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Lal Bahadur Shastri: अमेरिका की धमकी पर पूरे परिवार ने छोड़ दिया था खाना, पढ़िए भारत के दूसरे प्रधानमंत्री के मोटिवेशनल कोट्स

Lal Bahadur Shastri Inspiring Quotes: उनका नारा - जय जवान, जय किसान, जिसे उन्होंने 1965 में जब भारत पाकिस्तान के साथ युद्ध में दिया था, तब सैनिकों और किसानों दोनों को मोटिवेट करने के लिए गढ़ा था.

Lal Bahadur Shastri: अमेरिका की धमकी पर पूरे परिवार ने छोड़ दिया था खाना, पढ़िए भारत के दूसरे प्रधानमंत्री के मोटिवेशनल कोट्स
chetan sharma|Updated: Jan 11, 2024, 11:54 AM IST
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India's Second Prime Minister: आज भारत के दूसरे प्रधानमंत्री की पुण्य तिथि है. आज उनकी 58वीं पुण्यतिथि है. एक इंस्पायरिंग लीडर, पॉलिटिशियन और सिद्धांतों पर चलने वाले व्यक्ति, भारत के दूसरे प्रधान मंत्री लाल बहादुर शास्त्री ने अपने पीछे ईमानदारी, सत्यनिष्ठा और विनम्रता की एक विरासत छोड़ी, जो अनुकरणीय है. मुगलसराय, वाराणसी में जन्मे लाल बहादुर शास्त्री ने न केवल अपनी जन्मतिथि राष्ट्रपिता के साथ शेयर की, बल्कि उनके सिद्धांतों से भी काफी प्रभावित थे. उनका नारा - जय जवान, जय किसान, जिसे उन्होंने 1965 में जब भारत पाकिस्तान के साथ युद्ध में दिया था, तब सैनिकों और किसानों दोनों को मोटिवेट करने के लिए गढ़ा था, इसे आज भी प्यार से याद किया जाता है. वह 1964-66 के बीच भारत के प्रधानमंत्री रहे.

सादगी का जीवन जीने के लिए जाने जाने वाले शास्त्री और उनका परिवार भारत-पाक युद्ध के बीच गेहूं की आपूर्ति में कटौती की अमेरिका की धमकी के जवाब में नागरिकों के साथ हफ्तों तक भोजन छोड़ने में शामिल रहे. लाल बहादुर शास्त्री ने 11 जनवरी 1966 को ताशकंद में अंतिम सांस ली.

लाल बहादुर शास्त्री के मोटिवेशनल कोट्स

हम न केवल अपने लिए बल्कि पूरी दुनिया के लोगों के लिए शांति और शांतिपूर्ण विकास में विश्वास करते हैं.

हम दुनिया में सम्मान तभी हासिल कर सकते हैं जब हम आंतरिक रूप से मजबूत होंगे और अपने देश से गरीबी और बेरोजगारी को दूर कर सकते हैं.

भारत को शर्म से अपना सिर झुकाना पड़ेगा यदि एक भी व्यक्ति ऐसा बचे जिसे किसी भी तरह से अछूत कहा जाए.

दूसरों को सलाह देने और खुद उस पर अमल न करने को लेकर मेरे मन में हमेशा असहजता महसूस होती रही है.

अनुशासन और एकजुट कार्रवाई ही राष्ट्र की ताकत का असली सोर्स हैं.

जब हमारे चारों ओर गरीबी और बेरोजगारी है तो हम परमाणु हथियारों पर लाखों-करोड़ों खर्च नहीं कर सकते.

प्रत्येक राष्ट्र के जीवन में एक समय ऐसा आता है जब वह इतिहास के चौराहे पर खड़ा होता है और उसे चुनना होता है कि उसे किस रास्ते पर जाना है.

हम एक व्यक्ति के रूप में मनुष्य की गरिमा, चाहे उसकी जाति, रंग या पंथ कुछ भी हो, और बेहतर, पूर्ण और समृद्ध जीवन के उसके अधिकार में विश्वास करते हैं.

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