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महाराष्ट्र के स्कूलों में शुरू किया जाएगा सीबीएसई पैटर्न, शिक्षा मंत्री ने किया ऐलान

CBSE: महाराष्ट्र शैक्षणिक वर्ष 2025-26 से सीबीएसई पैटर्न को अपनाएगा. इस बात की जानकारी खुद  राज्य के स्कूल शिक्षा मंत्री दादा भुसे ने शुक्रवार को दी.  

महाराष्ट्र के स्कूलों में शुरू किया जाएगा सीबीएसई पैटर्न, शिक्षा मंत्री ने किया ऐलान
Muskan Chaurasia|Updated: Mar 21, 2025, 11:20 PM IST
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Maharashtra: महाराष्ट्र राज्य शिक्षा बोर्ड के स्कूलों में सीबीएसई पाठ्यक्रम लागू करने के संबंध में सरकार ने आदेश जारी किया है. इसी शैक्षणिक वर्ष से महाराष्ट्र बोर्ड के स्कूलों में सीबीएसई पैटर्न शुरू किया जाएगा. इस फैसले की जानकारी स्कूल शिक्षा मंत्री दादा भुसे ने दी. 

 
 
 
 

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

महाराष्ट्र सरकार के स्कूलों में सीबीएसई शिक्षा पद्धति का पालन करने के बारे में महाराष्ट्र सरकार में मंत्री योगेश कदम ने बताया कि यह एक महत्वपूर्ण कदम है. सरकारी स्कूलों में सीबीएसई पाठ्यक्रम लागू करने का उद्देश्य शिक्षा के मामले में निजी और सरकारी स्कूलों के बीच के अंतर को कम करना है. 

शिक्षा मंत्री दादा भुसे ने कहा कि सीबीएसई पैटर्न को अपनाते समय यह सुनिश्चित किया जाएगा कि महाराष्ट्र का इतिहास, भूगोल और मराठी भाषा पाठ्यक्रम का हिस्सा होगी.  साथ ही कहा कि प्रथम चरण में कक्षा एक में सीबीएसई पैटर्न लागू किया जाएगा. वहीं, आगामी साल में शिक्षकों एवं शिक्षा अधिकारियों को सीबीएसई पैटर्न के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा.

वहीं, इसपर कांग्रेस नेता नितिन राउत ने अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा कि हमें महाराष्ट्र में नेशनल एजुकेशन पॉलिसी मंजूर नहीं है. सरकार एनईपी के जरिए इतिहास को बदलने और छिपाने की कोशिश कर रही है. 

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सोशल मीडिया पर सुप्रिया सुले ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने लिखा महाराष्ट्र विधानसभा सत्र में शिक्षा मंत्री ने राज्य में सीबीएसई पैटर्न लागू करने की घोषणा की है. राज्य की शैक्षिक परंपरा बहुत उज्ज्वल है, लेकिन यह बहुत खेदजनक है कि सरकार ने इसे नजरअंदाज कर अन्य बोर्डों को अपनाने का फैसला लिया है. ऐसा लगता है कि इस सरकार ने इसके जरिए राज्य के एसएससी बोर्ड को पूरी तरह से बंद करने की योजना बना ली है. मुझे संदेह है कि क्या यह निर्णय हमारे महाराष्ट्र की पहचान को मिटा देगा, जिसमें संतों, सुधारकों और शिक्षा की उज्ज्वल परंपरा है. यह निर्णय शास्त्रीय भाषा मराठी, संस्कृति और परंपरा के लिए हानिकारक होगा।. सुप्रिया सुले ने राज्य सरकार से इस निर्णय पर पुनर्विचार करने का अनुरोध भी किया है. 

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