में रेना पढ़ाई-लिखाई में सामान्य थी, लेकिन धीरे-धीरे उनकी पढ़ाई में रूचि बढ़ने लगी और उन्होंने स्कूलिंग पूरी करने के बाद ग्रेजुएशन और मास्टर दोनों में कॉलेज में टॉप किया. मास्टर्स की डिग्री हासिल करने के बाद रेना फॉरेस्ट सर्विस में करियर बनाना चाहती थी. जिसके लिए उन्होंने तैयारी शुरू कर दी.

भाई ने UPSC क्रैक करने का दिया सुझाव
जब रेना फॉरेस्ट सर्विस की तैयारी कर रही थी, तब उनके बड़े भाई ने उन्हें यूपीएससी की तैयारी करने और परीक्षा देने का सुझाव दिया. भाई की बात सुनने के बाद रेना के मन में आईएएस बनने की इच्छा पैदा हुई और वो यूपीएससी सीएसई की तैयारी में जुट गई. रेना ने साल 2014 में यूपीएससी सीएसई का पहला अटेंप्ट दिया, लेकिन सफल नहीं हो पाई. हालांकि, साल 2016 में अपने दूसरे अटेंप्ट में रेना को सफलता मिली. उन्हें ऑल इंडिया रैंक (AIR) 882वीं प्राप्त हुआ और उनका चयन इंडियन इन्फॉर्मेशन सर्विस में हुआ, लेकिन रेना का सपना आईएएस बनने का था, इसलिए वो नौकरी के साथ यूपीएससी की तैयारी में जुटी रही. 

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चौथे अटेंप्ट में बनी IAS 
रेना ने साल 2017 में तीसरी बार यूपीएससी सीएसई की परीक्षा दी, लेकिन इस बार को प्रीलिम्स भी क्रैक नहीं कर पाई. इस असफलता से निराश होने के बजाय रेना ने इससे सीख ली और आगे की तैयारियों में जुट गई. साल 2018 में उन्होंने कुछ समय के लिए नौकरी से छुट्टी लेकर यूपीएससी की तैयारी की और अपना चौथा अटेंप्ट दिया. उनकी मेहनत, लगन
और कभी न हार मानने वाली जिद के कारण उन्होंने चौथे प्रयास में 380वीं रैंक हासिल की. इसी के साथ उनका चयन आईएएस के लिए हुआ. रेना 2019 बैच की IAS अधिकारी बनी. उनकी पहली पोस्टिंग छत्तीसगढ़ के बस्तर में हुई. 

मां से मिली प्रेरणा 
रेना के सफलता में उनकी मां का बहुत सहयोग रहा है. उनकी मां हमेशा से चाहती थी कि रेना शादी से पहले अपने पैरों पर खड़ी हो जाएं. रैना का बचपन गरीबी में बीता, लेकिन उसके बावजूद वो और उनके भाई-बहन ने मेहनत से अपनी और अपने परिवार की तकदीर बदली. रेना के बड़े भाई आईएएस अधिकारी हैं. जबकि, छोटे भाई प्रसार भारती में इंजीनियर और छोटी बहन ने बीएड कर रखा है. रेना की सफलता सभी के लिए एक प्रेरणा है, खासकर उन महिलाओं के लिए जो आगे बढ़ने और अपने पैरों पर खड़े होने का सपना देखती हैं. 

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